राजपूत युग
- प्रश्न 1 इतिहासकार आर. सी. मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने कितनी शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया -
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- (अ) दूसरी शताब्दी से चौथी शताब्दी तक
- (ब) तीसरी शताब्दी से पांचवीं शताब्दी तक
- (स) छठी शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक
- (द) बारहवीं शताब्दी से पन्द्रहवीं शताब्दी तक
उत्तर : छठी शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक
व्याख्या :
प्रसिद्ध इतिहासकार रमेश चन्द्र मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने छठी सदी से बारहवीं सदी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया और भारत के द्वारपाल(प्रतिहार) की भूमिका निभाई।
- प्रश्न 2 भारतीय इतिहास में राजपूत वंशों का प्रभुत्व _____ तक की अवधि के दौरान था।
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- (अ) आठवीं से बारहवीं शताब्दी ई.
- (ब) छठी से सातवीं शताब्दी ई.
- (स) पाँचवीं से नौवीं शताब्दी ई.
- (द) तीसरी से पाँचवीं शताब्दी ई.
उत्तर : आठवीं से बारहवीं शताब्दी ई.
व्याख्या :
हर्षवर्धन की मृत्यु (648 ई.) से लेकर मुहम्मद गौरी के भारत में दिल्ली सल्तनत की स्थापना करने (1206 ई.) तक का काल भारतीय इतिहास में राजपूत काल के नाम से प्रसिद्ध है। इस काल में राजस्थान में अनेक राजपूत वंशों ने अपनी सत्तायें स्थापित की जिनमें गुर्जर-प्रतिहार, चौहान, गुहिल, प्रतिहार, परमार, चालुक्य तथा राठौड़ प्रमुख थे।
- प्रश्न 3 राजपूतों की विदेशी उत्पत्ति का मत सर्वप्रथम किसके द्वारा प्रतिपादित किया गया -
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- (अ) कर्नल टाॅड
- (ब) विलियम क्रुक
- (स) विंसेन्ट स्मिथ
- (द) डी. आर. भण्डारकर
उत्तर : कर्नल टाॅड
व्याख्या :
राजपूताना के प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल जेम्स टाॅड ने राजपूतों को शक और सीथियन बताया है। इसके प्रमाण में उनके बहुत से प्रचलित रीति-रिवाजों का, जो शक जाति के रिवाजों से समानता रखते थे, उल्लेख किया है।
- प्रश्न 4 युआन च्वांग द्वारा उल्लेखित ‘पो-लि-ये-ता-लो’ के रूप में किस स्थान की पहचान की गई है -
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- (अ) बैराठ
- (ब) भीनमाल
- (स) जालौर
- (द) पाली
उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
चीनी यात्री युआन च्वांग (ह्वेन त्सांग) ने सम्राट हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत का दौरा किया और 630-645 ई. तक लगभग 15 वर्षों तक रहा।
- प्रश्न 5 ‘पृथ्वीराज रासो’ ग्रंथ में राजपूतों की उत्पत्ति बताई गई है -
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- (अ) ब्राह्मणों से
- (ब) वैदिक आर्यों से
- (स) अग्निकुण्ड से
- (द) शक व सीथियन से
उत्तर : अग्निकुण्ड से
व्याख्या :
चन्दबरदाई कृत ‘पृथ्वीराज रासो’ के अनुसार वशिष्ठ मुनि ने आबू के यज्ञकुण्ड से परमार, चालुक्य(सोलंकी), प्रतिहार तथा चौहान वंश को उत्पन्न किया। मुंहणोत नैणसी और सूर्यमल्ल मीसण ने भी इस मत का समर्थन किया।
- प्रश्न 6 मेवाड़ के सिसोदियाओं को निम्न माना जाता है -
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- (अ) सूर्यवंशी
- (ब) चद्रवंशी
- (स) अग्निवंशी
- (द) नागवंशी
उत्तर : सूर्यवंशी
व्याख्या :
मेवाड़ के गुहिल - इस वंश का आदिपुरुष गुहिल था। इस कारण इस वंश के राजपूत जहाँ-जहाँ जाकर बसे उन्होंने स्वयं को गुहिलवंशीय कहा। गौरीशंकर हीराचन्द ओझा गुहिलों को विशुद्ध सूर्यवंशीय मानते हैं, जबकि डी. आर. भण्डारकर के अनुसार मेवाड़ के राजा ब्राह्मण थे।
- प्रश्न 7 निम्नलिखित में से किस विद्वान के अनुसार राजपूतों की उत्पत्ति अग्निकुण्ड से हुई थी -
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- (अ) श्री गौरीशंकर ओझा
- (ब) डा. गोपीनाथ शर्मा
- (स) कवि चन्दरबरदाई
- (द) डा. दशरथ शर्मा
उत्तर : कवि चन्दरबरदाई
व्याख्या :
राजपूतों का विशुद्ध जाति से उत्पन्न होने के मत को बल देने के लिए उनको अग्निवंशीय बताया गया है। इस मत का प्रथम सूत्रपात चन्दबरदाई के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘पृथ्वीराजरासो’ से होता है। उसके अनुसार राजपूतों के चार वंश प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान ऋषि वशिष्ठ के यज्ञ कुण्ड से राक्षसों के संहार के लिए उत्पन्न किये गये।
- प्रश्न 8 निम्न में से कौन से वंश की उत्पत्ति अग्निकुंड से नहीं हुई -
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- (अ) परमार
- (ब) सिसोदिया
- (स) चौहान
- (द) चालुक्य
उत्तर : सिसोदिया
व्याख्या :
राजपूतों का विशुद्ध जाति से उत्पन्न होने के मत को बल देने के लिए उनको अग्निवंशीय बताया गया है। इस मत का प्रथम सूत्रपात चन्दबरदाई के प्रसिद्ध ग्रंथ ‘पृथ्वीराजरासो’ से होता है। उसके अनुसार राजपूतों के चार वंश प्रतिहार, परमार, चालुक्य और चौहान ऋषि वशिष्ठ के यज्ञ कुण्ड से राक्षसों के संहार के लिए उत्पन्न किये गये।
- प्रश्न 9 इतिहासकार आर. सी मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने कितनी शताब्दी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया-
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- (अ) दूसरी शताब्दी से चौथी शताब्दी तक
- (ब) तीसरी शताब्दी से पांचवी शताब्दी तक
- (स) छठी शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक
- (द) बारहवीं शताब्दी से पन्द्रहवीं शताब्दी तक
उत्तर : छठी शताब्दी से बारहवीं शताब्दी तक
व्याख्या :
प्रसिद्ध इतिहासकार रमेश चन्द्र मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने छठी सदी से बारहवीं सदी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया और भारत के द्वारपाल(प्रतिहार) की भूमिका निभाई।
- प्रश्न 10 निम्न में से किस इतिहासकार ने राजपूतों को शक अथवा सिथियन जाति के वंशज माना है -
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- (अ) चन्दबरदाई
- (ब) सी. एम. वैद्य
- (स) जैम्स टाॅड
- (द) गोपीनाथ शर्मा
उत्तर : जैम्स टाॅड
व्याख्या :
राजपूताना के प्रसिद्ध इतिहासकार कर्नल जेम्स टाॅड ने राजपूतों को शक और सीथियन बताया है।
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