प्रमुख राजनीतिक दल
- प्रश्न 11 राजनीतिक दलों के बारे मे निम्न में से कौन-सा एक संगत है-
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- (अ) संवर्ग पर आधारित दल- लार्ड ब्राइस
- (ब) प्रजातंत्र में दलों की अनिवार्यता-लेनिन
- (स) कुलीनतंत्र का लोहा नियम-राबर्ट मिचल्स
- (द) दल सर्वहारा वर्ग का अग्रसर-कार्ल मार्क्स
उत्तर : दल सर्वहारा वर्ग का अग्रसर-कार्ल मार्क्स
- प्रश्न 12 किसी लोकतांत्रिक देश में राजनीतिक दलों का निम्न में से कौन-सा उचित कार्य नहीं है :
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- (अ) जनता और सरकार के बीच उचित सम्बन्ध स्थापित करना
- (ब) सरकार का निर्माण करना
- (स) दल की विचारधारा और नीति का प्रचार करना
- (द) सरकारी प्रशासन के संचालन के निमित्त अधिकारियों को नियुक्त करना
उत्तर : सरकारी प्रशासन के संचालन के निमित्त अधिकारियों को नियुक्त करना
- प्रश्न 13 यह दबाव समूहों की तरह न तो पूर्णतः अराजनैतिक और न ही राजनीतिक दलों की भांति पूर्णतः राजनीतिक प्रकृति वाले होते हैं- यह वक्तव्य किस संगठन के स्वरूप से सम्बन्धित है:
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- (अ) असम गण परिषद
- (ब) सर्व सेवा संघ
- (स) विश्व हिन्दू परिषद
- (द) शिव सेना
उत्तर : विश्व हिन्दू परिषद
- प्रश्न 14 निम्न में से कौनसा वक्तव्य दबाव समूह के लिए संगत है:
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- (अ) साम्यवादी शासन व्यवस्थाओं में दबाव समूह देखने को नहीं मिलते
- (ब) लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में ही दबाव समूह पाए जाते हैं।
- (स) दबाव समूह सभी प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं में पाए जाते हैं।
- (द) सर्वाधिकारी व स्वेच्छाचारी व्यवस्थाओं में दबाव समूह नहीं पाए जाते
उत्तर : दबाव समूह सभी प्रकार की राजनीतिक व्यवस्थाओं में पाए जाते हैं।
- प्रश्न 15 दबाव समूहों का निम्न में से कौनसा लक्षण नहीं है -
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- (अ) अनिश्चित कार्यकाल
- (ब) जनहित संवर्द्धन
- (स) औपचारिक संगठन
- (द) ऐच्छिक सदस्यता
उत्तर : जनहित संवर्द्धन
- प्रश्न 16 आमण्ड ने दबाव समूहों को कितनी श्रेणियों में बांटा है :
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- (अ) आठ
- (ब) पांच
- (स) चार
- (द) छ:
उत्तर : चार
- प्रश्न 17 संस्थात्मक दबाव समूह का उदाहरण भारत के लिए है :
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- (अ) गौसेवा संघ
- (ब) विश्व हिन्दू परिषद्
- (स) सिण्डीकेट
- (द) भारत सेवक समाज
उत्तर : सिण्डीकेट
- प्रश्न 18 भारत में प्रदशर्नात्मक या चमत्कारिक दबाव समूह का उदाहरण है:
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- (अ) उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रन्ट ऑफ असम)
- (ब) गांधी शांति-प्रतिष्ठान
- (स) सर्व सेवा संघ
- (द) सिण्डीकेट
उत्तर : उल्फा (यूनाइटेड लिबरेशन फ्रन्ट ऑफ असम)
- प्रश्न 19 भारत में दलीय व्यवस्था की विशेषताएँ कौन-कौन सी हैं:
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- (अ) निर्दलीय सदस्यों की मौजूदगी
- (ब) व्यक्तित्व का महत्व
- (स) बहुदलीय प्रणाली
- (द) उक्त तीनों
उत्तर : उक्त तीनों
- प्रश्न 20 निम्नलिखित में भारतीय दलीय व्यवस्था का दोष हैं:
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- (अ) नेतृत्व का संकट
- (ब) प्रभावी संगठन का अभाव
- (स) जातिवाद और सांप्रदायिकता
- (द) उपर्युक्त तीनों
उत्तर : उपर्युक्त तीनों
व्याख्या :
भारत में वर्तमान में राजनीतिक दलों के समक्ष नेतृत्व का संकट भी बना हुआ है। अधिकांश राजनीतिक दलों के पास ऐसा नेतृत्व नहीं है, जिसका अपना ऊँचा राजनीतिक कद हो। भारतीय राजनीतिक दलों में प्रभावी संगठन का अभाव है। राजनीतिक दलों में अंतःदलीय लोकतंत्र की कमी ने उन्हें संकीर्ण, निरंकुश संरचनाओं में बदल दिया है। यह नागरिकों के समान राजनीतिक अधिकारों को प्रभावित करता है, जिसमें राजनीति में भाग लेना और चुनाव लड़ना शामिल है। जातिवाद और सांप्रदायिकता भारतीय दलीय व्यवस्था के दोष हैं। जातिवाद के कारण समाज में असमानता, एकाधिकार और विद्वेष उत्पन्न हो जाते हैं।
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