मेवाड़ का गुहिल वंश
- प्रश्न 111 महाराणा प्रताप ने किस वर्ष में मेवाड़ राज्य की राजगद्दी संभाली -
Raj Police Constable Exam (8 Nov 2020 S-1) -
- (अ) 1572 में
- (ब) 1571 में
- (स) 1573 में
- (द) 1570 में
उत्तर : 1572 में
व्याख्या :
गोगुन्दा में महादेव बावड़ी राणा प्रताप का 32 वर्ष की आयु में 28 फरवरी, 1572 को राज्याभिषेक किया गया। प्रताप कुछ समय के बाद कुम्भलगढ़ चला गया जहां राज्याभिषेक का उत्सव मनाया गया। इस पर जगमाल अप्रसन्न होकर अकबर के पास पहुँचा, जिसने उसे पहले जहाजपुर और सिरोही की आधी जागीर दे दी।
- प्रश्न 112 गुहिल वंश का पहला शासक कौन था -
Raj Police Constable Exam (7 Nov 2020 S-1) -
- (अ) अमर सिंह
- (ब) बप्पा रावल
- (स) राणा रीत
- (द) क्षेत्र सिंह
उत्तर : बप्पा रावल
व्याख्या :
बापा रावल हारीत ऋषि की गायें चराते थे। हारीत ऋषि की अनुकम्पा से ही बापा रावल ने मेवाड़ का राज्य प्राप्त किया था। बापा रावल ने 734 ई. में मौर्य शासक मान मोरी को पराजित कर सत्ता स्थापित की। कविराजा श्यामलदास ने ‘वीर विनोद’ में बापा द्वारा मौर्यों से चित्तौड़ दुर्ग छीनने का समय 734 ई. बताया है।
- प्रश्न 113 मालवा के किस सुल्तान को राणा कुंभा ने कई बार पराजित किया था -
Raj Police Constable Exam (7 Nov 2020 S-1) -
- (अ) महमूद खिलजी
- (ब) दिलावर खान
- (स) होशंग शाह
- (द) बहादुर शाह
उत्तर : महमूद खिलजी
व्याख्या :
महमूद खिलजी को राणा कुम्भा ने कई बार हराया था।
- प्रश्न 114 महाराणा प्रताप का जन्म किस वर्ष में हुआ था -
Raj Police Constable Exam (7 Nov 2020 S-1) -
- (अ) 9 मई 1542 का
- (ब) 9 मई 1540 को
- (स) 8 मई 1541 को
- (द) 1 मई 1540 को
उत्तर : 9 मई 1540 को
व्याख्या :
प्रतापसिंह राणा उदयसिंह का ज्येष्ठ पुत्र था। प्रताप का जन्म 9 मई, 1540 ई. (ज्येष्ठ शुक्ल 3, विक्रम संवत 1597) रविवार को कुम्भलगढ़ के प्रसिद्ध ‘बादल महल’ में हुआ। राणा प्रताप जैवन्ता बाई (पाली के अखैराज सोनगरा की पुत्री) तथा राणा उदयसिंह का पुत्र था।
- प्रश्न 115 महाराणा प्रताप का दरबारी पंडित कौन था -
Raj Police Constable Exam (7 Nov 2020 S-1) -
- (अ) रामचरण
- (ब) चंद्रमौलि मिश्र
- (स) चंद्रधर
- (द) चक्रपाणि मिश्र
उत्तर : चक्रपाणि मिश्र
व्याख्या :
महाराणा प्रताप को ‘मेवाड़ केसरी’ व ‘हिन्दुआ सूरज’ भी कहा जाता है। प्रताप ने आचार्य हीरविजय सूरिजी को एक पत्र लिखा था जिसमें उन्हें अपने यहां आने का अनुरोध किया था। महाराणा प्रताप के दरबारी पण्डित चक्रपाणि मिश्र ने चार ग्रंथों- विश्ववल्लभ, मूहूर्तमाला, व्यवहारादर्श और राज्याभिषेक पद्धति की रचना की।
- प्रश्न 116 किस वर्ष में हल्दीघाटी का युद्ध हुआ था -
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- (अ) 1518 में
- (ब) 1576 में
- (स) 1528 मे
- (द) 1542 में
उत्तर : 1576 में
व्याख्या :
उल्लेखनीय है कि हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेना के बीच लड़ा गया था। हल्दीघाटी के युद्ध को कर्नल टाॅड ने मेवाड़ की थर्मोपल्ली, अबुल फजल ने खमनौर का युद्ध और बदायूंनी ने मुंतखाब-उल-तवारीख में गोगुंदा का युद्ध कहा है।
- प्रश्न 117 किसने मेवाड़ राज्य स्थापित किया था -
Raj Police Constable Exam (6 Nov 2020 S-2) -
- (अ) बप्पा रावल
- (ब) राणा सांगा
- (स) महाराणा प्रताप
- (द) महारावल रतन सिंह
उत्तर : बप्पा रावल
व्याख्या :
बापा रावल हारीत ऋषि की गायें चराते थे। हारीत ऋषि की अनुकम्पा से ही बापा रावल ने मेवाड़ का राज्य प्राप्त किया था। बापा रावल ने 734 ई. में मौर्य शासक मान मोरी को पराजित कर सत्ता स्थापित की। कविराजा श्यामलदास ने ‘वीर विनोद’ में बापा द्वारा मौर्यों से चित्तौड़ दुर्ग छीनने का समय 734 ई. बताया है।
- प्रश्न 118 पानीपत का पहला युद्ध किस वर्ष में लड़ा गया था -
Raj Police Constable Exam (6 Nov 2020 S-1) -
- (अ) 1226 में
- (ब) 1530 में
- (स) 1526 मे
- (द) 1556 में
उत्तर : 1526 मे
व्याख्या :
सन् 1526 में काबुल के तैमूरी शासक ज़हीर उद्दीन मोहम्मद बाबर, की सेना ने दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोधी की एक बहुत बड़ी सेना को युद्ध में परास्त किया। युद्ध 21 अप्रैल 1526 को पानीपत के निकट लड़ा गया था।
- प्रश्न 119 मण्डन द्वारा लिखित ‘रूप मण्डन’ का संबंध है -
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- (अ) सौंदर्य प्रसादन
- (ब) नगर रचना
- (स) वास्तुकला
- (द) मूर्तिकला
उत्तर : मूर्तिकला
व्याख्या :
मंडन मुलतः गुजरात के ब्राहम्ण थे और कुम्भा के प्रमुख वास्तुकार थे। ये कुंभलगढ़ दुर्ग के मुख्य शिल्पी थे। रूप मण्डन मूर्तिकला से संबंधित है।
- प्रश्न 120 मुगल सम्राट अकबर द्वारा जिस सन्त को फतेहपुर सीकरी आमंत्रित किया गया था, वह था -
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- (अ) रज्जबजी
- (ब) दादू दयाल
- (स) लाल दास
- (द) जसनाथ
उत्तर : दादू दयाल
व्याख्या :
मुगल सम्राट अकबर द्वारा फतेहपुर सीकरी में आमंत्रित किए गए संत दादू दयाल थे। दादू दयाल (1544-1603) गुजरात, भारत के एक कवि-संत थे, जो एक धार्मिक सुधारक थे, जिन्होंने औपचारिकता और पुरोहिती के खिलाफ बात की थी।
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