राठौड़ वंश
- प्रश्न 117 राजस्थान में ‘रूठी रानी’ के रूप में कौन सी रानी प्रसिद्ध हुई -
COMPILER Exam 2016 -
- (अ) कोड़मदे
- (ब) उमादे
- (स) चांपादे
- (द) जैतलदे
उत्तर : उमादे
व्याख्या :
1536 ई. में राव मालदेव का विवाह जैसलमेर के लूणकरण की कन्या उम्मादे से हुआ। किसी कारणवश लूणकरण ने मालदेव को मारने का इरादा किया तो लूणकरण की रानी ने पुरोहित राघवदेव द्वारा यह सूचना मालदेव को भिजवा दी। संभवतः इसी कारण से मालदेव उम्मादे से अप्रसन्न हो गया और वह भी मालदेव से रूठ गई। तभी से वह ‘रूठी रानी’ कहलाई तथा उसे अजमेर के तारागढ़ में रखा गया।
- प्रश्न 118 राजस्थान में ‘मोटा राजा’ के नाम से कौन प्रसिद्ध था -
COMPILER Exam 2016 -
- (अ) मारवाड़ का सूरसिंह
- (ब) मारवाड़ का उदयसिंह
- (स) मारवाड़ का जसवंतसिंह
- (द) मारवाड़ का गजसिंह
उत्तर : मारवाड़ का उदयसिंह
व्याख्या :
राव चंद्रसेन की मृत्यु के बाद जोधपुर राज्य (1581-1583 ई.) तीन वर्ष तक खालसा रहा। तीन वर्ष बाद अकबर द्वारा उदयसिंह को मारवाड़ राज्य का अधिकार खिलअत और खिताब सहित 1583 ई. में दे दिया। इस प्रकार मोटाराजा उदयसिंह मारवाड़ का प्रथम शासक था जिसने मुगलों की अधीनता स्वीकार की और मुगल राज्य की कृपा प्राप्त की थी।
- प्रश्न 119 महाराणा प्रताप का पथ प्रदर्शक किसे माना जाता है -
-
- (अ) महाराणा उदयसिंह
- (ब) महाराणा कुंभा
- (स) राव चंद्रसेन
- (द) राव मालदेव
उत्तर : राव चंद्रसेन
व्याख्या :
राव चंद्रसेन की मुगल विरोधी कार्यवाहियों के कारण ही उन्हें मेवाड़ के महाराणा प्रताप का पथ प्रदर्शक माना जाता है। उन्होंने मृत्युपरंत मुगलों से लोहा लिया। वे अकबर का प्रतिरोध करने वाले राजपूताना के प्रथम शासक थे।
- प्रश्न 120 निम विद्वानों में से किसे जसवंत सिंह का संरक्षण प्राप्त नहीं था -
Asstt. Agriculture Officer Exam 2015 Paper 1 -
- (अ) नरहरिदास बारहठ
- (ब) ईसरदास
- (स) दलपति मिश्र
- (द) बनारसी दास
उत्तर : ईसरदास
व्याख्या :
महाराजा जसवंतसिंह विद्यानुरागी भी थे। उन्होंने रीति और अलंकार का अनुपम ग्रंथ ‘भाषा-भूषण’ की रचना की। इसके अलावा महाराजा ने ‘अपरोक्ष सिद्धान्त’, ‘सार’ और ‘प्रबोध चन्द्रोदय’ नाटक लिखे। उसके दरबारी विद्वानों में सूरत मिश्र, नरहरिदास, नवीन कवि बनारसीदास, दलपति मिश्रा आदि प्रसिद्ध है, जिन्होंने अनेक ग्रंथों की रचना की।
- प्रश्न 121 बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने प्रसिद्ध ‘रोम नोट’ तैयार किया था। इस नोट की विषय वस्तु थी -
Asstt. Agriculture Officer Exam 2015 Paper 1 -
- (अ) 20वीं शताब्दी के दूसरे दशक में भारत की राजनीतिक स्थिति तथा उसके संभावित हल।
- (ब) प्रथम विश्व युद्ध के दौरान यूरोप में युद्ध की स्थिति।
- (स) भारत की देशी रियासतों के शासकों की अंग्रेज सरकार के विरूद्ध शिकायते।
- (द) यूरोप का यात्रा वृत्तांत
उत्तर : 20वीं शताब्दी के दूसरे दशक में भारत की राजनीतिक स्थिति तथा उसके संभावित हल।
व्याख्या :
मई 1917 में रोम (इटली) से बीकानेर के राजा महाराजा गंगा सिंह द्वारा एक विस्तृत पत्र लिखा गया था, जो इतिहास में ‘रोम-नोट’ के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- प्रश्न 122 ‘मुहणोत नैणसी’ किस राज्य का दीवान था -
Tax Assitant Exam 2018(P1) -
- (अ) बीकानेर
- (ब) जोधपुर
- (स) उदयपुर
- (द) जयपुर
उत्तर : जोधपुर
व्याख्या :
मुंहणौत नैणसी महाराजा जसवंतसिंह के दरबारी एवं चारण थे।
- प्रश्न 123 1574 में चन्द्रसेन के विद्रोही होने पर अकबर ने उसे दण्ड देने के लिए किसे भेजा -
-
- (अ) कल्याण मल
- (ब) दलपत सिंह
- (स) राम सिंह
- (द) राय सिंह
उत्तर : राय सिंह
व्याख्या :
1574 में जब बादशाह अजमेर में था तब उसे चन्द्रसेन के विद्रोह की सूचना मिली उस समय चन्द्रसेन सिवाना के गढ़ में था। अकबर ने रायसिंह, शाह कूल्ली खां, केशव दास आदि को चन्द्रसेन के विरूद्ध भेजा उस समय सोजत पर मालदेव के पौत्र व राम के पुत्र कल्ला का अधिकार था, मुगलों ने इस पर अधिकार कर लिया।
- प्रश्न 124 बीकानेर के महाराजा रायसिंह गद्दी पर कब बैठे -
-
- (अ) 1612 ई.
- (ब) 1585 ई.
- (स) 1574 ई.
- (द) 1541 ई.
उत्तर : 1574 ई.
व्याख्या :
रायसिंह (1574-1612 ई.) ने अपनी उपाधि ‘महाराजाधिराज व महाराजा’ रखी। अकबर ने रायसिंह ‘राय’ उपाधि व 4000 मनसब दी।
- प्रश्न 125 किसे महाराणा प्रताप का पथ-प्रदर्शक कहा जाता है -
-
- (अ) राव मालदेव
- (ब) राव चन्द्रसेन
- (स) मोटा राजा उदयसिंह
- (द) अमरसिंह राठौड़
उत्तर : राव चन्द्रसेन
व्याख्या :
राव चंद्रसेन ऐसा प्रथम राजपूत शासक था जिसने अपनी रणनीति में दुर्ग के स्थान पर जंगल और पहाड़ी क्षेत्र को अधिक महत्त्व दिया था। खुले युद्ध के स्थान पर छापामार युद्ध प्रणाली का महत्त्व स्थापित करने में मेवाड़ के महाराणा उदयसिंह के बाद चंद्रसेन राजपूताने का दूसरा शासक था। इस प्रणाली का अनुसरण महाराणा प्रताप ने भी किया था। राव चंद्रसेन को महाराणा प्रताप का पथ प्रदर्शक माना जाता है। इसलिए राव चन्द्रसेन को ‘मारवाड़ का प्रताप’ कहा जाता है।
- प्रश्न 126 ‘रूठी रानी’ के नाम से कौन प्रसिद्ध है -
Sr. Teacher Gr II Comp. Exam - 2022 (G.K. & Edu. Psychology) Group B -
- (अ) उमादे
- (ब) रूपादे
- (स) हंसा बाई
- (द) जोधा बाई
उत्तर : उमादे
व्याख्या :
1536 ई. में राव मालदेव का विवाह जैसलमेर के लूणकरण की कन्या उम्मादे से हुआ। किसी कारणवश लूणकरण ने मालदेव को मारने का इरादा किया तो लूणकरण की रानी ने पुरोहित राघवदेव द्वारा यह सूचना मालदेव को भिजवा दी। संभवतः इसी कारण से मालदेव उम्मादे से अप्रसन्न हो गया और वह भी मालदेव से रूठ गई। तभी से वह ‘रूठी रानी’ कहलाई तथा उसे अजमेर के तारागढ़ में रखा गया।
page no.(13/20)