चौहान वंश
- प्रश्न 111 जालौर में अलाउद्दीन का समकालीन शासक कौन था -
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- (अ) वीसल देव
- (ब) शीतल देव
- (स) कान्हड़ देव
- (द) महलक देव
उत्तर : कान्हड़ देव
व्याख्या :
सन् 1311 ई. में अलाउद्दीन ने जालौर दुर्ग पर आक्रमण किया और कई दिनों के घेरे के बाद अंतिम युद्ध में अलाउद्दीन की विजय हुई और सभी राजपूत शहीद हुए। वीर कान्हड़देव सोनगरा और उसके पुत्र वीरमदेव युद्ध करते हुए वीरगति को प्राप्त हुए।
- प्रश्न 112 रणथम्भौर के चौहान शासकों की जानकारी किस ग्रन्थ से प्राप्त होती है -
Raj Jail Warder (21-10-18) Shift 3 -
- (अ) हम्मीर महाकाव्य
- (ब) राजरत्नाकार
- (स) पृथ्वीराज विजय
- (द) आसिर-उल-उमरा
उत्तर : हम्मीर महाकाव्य
व्याख्या :
रणथंभौर के चौहान शासकों से जुड़ी जानकारी हम्मीर महाकाव्य में मिलती है। नयनचन्द्र सूरी ने अपने ग्रन्थ हम्मीर महाकाव्य में हम्मीर की दिग्विजयों का उल्लेख किया है।
- प्रश्न 113 ‘गूवक’ किस वंश का शासक था -
COMPILER Exam 2016 -
- (अ) चाहमान
- (ब) कच्छवाहा
- (स) प्रतिहार
- (द) हाड़ा
उत्तर : चाहमान
व्याख्या :
चाहमान वंश के गुवक प्रथम, ने हर्षनाथ मन्दिर (भगवान शंकर) का निर्माण कराया।
- प्रश्न 114 रणथम्भौर के शासक हम्मीर चौहान की किस वर्ष दिल्ली के सुल्तान जलालुद्दीन खिलजी की सेना के साथ प्रथम बार मुठभेड़ हुयी -
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- (अ) 1290 ई.
- (ब) 1292 ई.
- (स) 1299 ई.
- (द) 1301 ई.
उत्तर : 1290 ई.
व्याख्या :
1290 में, दिल्ली सल्तनत के शासक जलालुद्दीन खिलजी ने हम्मीर के क्षेत्र पर आक्रमण किया।
- प्रश्न 115 चौहान शासक, जो ‘कवि बान्धव’ के रूप में जाना जाता था -
Sr Teacher Gr II Special Edu. Comp. Exam 2015 (G.K.) -
- (अ) अर्णोराज
- (ब) अजयराज
- (स) विग्रहराज 4
- (द) पृथ्वीराज 2
उत्तर : विग्रहराज 4
व्याख्या :
जग्गदेव के अल्पकालीन शासन (1155-1158 ई.) के पश्चात् विग्रहराज चतुर्थ (बीसलदेव) 1158 ई. के लगभग अजमेर का शासक बना। चौहान शासक विग्रहराज चतुर्थ का काल सपादलक्ष का स्वर्णयुग कहलाता है। उसे वीसलदेव और कवि बान्धव भी कहा जाता था।
- प्रश्न 116 जाला जालिम सिंह के बारे में कौनसा कथन सही नहीं है -
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- (अ) वह कोटा राज्य का शासक था।
- (ब) वह कोटा का फौजदार एवं महान् कूटनीतिज्ञ एवं राजनेता था।
- (स) आपने पिण्डारियों के साथ मित्रतापूर्ण संबंध स्थापित किये।
- (द) कोटा राज्य का शासन पूर्णतः उनमें निहित था।
उत्तर : वह कोटा राज्य का शासक था।
व्याख्या :
कोटा राज्य के प्रधानमंत्री झाला जालिमसिंह को कोटा राज्य का वीर दुर्गादास राठौड़ कहते है। मराठों, अंग्रेजों एवं पिंडारियों से अच्छे संबंध होने के कारण कोटा इनसे बचा रहा।
- प्रश्न 117 निम्न में से कौन सा शासक जालोर के चौहान वंश से संबंधित नहीं था -
Lect. College Edu. EXAM 2014(GK) -
- (अ) वत्सराज
- (ब) कीर्तिपाल
- (स) समर सिंह
- (द) उदय सिंह
उत्तर : वत्सराज
व्याख्या :
वत्सराज गुर्जर-प्रतिहार वंश से संबंधित था।
- प्रश्न 118 कोटा राज्य का संस्थापक निम्न में से कौन था -
RSMSSB Lab Assistant Exam 2016 -
- (अ) राव मुकन्द सिंह
- (ब) राव माधो सिंह
- (स) राव रतन
- (द) जालिम सिंह
उत्तर : राव माधो सिंह
व्याख्या :
कोटा प्रारंभ में बूँदी रियासत का ही एक भाग था। यहाँ हाड़ा चौहानों का शासन था। शाहजहाँ के समय 1631 ई. में बूँदी नरेश राव रतनसिंह के पुत्र माधोसिंह को कोटा का पृथक राज्य देकर उसे बूँदी से स्वतंत्र कर दिया।
- प्रश्न 119 रणथम्भौर पर विजय के उपरान्त अलाउद्दीन खिलजी ने इस दुर्ग को किसके अधिकार में सौंपा था -
Sr. Teacher GrII Comp. Exam 2016 Gk (G-B) -
- (अ) उलुग खान
- (ब) नुसरत खान
- (स) अकात खान
- (द) उमर खान
उत्तर : उलुग खान
व्याख्या :
अलाउद्दीन ने रणथम्भौर दुर्ग उलुग खां को सौंपा। अलाउद्दीन की विजय के बाद अमीर खुसरो ने कहा था “आज कुफ्र (धर्म विरोधी) का गढ़, इस्लाम का घर हो गया”।
- प्रश्न 120 अर्णोराज के बारे में निम्न कथनों पर विचार कीजिए -
1. अपने राजकाल के प्रारंभ में उसने एक गजनवी आक्रमण को खदेड़ दिया।
2. वह मालवा के नरवर्मन को पराजित करने में असफल रहा।
3. उसने चालुक्य नरेश जयसिंह सिद्धराज की पुत्री से विवाह किया।
4. वह अपने ही पुत्र के द्वारा मारा गया।
अर्णोराज के बारे में उपर्युक्त में से कौन से कथन सत्य हैं -
कूट -
Sr. Teacher GrII Comp. Exam 2016 Gk (G-B) -
- (अ) 1 एवं 4
- (ब) 1 एवं 3
- (स) 1, 2 एवं 3
- (द) 1, 3 एवं 4
उत्तर : 1, 3 एवं 4
व्याख्या :
अजयराज के बाद अर्णोराज ने 1133 ई. के लगभग अजमेर का शासन संभाला। इसने महाराजाधिराज, परमेश्वर, परमभट्टारक की उपाधि धारण की। अर्णोराज ने तुर्क आक्रमणकारियों को खदेड़ा और मालवा के नरवर्मन को पराजित किया। अर्णोराज एवं चालुक्य जयसिंह सिद्धराज के मध्य वैमनस्य था। जयसिंह ने अपनी पुत्री कांचन देवी का विवाह अर्णोराज से करके मधुर संबंध बनाये। उसके पुत्र जग्गदेव ने उसकी हत्या कर दी। इस कारण इसे चौहानों का पितृहन्ता भी कहा जाता है।
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