Ask Question | login | Register
Notes
Question
Quiz
Test Series
Facts

जोधपुर ग्रामीण

जोधपुर ग्रामीण

प्रशासकीय इकाईयां

तहसील - 15 संभाग - जोधपुर

जोधपुर जिले का पुनर्गठन कर जोधपुर (ग्रामीण) जिला गठित किया जाता है जिसका मुख्यालय जोधपुर होगा। नवगठित जोधपुर (ग्रामीण) जिले में 15 तहसील (जोधपुर उत्तर तहसील(जोधपुर का नगर निगम जोधपुर के अन्तर्गत आने वाले भाग को छोडकर शेष समस्त भाग), जोधपुर दक्षिण तहसील(जोधपुर का नगर निगम जोधपुर के अन्तर्गत आने वाले भाग को छोडकर शेष समस्त भाग), कुडीभक्तासनी, लूणी, झंवर, बिलाडा, भोपालगढ, पीपाडसिटी, ओसियॉ, तिवरी, बावडी, शेरगढ, बालेसर, सेखला ,चामू) हैं।

इतिहास

जोधपुर में इतिहास प्रसिद्ध परिहार, चौहान व राठौड़ राजपूतों का राज्य रहा है। राजस्थान की रियासत के एकीकरण के समय, जोधपुर राज्य को 30 मार्च 1949 को राजस्थान में एकीकृत किया गया था, उस समय जोधपुर के महाराजा हनवंत सिंह थे।

महत्वपूर्ण तथ्य

लूणी नदी के किनारे प्रारम्भिक पाषाण युग के जीवाश्म पाए गए हैं। लूणी, पिचियाक, पीपाड़, शिकारपुरा आदि स्थानों पर मध्य पाषाण युग के औजार पाए गए हैं, जबकि प्राचीन पाषाण युगीन सभ्यता के अवशेष बिलाड़ा के आसपास के क्षेत्र में मिले हैं। 1933-34 में पुरातत्व खुदाई से गुप्त एवं गुप्तोत्तर काल के 4 से 8 वीं शताब्दी के अवशेष प्राप्त हुये।

मारवाड़ को मुगलों के आधिपत्य से मुक्त कराने वाले वीर दुर्गादास राठौड़ (उपनाम- राठौड़ों का यूलीसेस, राजपूताने का गेरीबॉल्डी तथा मारवा का अणबींदया मोती) का जन्म 13 अगस्त, 1638 को ग्राम सालवा (जोधपुर ग्रामीण) में हुआ था। उनके पिता जोधपुर राज्य के दीवान श्री आसकरण तथा माता नेतकँवर थीं।

जैन ग्रन्थों में ओसियां का पुराना नाम ‘उपकेश पट्टन’ प्राप्त होता है।

ओसियों में प्रसिद्ध सूर्य मंदिर स्थित है। इस मंदिर का निर्माण 9वीं से 12वीं शताब्दी के मध्य करवाया गया। पौराणिक कथा के अनुसार प्रतिहार वंश के राजकुमार उपल्लदेव ने इस नगर की स्थापना की। इस मंदिर के कुछ हिस्से महामारु शैली के तो कुछ हिस्से गुप्तकालीन शैली के है। इस मंदिर में भगवान सूर्य की मूर्ति के साथ विष्णु, नवग्रह, ब्रह्मा, अर्द्धनारिश्वर, हरिहर, दिक्पाल, श्रीकृष्ण, पिप्लाद आदि देवताओं की मूर्तियाँ स्थापित है।

ओसियाँ, जोधपुर ग्रामीण में स्थित सूर्य मंदिर के कारण जोधपुर को सूर्य नगरी कहा जाता है।

ओसियां में सच्चिया माता का मंदिर स्थित है। मंदिर का निर्माण 9वीं या 10वीं शताब्दी में उपेन्द्र ने करवाया था। सच्चिया माता को ओसवाल, जैन परमार, पंवार, सुथार, चारण, कुमावत, जाट आदि जाति के लोग पूजते है।

ओसियां के जैन मंदिरों में महावीर स्वामी का मंदिर महत्त्वपूर्ण है जो लगभग आठवीं सदी का प्रतीत होता है। वि.स. 1252 में तुर्की सेना ने ओसियां पर आक्रमण कर यहां के मंदिरों को तोड़ दिया और नगरवासियों को लूटा।

ओसियां के पास तिवरी नामक गाँव में खोखरी माता का मंदिर है, जो 9वीं शताब्दी का प्रतीत होता है। कहा जाता है कि खोखरा नामक सुनार ने इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इस मंदिर की मुख्य वेदी पर गजलक्ष्मी की प्रतिमा विराजमान है।

औंसिया को 24 मन्दिरों की स्वर्ण नगरी भी कहते है।

नौ सती का मेला बिलाड़ा शहर में बाण गंगा के नाम से जाना जाता है। यह हर साल चैत्र बदी अमावस्या (मार्च अप्रैल) को आयोजित होता है। यह उन नौ महिलाओं की याद में आयोजित किया जाता है जो इस स्थान पर सती हो गई थी। इस मेले में हजारों लोग बाण गंगा नदी में डुबकी लगाने के लिए आते हैं।

बिलाड़ा में अश्व प्रजनन केन्द्र स्थित है।

बिलाड़ा में आई माता का मंदिर स्थित है। इसे केसरवाला मंदिर कहा जाता है। माताजी के दीपक में से केसर टपकती है। आई माता के पुजारी सीरवी राजपूत होते हैं। सीरवी लोग आई जी के मंदिर को दरगाह कहते है।

बिलाड़ा में लूणी नदी पर बने जसवंत सागर बांध को पिचियाक बांध के नाम से जाना जाता है। इस बांध का निर्माण राजा जसवंत सिंह द्वारा 1892 ई. में करवाया गया था। यह पिचियक गांव में है।

राता भाकर वाला का मेला संत जालंधरनाथ के सम्मान में ग्राम बालेसर सता (शेरगढ़ तहसील) से 3 किलोमीटर की दूरी पर आयोजित किया जाता है। यह मेला भाद्रपद सुदी 2 (अगस्त-सितंबर) को आयोजित होता है।

करपंदा का मेला - करपंदा बिलाड़ा तहसील का एक छोटा सा गाँव है। यहाँ पर 1603-1621 ई. में बना पार्श्वनाथ जैन मंदिर है जिसमें कई तीर्थंकरों की मूर्तियाँ हैं। चैत्र-शुक्ल पंचमी (मार्च-अप्रैल) को यहाँ मेला लगता है।

जोधपुर ग्रामीण में माचिया सफारी पार्क नामक मृगवन है जिसकी स्थापना 1985 में की गई थी। यह देश का प्रथम राष्ट्रीय वानस्पतिक उद्यान है।

खेजड़ली गांव में विश्‍नोई सम्‍प्रदाय के लोगों द्वारा राज्‍यवृक्ष खेजड़ी की रक्षा हेतु प्राण न्‍यौछावर कर दिया गया था। जोधपुर के खेजड़ली ग्राम में 1730 ई. में खेजड़ी वृक्षों को बचाने के लिए अमृता देवी विश्नोई के नेतृत्व में 363 लोगों के साथ अपने प्राण न्यौछावर कर दिए थे। इनकी याद में विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला भाद्रपद शुक्ल दशमी को खेजड़ली ग्राम में लगता है, जबकि खेजड़ी दिवस 12 सितम्बर को मनाया जाता है। अमृता देवी के बलिदान को ध्यान में रखते हुए राज्य सरकार ने राजस्थान में अमृता देवी विश्नोई पुरस्कार की शुरुआत 1994 में की जिसका प्रथम पुरस्कार गंगा विश्नाई को प्राप्त हुआ था।

अमृतादेवी के सम्मान में ही जोधपुर जिले के खेजड़ली गाँव में अमृतादेवी मृगवन बनाया गया है, जिसकी स्थापना-1994 में की गई थी। इस मृगवन की मरु लोमड़ी प्रसिद्ध है।

राजस्‍थान सरकार ने राज्य जीव-जंतु कल्याण बोर्ड का नाम अमृता देवी के नाम से करने की घोषणा की है।

मेहाजी मांगलिया मंदिर (बापणी, ओसियाँ) - भाद्रपद कृष्णा अष्टमी को इनका मेला लगता है। इनके वाहन का नाम किरड-काबरा घोड़ा है।

करणी माता का जन्म वि. सं. 1444 (1387 ई.) को सुवाप, ओसियाँ जोधपुर ग्रामीण में हुआ था।

घटियाला - घटियाला गाँव में माता की साल तथा खांखू देवल पुरातत्व की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहाँ से प्रतिहार शासक कक्कुक का 862 ई. का शिलालेख प्राप्त हुआ है

घटियाला अभिलेख - यह लेख संस्कृत भाषा में है‌। इनमें से एक लेख एक प्राचीन जैन मंदिर (माता की साल) में प्राकृत भाषा में उत्कीर्ण है तथा अन्य 4 लेख संस्कृत भाषा में मंदिर के पास ही खाखू देवल नामक स्थान पर उत्कीर्णित है। इस लेख में हरिश्चन्द्र से लेकर कुक्कुक तक प्रतिहार शासकों की वंशावली मिलती है। कुक्कुक ने घटियाला तथा मंडोर में जय स्तम्भ स्थापित करवाए थे। कुक्कुक ने घटियाला (रोहिन्सकूप) में मारवाड़ के आभीरों के उपद्रवों का दमन कर उसे व्यापारिक केंद्र के रूप में स्थापित किया।

जिले के खेडापा में संत रामदास जी (1726-1798 ई.) ने रामस्नेही सम्प्रदाय की पीठ की स्थापना की थी, जो आज रामस्नेही सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द बना हुआ है।

मथानिया लाल मिर्च के लिए प्रसिद्ध है।

Official Website

https://jodhpurrural.rajasthan.gov.in

राजस्थान मानचित्र

यहां आप राजस्थान के मानचित्र से जिला चुन कर उस जिले से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।

rajasthan District श्रीगंगानगर हनुमानगढ् अनूपगढ़ चूरू बीकानेर जैसलमेर झुन्‍झुनू सीकर नीम का थाना डीडवाना कुचामन नागौर फलौदी कोटपुतली खैरथल तिजारा जोधपुर ग्रामीण अजमेर जयपुर ग्रामीण दूदू अलवर डीग भरतपुर दौसा गंगापुर सिटी करौली धौलपुर सवाई माधोपुर टोंक केकड़ी ब्‍यावर पाली बालोतरा जालौर बाड़मेर सांचौर सिरोही राजसमंद भीलवाड़ा शाहपुरा बूंदी कोटा बारां झालावाड़ चित्तौड़गढ़ उदयपुर सलूंबर प्रतापगढ़ डूंगरपुर बांसवाड़ा जाेधपुर जयपुर

Notes

Notes on many subjects with example and facts.

Notes

Tricks

Find Tricks That helps You in Remember complicated things on finger Tips.

Learn More

QUESTION

Find Question on many subjects

Learn More

Share


Contact Us Cancellation & Refund About Write Us Privacy Policy About Copyright

© 2024 RajasthanGyan All Rights Reserved.