राजस्थान की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था
- प्रश्न 1 8 वीं से 12 वीं सदी के समाज में राजस्थान मे प्रचलित अधिकारी ‘अक्षपटलिक‘ का संबंध किस से था-
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- (अ) कृषि कार्य पर नजर रखने वाला अधिकारी
- (ब) राज्य में आय व्यय का ब्योरा रखने वाला अधिकारी
- (स) राज कोष और आभूषणों को रखने वाला अधिकारी
- (द) विदेश नीति से संबंधित अधिकारी
उत्तर : राज्य में आय व्यय का ब्योरा रखने वाला अधिकारी
व्याख्या :
राजस्थान के प्रारंभिक मध्यकालीन राज्यों में प्रचलित अधिकारी 'अक्षपटलिक' का संबंध राज्य में आय-व्यय का ब्योरा रखने से था।
- प्रश्न 2 मारवाड़ में वीरता, सेवा के लिए ‘सिरोपाव’ देने की परम्परा रही थी, सर्वोच्च सिरोपाव था -
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- (अ) पालकी सिरोपाव
- (ब) हाथी सिरोपाव
- (स) घोड़ा सिरोपाव
- (द) कड़ा दुशाला सिरोपाव
उत्तर : हाथी सिरोपाव
व्याख्या :
ठिकाणेदारों के दरबार या किसी शाही विवाह के पश्चात् विदा लेने पर एक सम्मानसूचक वस्त्र दिया जाता था जिसे सिरोपाव कहा जाता था। ये सिरोपाव हाथी, घोड़ा, पालकी या सादा होता था। हाथी सिरोपाव सर्वोच्च सिरोपाव था।
- प्रश्न 3 मध्यकालीन राजस्थान के राज्यों में शासक के बाद सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी जाना जाता था -
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- (अ) महामात्य के रूप में
- (ब) मुख्य मंत्री के रूप में
- (स) संधिविग्रहिक के रूप में
- (द) प्रधान के रूप में
उत्तर : प्रधान के रूप में
व्याख्या :
प्रधान - राजा के बाद यह प्रमुख होता था तथा राजा की अनुपस्थिति में राजकार्य देखता था।
- प्रश्न 4 राजवी, सरदार, मुत्सदी और गनायत किस राज्य में सामन्तों की श्रेणियां थी -
Raj Jail Warder (20-10-18) Shift 2 -
- (अ) मारवाड़
- (ब) हाड़ौती
- (स) जयपुर
- (द) मेवाड़
उत्तर : मारवाड़
व्याख्या :
मारवाड़ में चार प्रकार की श्रेणियाँ थी - राजवी, सरदार, गनायत ओर मुत्सद्दी। राजवी राजा के तीन पीढ़ियों तक के निकट सम्बन्धी होते थे, उन्हे रेख, हुक्मनामा कर और चाकरी से मुक्त रखा जाता था।
- प्रश्न 5 डावी और जीवनी सामन्तों की श्रेणी राजस्थान में राजस्थान में कहां प्रचलित थी -
Raj Jail Warder (21-10-18) Shift 1 -
- (अ) उदयपुर
- (ब) जैसलमेर
- (स) कोटा
- (द) मारवाड़
उत्तर : जैसलमेर
व्याख्या :
जैसलमेर में भाटी रावल हरराज के शासनकाल में सामन्तों में श्रेणी व्यवस्था प्रारम्भ हुई, दो श्रणियाँ थी एक डावी (बाई) दूसरी जीवणी (दाई)।
- प्रश्न 6 सोलह, बत्तीस और गोल का संबंध किससे है -
Raj Jail Warder (27-10-18) Shift 3 -
- (अ) बीकानेर राज्य में सामन्तों की श्रेणियां
- (ब) जयपुर राज्य में सामन्तों की श्रेणियां
- (स) मेवाड़ राज्य में सामन्तों की श्रेणियां
- (द) मारवाड़ राज्य में सामन्तों की श्रेणियां
उत्तर : मेवाड़ राज्य में सामन्तों की श्रेणियां
व्याख्या :
मेवाड़ में सामन्तों की तीन श्रेणियाँ होती थी जिन्हे उमराव कहा जाता था, प्रथम श्रेणी के सामन्त सोलह, दूसरी श्रेणी में बत्तीस और तृतीय श्रेणी के सामन्त गोल के उमराव कई सौ की संख्या में होते थे। प्रथम श्रेणी के 16 उमरावो में सलूम्बर के सामन्त का विशेष स्थान होता था, महाराजा की अनुपस्थिति में नगर का शासन-प्रशासन और सुरक्षा का उत्तरदायित्व उसी पर होता था।
- प्रश्न 7 मदद-ए-माश मध्यकालीन राजपूत शासन में दी जाती थी -
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- (अ) राजपरिवार के सदस्यों को
- (ब) कुलीन वर्ग को
- (स) विद्वानों एवं धार्मिक व्यक्तियों को
- (द) नौकरी करने वाले वर्ग को
उत्तर : विद्वानों एवं धार्मिक व्यक्तियों को
व्याख्या :
खालसा भूमि मुग़लकालीन समय में वह भूमि होती थी, जिसकी आय बादशाह के लिये सुरक्षित रखी जाती थी। यह भूमि सीधे सुल्तान के नियंत्रण में रहती थी। खालसा क्षेत्रों में अनेक माफीदारी जोतें भी थीं, जो राजस्व की देनदारियों से मुक्त थी। यह भूमि विद्वानों, कवियों, ब्राह्मणों, चारणों, भाटों, सम्प्रदायों, पुण्यार्थ कार्यों आदि के लिए दी जाती थी। यह भूमि कर मुक्त होती थी। भूमिग्राही इसे बेच नहीं सकता था। इस प्रकार की भूमि विविध नामों से जानी जाती थी। इसके अन्तर्गत ईनाम, अलूफा, खांगी, उदक, मिल्क, भोग, पूण्य इत्यादि भूमि अनुदान सम्मिलित थे। मुगल प्रभाव के कारण इसे मदद-ए-माश भी कहा जाने लगा।
- प्रश्न 8 सेवा या नौकरी के बदले दी जाने वाली भूमि या जागीर क्या कहलाती है -
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- (अ) पळेटौ
- (ब) पसायत
- (स) पलेवौ
- (द) पसावण
उत्तर : पसायत
व्याख्या :
पसायत - वह भूमि जो दरबार या जागीरदार द्वारा राज्य सेवा करने वाले व्यक्ति को वेतन के रूप में दी जाती थी। यह सभी लगानों से मुक्त होती थी। सेवा की समाप्ति पर इस भूमि पर पुनः राज्य का अधिकार हो जाता था।
- प्रश्न 9 मध्यकाल में एक शासक द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजे जाने वाले पत्र क्या कहलाते थे -
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- (अ) परवाना
- (ब) रूक्का
- (स) फरमान
- (द) खरीता
उत्तर : परवाना
व्याख्या :
मध्यकाल में एक शासक द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजे जाने वाले पत्र परवाना कहलाते थे।
- प्रश्न 10 राजस्थान की एकमात्र कौनसी रियासत थी जहां उत्तराधिकारी शुल्क नहीं लिया जाता था -
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- (अ) जयपुर
- (ब) जोधपुर
- (स) जैसलमेर
- (द) उदयपुर
उत्तर : जैसलमेर
व्याख्या :
सामन्त व जागीरदार की मृत्यु के बाद उक्त जागीर के नये उत्तराधिकारी से यह कर वसूल किया जाता था। अलग अलग रियासतों में उत्तराधिकारी कर का नाम अलग था, जोधपुर में पहले पेशकशी और बाद में हुक्मनामा कहलाया, मेवाड़ और जयपुर में नजराना, कुछ अन्य रियासतों में कैद खालसा और तलवार बंधाई कहलाते थे। जैसलमेर एकमात्र ऐसी रियासत थी जहाँ उत्तराधिकारी शुल्क नहीं लिया जाता था।
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