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राठौड़ वंश

प्रश्न 141 निम्न में से किस रियासत के उम्मेदसिंह अंतिम शासक थे -
  • (अ) जैसलमेर
  • (ब) जोधपुर
  • (स) बीकानेर
  • (द) जालौर
उत्तर : जोधपुर
व्याख्या :
महाराजा उम्मेदसिंह को ‘मारवाड़ का निर्माता या मारवाड़ का कर्णधार’ कहते हैं।
प्रश्न 142 बीकानेर के किस शासक को सामाजिक कुप्रथाओं का अन्त करने के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है -
  • (अ) सूरजसिंह
  • (ब) रतनसिंह
  • (स) डूंगरसिंह
  • (द) रायसिंह
उत्तर : रतनसिंह
व्याख्या :
रतनसिंह को अकबर द्वितीय ने माहीमरातिब की उपाधि दी। मथुरा, वृंदावन, प्रयाग, काशी आदि होते हुए महाराजा गया पहुँचे वहाँ महाराजा ने अपने सरदारों से 1837 में पुत्रियों को न मारने की प्रतिज्ञा करवायी। इसके बाद बीकानेर पहुँचकर 1844 में अंग्रेजों से भी इस प्रथा को रोकने का निवेदन किया व नियम बनाया कि सभी सरदार अपनी हैसियत के अनुसार विवाह करेंगे, जिसके पास भूमि नहीं है वह विवाह में 100 रुपये खर्च करेगा जिसमें से त्याग के 10 रुपये होंगे।
प्रश्न 143 किसने बीकानेर के नरेश रायसिंह को ‘राजेन्द्र’ के नाम से संबोधित किया -
  • (अ) मुंशीदेवी प्रसाद
  • (ब) जयसोम
  • (स) दुरसा आढ़ा
  • (द) मुहणोत नैणसी
उत्तर : जयसोम
व्याख्या :
कर्मचन्द्र वंशोत्कीर्तककात्यम राजस्थान के इतिहास से सम्बंधित एक ऐतिहासिक रचना है। इसकी रचना जयसोम ने की थी। ‘कर्मचन्द्रवंशोत्कीर्तनकं काव्यं’ में रायसिंह को 'राजेन्द्र' कहा गया है।
प्रश्न 144 विजयसिंह की प्रेयसी गुलाबराय को किसने मारवाड़ की नूरजहां कहा -
  • (अ) कविराज श्यामलदास
  • (ब) मुंशी देवी प्रसाद
  • (स) डा. ओझा
  • (द) मुहणौत नैणसी
उत्तर : कविराज श्यामलदास
व्याख्या :
विजयसिंह पर अपनी पासवान गुलाबराय का अत्यधिक प्रभाव था, राजकार्य उसके इशारे से ही चलता था। अतः वीर विनोद के रचनाकार श्यामलदास ने विजयसिंह को ‘जहाँगीर का नमूना’ कहा है।
प्रश्न 145 निम्न में से किस महिला का संबंध खेजड़ी के वृक्षों की रक्षा से था -
  • (अ) अमृता देवी
  • (ब) करमा देवी
  • (स) गोरा देवी
  • (द) उपर्युक्त सभी
उत्तर : उपर्युक्त सभी
व्याख्या :
1730 ई. में जोधपुर के खेजड़ली गाँव में अमृता देवी के नेतृत्व में बारी-बारी से 363 लोग पेड़ों को पकड़ कर खड़े हो गए और महाराजा के कारिन्दों ने सभी को काट दिया। इस तरह पेड़ों की रक्षा करते हुए 363 लोग शहीद हो गए। गौरा देवी को 1986 ई. में वृक्ष मित्र पुरस्कार प्राप्त हुआ। गौरा देवी का जन्म 1925 में लता गांव (टिहरी) में हुआ था। वह चमोली में चिपको आंदोलन की संस्थापक महिला थीं।
प्रश्न 146 किसके शासनकाल में खेजड़ली आन्दोलन चला -
  • (अ) विजयसिंह
  • (ब) अभयसिंह
  • (स) डूंगरसिंह
  • (द) तख्तसिंह
उत्तर : अभयसिंह
व्याख्या :
अभयसिंह महाराजा अजीतसिंह का पुत्र था जो 1724 ई. में मारवाड़ का शासक बना। अभयसिंह ने बख्तसिंह को ‘राजाधिराज’ की उपाधि व नागौर का ठिकाना दिया। इसी के काल में 1730 ई. में जोधपुर के खेजड़ली गाँव में अमृता देवी के नेतृत्व में बारी-बारी से 363 लोग पेड़ों को पकड़ कर खड़े हो गए और महाराजा के कारिन्दों ने सभी को काट दिया। इस तरह पेड़ों की रक्षा करते हुए 363 लोग शहीद हो गए।
प्रश्न 147 महाराणा अजीत सिंह ने अपनी पुत्री इन्द्रकुंवरी का विवाह किस मुगल बादशाह से किया -
  • (अ) शाहजहां
  • (ब) आलमीर
  • (स) फर्रूखशियर
  • (द) मुहम्मदशाह रंगीला
उत्तर : फर्रूखशियर
व्याख्या :
राठौड़ों ने हुसैन अ्लीखाँ की शर्तों के अनुसार सन्धि (1715 ई.) कर ली, जिसमें अजीत ने अपनी लड़की का विवाह बादशाह के साथ करना स्वीकार किया और अपने लड़के अभयसिंह को बादशाह की सेवा में भेजा। उन्हें विवश होकर अपनी पुत्री इन्द्रकुँवरी का विवाह मुगल बादशाह फर्रूखशियर से करना पड़ा किंतु अवसर पाकर उन्होंने फर्रूखशियर की हत्या में प्रमुख भूमिका निभाई और अपनी पुत्री को विधवा करके जोधपुर ले आये।
प्रश्न 148 किस इतिहासकार ने वीर दुर्गादास राठौड़ को मारवाड़ का अणविन्दिया मोती कहा -
  • (अ) डा. ओझा
  • (ब) कर्नल टाॅड
  • (स) विलियम फ्रेंकलिन
  • (द) गोपीनाथ शर्मा
उत्तर : डा. ओझा
व्याख्या :
इतिहासकार डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने राजा अजीत सिंह को “कान का कच्चा” कहा है। वीर दुर्गादास राठौड़ को मारवाड़ का अणविन्दिया मोती कहा है।
प्रश्न 149 मारवाड़ की पन्ना किस महिला को कहा जाता है -
  • (अ) गोराधाय
  • (ब) रूपकंवर
  • (स) उमादे
  • (द) अमृतादे
उत्तर : गोराधाय
व्याख्या :
वीर दुर्गादास, गोरा धाय तथा मुकुंददास खींची ने अजीतसिंह को चुपके से दिल्ली से निकाल कर सिरोही राज्य के कालिन्द्री मंदिर में छिपा दिया। इस कार्य में मेवाड़ महाराणा राजसिंह सिसोदिया ने बड़ी सहायता की।
प्रश्न 150 माही भरातिव की उपाधि औरंगजेब ने किसे प्रदान की -
  • (अ) सूरजसिंह
  • (ब) अनूपसिंह
  • (स) रायसिंह
  • (द) डूंगरसिंह
उत्तर : अनूपसिंह
व्याख्या :
औरंगजेब की ओर से अनूपसिंह दक्षिण में गोलकुण्डा की लड़ाई में शामिल हुआ इसके अलावा आदूणी और औरंगाबाद में बादशाह की ओर से शासक रहा। औरंगजेब ने अनूपसिंह को ‘माही मरातिब’ की उपाधि दी। अनूपसिंह के अतिरिक्त महाराजा गजसिंह व महाराजा रतनसिंह को भी माहीमरातिब की उपाधि मिली थी।

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