राठौड़ वंश
- प्रश्न 151 किस बीकानेर शासक ने भटनेर का नाम बदलकर हनुमानगढ़ रखा -
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- (अ) रायसिंह
- (ब) गंगासिंह
- (स) सूरतसिंह
- (द) कर्णसिंह
उत्तर : सूरतसिंह
व्याख्या :
सूरतसिंह ने 1804 में अमरचन्द सुराणा के नेतृत्व में भटनेर पर आक्रमण के लिए भेजा। जाब्ताखां ने बाध्य होकर बीकानेर के सरदारों से कहा हम पर आक्रमण न करने का वचन दिया जाए तो हम गढ़ छोडकर चले जाएंगे, ये वचन पाकर जाब्ताखां व सभी भट्टी गढ़ छोड़कर राजपुरा चले गए। 1805 में भटनेर पर बीकानेर का अधिकार हो गया। ये दुर्ग मंगलवार के दिन जीता गया था इसलिए इसका नाम हनुमानगढ़ कर दिया गया।
- प्रश्न 152 किस बीकानेर के नरेश को जांगलधर बादशाह की उपाधि प्रदान की गई -
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- (अ) कर्णसिंह
- (ब) गंगासिंह
- (स) लुणकरण सिंह
- (द) रायसिंह
उत्तर : कर्णसिंह
व्याख्या :
जब औरंगजेब अपने अधीन हिन्दु राजाओं को लेकर ईरान की ओर चला तो मार्ग में कर्णसिंह को अनेक षड्यंत्र की जानकारी हुई कि वह उन्हें इस्लाम में दीक्षित करवाने की इच्छा रखता है। जब बादशाह और राजपूत राजा अटक में डेरा डाले हुए थे तो कर्णसिंह ने योजना तैयार की कि जब बादशाह की सेनाएँ अटक नदी पारकर ले तो सारे हिन्दु सरदार नदी पार न करें और अपने अपने राज्य में लौट जाये। सभी सरदारों ने ऐसा ही किया और उन्होंने कर्णसिंह को जांगल धर बादशाह की उपाधि प्रदान की।
- प्रश्न 153 गंगासिंह ने गंगा गोल्डन जुबली म्यूजियम की स्थापना कहां की -
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- (अ) श्रीगंगानगर
- (ब) बीकानेर
- (स) जोधपुर
- (द) नागौर
उत्तर : बीकानेर
व्याख्या :
गंगा गोल्डन जुबली संग्रहालय की स्थापना सन् 1937 में महाराजा गंगासिंह ने की थी।
- प्रश्न 154 वह राजपूत शासक जिसने लंदन में हुए तीनों गोलमेज सम्मेलन में भाग लिया -
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- (अ) महाराजा फतेहसिंह
- (ब) महाराजा राजसिंह
- (स) महाराजा गंगासिंह
- (द) महाराजा सज्जनसिंह
उत्तर : महाराजा गंगासिंह
व्याख्या :
महाराजा गंगासिंह तीनों गोलमेज सम्मेलनों (1930, 1931, 1932) में देशी राज्यों के प्रतिनिधित्व के रूप में भाग लिया था।
- प्रश्न 155 बीकानेर के शासक गंगासिंह ने अपनी सैनिक टुकड़ी ‘गंगा रिसाल’ को किस विद्रोह में भेजा -
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- (अ) अमेरीका
- (ब) चीन
- (स) अफगान
- (द) बांग्लादेश
उत्तर : चीन
व्याख्या :
1896-97 ई. में महाराजा डूंगरसिंह ने गंगा रिसाला (ऊँट सैनिक) दल का गठन किया।
1900 ई. में गंगासिंह गंगारिसाला सेना लेकर चीन रवाना हुये। भारतीय राजाओं में केवल गंगासिंह ही स्वयं चीन युद्ध में सम्मिलित हुए थे।
- प्रश्न 156 राजपूताना के किस शासक ने सिंचाई के लिए गंगनहर का निर्माण करवाया -
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- (अ) गंगासिंह
- (ब) सूरजसिंह
- (स) सरदारसिंह
- (द) अनूपसिंह
उत्तर : गंगासिंह
व्याख्या :
महाराजा गंगासिंह बीकानेर में गंगनहर लेकर आये, गंगनहर लाने के कारण गंगासिंह को आधुनिक भारत का भागीरथ कहा जाता है। गंगनहर का निर्माण कार्य 1927 ई में पूर्ण हुआ इसका उद्घाटन लार्ड इरविन ने किया, इस उद्घाटन में मदनमोहन मालवीय भी थे।
- प्रश्न 157 निम्न में से वह शासक जिसने बीकानेरी भुजिया का प्रचलन किया तथा अंग्रेजों की शान में 800 ऊंट काबुल भेजे थे -
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- (अ) डूंगरसिंह
- (ब) गंगासिंह
- (स) रायसिंह
- (द) सूरजसिंह
उत्तर : डूंगरसिंह
व्याख्या :
डूंगरसिंह के समय बीकानेरी भुजिया प्रसिद्ध हुई। काबुल की दूसरी लड़ाई में 1878 में महाराजा ने अंग्रेजों की सहायता करते हुए 800 ऊंट भेजे थे।
- प्रश्न 158 निम्न में से किस शासक ने 1857 ई. की क्रान्ति के समय एक बहुत बड़ी सेना अंग्रेजों के पक्ष में अपने राज्य से बाहर भेजी -
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- (अ) सरदारसिंह
- (ब) सूरजसिंह
- (स) रतनसिंह
- (द) रायसिंह
उत्तर : सरदारसिंह
व्याख्या :
1857 ई. की क्रान्ति के समय सरदारसिंह ने तन, मन, धन से अंग्रेजों का साथ देने हेतु सेना लेकर रियासत से बाहर बांडलू (पंजाब) एवं हिसार (हरियाणा) गये थे। 1857 की क्रांति में एकमात्र सरदारसिंह ही शासक है जो स्वयं विद्रोहियों से युद्ध करने के लिए गये थे।
- प्रश्न 159 ‘मैंने मुट्ठी भर बाजरे के लिए हिन्दुस्तान की बादशाहत खो दी होती’ किसका कथन है -
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- (अ) अकबर
- (ब) बाबर
- (स) हुमायू
- (द) शेरशाह सूरी
उत्तर : शेरशाह सूरी
व्याख्या :
जैतारण (ब्यावर) के निकट गिरि-सुमेल नामक स्थान पर जनवरी, 1544 में मालदेव व शेरशाह की सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ जिसमें शेरशाह सूरी की बड़ी कठिनाई से विजय हुई। तब उसने कहा था कि “एक मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।” इस युद्ध में मालदेव के सबसे विश्वस्त वीर सेनानायक जैता एवं कूँपा मारे गए थे।
- प्रश्न 160 चिड़ियाटूक पहाड़ी पर मयूर आकृति में मेहरानगढ़ दुर्ग का निर्माण कराया -
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- (अ) राव चूड़ा
- (ब) राव मालदेव
- (स) राव जोधा
- (द) मोटाराजा उदयसिंह
उत्तर : राव जोधा
व्याख्या :
अपने राज्य की शक्ति संगठित करने के लिए राव जोधा ने अपने वृहत् राज्य की नयी राजधानी जोधपुर (सूर्य नगरी व नीली नगरी) में 1459 ई. में स्थापित की। राजधानी को सुरक्षित रखने के लिए चिड़िया टूक पहाड़ी पर नया दुर्ग भी बनवाया गया जिसे मेहरानगढ़ कहा गया।
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