राठौड़ वंश
- प्रश्न 147 महाराणा अजीत सिंह ने अपनी पुत्री इन्द्रकुंवरी का विवाह किस मुगल बादशाह से किया -
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- (अ) शाहजहां
- (ब) आलमीर
- (स) फर्रूखशियर
- (द) मुहम्मदशाह रंगीला
उत्तर : फर्रूखशियर
व्याख्या :
राठौड़ों ने हुसैन अ्लीखाँ की शर्तों के अनुसार सन्धि (1715 ई.) कर ली, जिसमें अजीत ने अपनी लड़की का विवाह बादशाह के साथ करना स्वीकार किया और अपने लड़के अभयसिंह को बादशाह की सेवा में भेजा। उन्हें विवश होकर अपनी पुत्री इन्द्रकुँवरी का विवाह मुगल बादशाह फर्रूखशियर से करना पड़ा किंतु अवसर पाकर उन्होंने फर्रूखशियर की हत्या में प्रमुख भूमिका निभाई और अपनी पुत्री को विधवा करके जोधपुर ले आये।
- प्रश्न 148 किस इतिहासकार ने वीर दुर्गादास राठौड़ को मारवाड़ का अणविन्दिया मोती कहा -
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- (अ) डा. ओझा
- (ब) कर्नल टाॅड
- (स) विलियम फ्रेंकलिन
- (द) गोपीनाथ शर्मा
उत्तर : डा. ओझा
व्याख्या :
इतिहासकार डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने राजा अजीत सिंह को “कान का कच्चा” कहा है। वीर दुर्गादास राठौड़ को मारवाड़ का अणविन्दिया मोती कहा है।
- प्रश्न 149 मारवाड़ की पन्ना किस महिला को कहा जाता है -
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- (अ) गोराधाय
- (ब) रूपकंवर
- (स) उमादे
- (द) अमृतादे
उत्तर : गोराधाय
व्याख्या :
वीर दुर्गादास, गोरा धाय तथा मुकुंददास खींची ने अजीतसिंह को चुपके से दिल्ली से निकाल कर सिरोही राज्य के कालिन्द्री मंदिर में छिपा दिया। इस कार्य में मेवाड़ महाराणा राजसिंह सिसोदिया ने बड़ी सहायता की।
- प्रश्न 150 माही भरातिव की उपाधि औरंगजेब ने किसे प्रदान की -
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- (अ) सूरजसिंह
- (ब) अनूपसिंह
- (स) रायसिंह
- (द) डूंगरसिंह
उत्तर : अनूपसिंह
व्याख्या :
औरंगजेब की ओर से अनूपसिंह दक्षिण में गोलकुण्डा की लड़ाई में शामिल हुआ इसके अलावा आदूणी और औरंगाबाद में बादशाह की ओर से शासक रहा। औरंगजेब ने अनूपसिंह को ‘माही मरातिब’ की उपाधि दी। अनूपसिंह के अतिरिक्त महाराजा गजसिंह व महाराजा रतनसिंह को भी माहीमरातिब की उपाधि मिली थी।
- प्रश्न 151 किस बीकानेर शासक ने भटनेर का नाम बदलकर हनुमानगढ़ रखा -
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- (अ) रायसिंह
- (ब) गंगासिंह
- (स) सूरतसिंह
- (द) कर्णसिंह
उत्तर : सूरतसिंह
व्याख्या :
सूरतसिंह ने 1804 में अमरचन्द सुराणा के नेतृत्व में भटनेर पर आक्रमण के लिए भेजा। जाब्ताखां ने बाध्य होकर बीकानेर के सरदारों से कहा हम पर आक्रमण न करने का वचन दिया जाए तो हम गढ़ छोडकर चले जाएंगे, ये वचन पाकर जाब्ताखां व सभी भट्टी गढ़ छोड़कर राजपुरा चले गए। 1805 में भटनेर पर बीकानेर का अधिकार हो गया। ये दुर्ग मंगलवार के दिन जीता गया था इसलिए इसका नाम हनुमानगढ़ कर दिया गया।
- प्रश्न 152 किस बीकानेर के नरेश को जांगलधर बादशाह की उपाधि प्रदान की गई -
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- (अ) कर्णसिंह
- (ब) गंगासिंह
- (स) लुणकरण सिंह
- (द) रायसिंह
उत्तर : कर्णसिंह
व्याख्या :
जब औरंगजेब अपने अधीन हिन्दु राजाओं को लेकर ईरान की ओर चला तो मार्ग में कर्णसिंह को अनेक षड्यंत्र की जानकारी हुई कि वह उन्हें इस्लाम में दीक्षित करवाने की इच्छा रखता है। जब बादशाह और राजपूत राजा अटक में डेरा डाले हुए थे तो कर्णसिंह ने योजना तैयार की कि जब बादशाह की सेनाएँ अटक नदी पारकर ले तो सारे हिन्दु सरदार नदी पार न करें और अपने अपने राज्य में लौट जाये। सभी सरदारों ने ऐसा ही किया और उन्होंने कर्णसिंह को जांगल धर बादशाह की उपाधि प्रदान की।
- प्रश्न 153 गंगासिंह ने गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम की स्थापना कहां की -
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- (अ) श्रीगंगानगर
- (ब) बीकानेर
- (स) जोधपुर
- (द) नागौर
उत्तर : बीकानेर
व्याख्या :
गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय की स्थापना सन् 1937 में महाराजा गंगासिंह ने की थी।
- प्रश्न 154 वह राजपूत शासक जिसने लंदन में हुए तीनों गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया -
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- (अ) महाराजा फतेहसिंह
- (ब) महाराजा राजसिंह
- (स) महाराजा गंगासिंह
- (द) महाराजा सज्जनसिंह
उत्तर : महाराजा गंगासिंह
व्याख्या :
महाराजा गंगासिंह तीनों गोलमेज सम्मेलनों (1930, 1931, 1932) में देशी राज्यों के प्रतिनिधित्व के रूप में भाग लिया था।
- प्रश्न 155 बीकानेर के शासक गंगासिंह ने अपनी सैनिक टुकड़ी ‘गंगा रिसाल’ को किस विद्रोह में भेजा -
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- (अ) अमेरीका
- (ब) चीन
- (स) अफगान
- (द) बांग्लादेश
उत्तर : चीन
व्याख्या :
1896-97 ई. में महाराजा डूंगरसिंह ने गंगा रिसाला (ऊँट सैनिक) दल का गठन किया।
1900 ई. में गंगासिंह गंगारिसाला सेना लेकर चीन रवाना हुये। भारतीय राजाओं में केवल गंगासिंह ही स्वयं चीन युद्ध में सम्मिलित हुए थे।
- प्रश्न 156 राजपूताना के किस शासक ने सिंचाई के लिए गंगनहर का निर्माण करवाया -
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- (अ) गंगासिंह
- (ब) सूरजसिंह
- (स) सरदारसिंह
- (द) अनूपसिंह
उत्तर : गंगासिंह
व्याख्या :
महाराजा गंगासिंह बीकानेर में गंगनहर लेकर आये, गंगनहर लाने के कारण गंगासिंह को आधुनिक भारत का भागीरथ कहा जाता है। गंगनहर का निर्माण कार्य 1927 ई में पूर्ण हुआ इसका उद्घाटन लार्ड इरविन ने किया, इस उद्घाटन में मदनमोहन मालवीय भी थे।
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