मेवाड़ का गुहिल वंश
- प्रश्न 161 महाराण प्रताप का राज्याभिषेक हुआ था -
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- (अ) चित्तोड़गढ़ में
- (ब) निम्बाहेड़ा में
- (स) गोगुन्दा में
- (द) बड़ी सादड़ी में
उत्तर : गोगुन्दा में
व्याख्या :
गोगुन्दा में महादेव बावड़ी राणा प्रताप का 32 वर्ष की आयु में 28 फरवरी, 1572 को राज्याभिषेक किया गया। प्रताप कुछ समय के बाद कुम्भलगढ़ चला गया जहां राज्याभिषेक का उत्सव मनाया गया।
- प्रश्न 162 राण सांगा व बाबर के मध्य खानवा का युद्ध हुआ था -
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- (अ) 1527 में
- (ब) 1528 में
- (स) 1529 में
- (द) 1530 में
उत्तर : 1527 में
व्याख्या :
खानवा युद्ध राणा सांगा एवं मुगल सम्राट जहीरुद्दीन मुहम्मद बाबर के मध्य 17 मार्च, 1527 ई. को बयाना के पास (वर्तमान रूपबास) हुआ।
- प्रश्न 163 कर्नल जेम्स टाॅड ने निम्नलिखित में से किस युद्ध को ‘मेवाड़ का मेराथन’ कहकर पुकारा है -
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- (अ) हल्दीघाटी का युद्ध
- (ब) दिवेर का युद्ध
- (स) खानवा का युद्ध
- (द) सारंगपुर का युद्ध
उत्तर : दिवेर का युद्ध
व्याख्या :
‘अमरकाव्य’ के अनुसार 1582 ई. में राणा प्रताप ने मुगलों के विरुद्ध दिवेर (कुंभलगढ़) पर जबरदस्त आक्रमण किया। यहाँ का सूबेदार अकबर का काका सेरिमा सुल्तान खां था। जब कुंवर अमरसिंह ने अपना भाला सेरिमा सुल्तान पर मारा तो भाला सेरिमा के लोहे के बख्तर को चीरते हुए उसके शरीर में प्रवेश कर पार हो गया।
- प्रश्न 164 कुम्भा के विषय में निम्न में से कौन-सा कथन असत्य है -
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- (अ) वह स्वंय विद्वान नहीं था पर विद्वानों को आश्रय देता था।
- (ब) वह कुम्भल दुर्ग का निर्माता था।
- (स) वह संगीत प्रेमी था।
- (द) वह मेवाड़ के महान् शासकों में से एक था।
उत्तर : वह स्वंय विद्वान नहीं था पर विद्वानों को आश्रय देता था।
व्याख्या :
महाराणा कुम्भा न केवल वीर, युद्धकौशल में निपुण तथा कला प्रेमी थे वरन् एक विद्वान तथा विद्यानुरागी भी थे। महाराणा कुम्भा स्वंय वीणा बजाया करते थे। इनके संगीत गुरू सारंग व्यास थे। जबकी इनके गुरू जैन आचार्य हीरानंद थे।
- प्रश्न 165 मेवाड़ का भीष्म पितामह किसे कहा जाता है -
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- (अ) महाराणा लखा
- (ब) युवराज चूड़ा
- (स) मोकल
- (द) रणमल
उत्तर : युवराज चूड़ा
व्याख्या :
मेवाड़ का भीष्म पितामह युवराज चूड़ा को कहा जाता है क्योंकि उन्होंने हंशा बाई व पिता लाखा के विवाह की शर्त को पूरा करने के लिए आजीवन मेवाड़ सिहासन का संरक्षक बने रहने की प्रतिज्ञा की थी। भीष्म अथवा भीष्म पितामह महाभारत के सबसे महत्वपूर्ण पात्रों में से एक थे। भीष्म महाराजा शान्तनु और देव नदी गंगा की आठवीं सन्तान थे। उनका मूल नाम देवव्रत था। भीष्म में अपने पिता शान्तनु का सत्यवती से विवाह करवाने के लिए आजीवन ब्रह्मचर्य का पालन करने की भीषण प्रतिज्ञा की थी।
- प्रश्न 166 राणा कुम्भा को राजस्थान का ‘अभिनवभरताचार्य’ कहा गया है क्योंकि -
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- (अ) संगीत प्रेमी थे
- (ब) लिखने के प्रेमी थे
- (स) दुर्ग प्रेमी थे
- (द) युद्ध प्रेमी थे
उत्तर : संगीत प्रेमी थे
व्याख्या :
राणा कुंभा राजपूताना के सभी शासकों में सर्वोपरि है, इसलिए उसे ‘हिन्दु सुरताण’ तथा संगीत प्रेमी होने के कारण ‘अभिनव भारताचार्य’ व ‘वीणावादन प्रवीणेन’ कहा जाता है।
- प्रश्न 167 1903 एवं 1911 में आयोजित दिल्ली दरबार में राजस्थान के किस शासक ने भाग नहीं लिया था -
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- (अ) खेतड़ी के शासक अजीतसिंह
- (ब) मेवाड़ के महाराणा सज्जनसिंह
- (स) उदयपुर के महाराणा फतेहसिंह
- (द) महाराजा गंगासिंह
उत्तर : उदयपुर के महाराणा फतेहसिंह
व्याख्या :
1911 में भारत में जॉर्ज पंचम के आगमन पर, फतेह सिंह दिल्ली दरबार में भाग लेने के लिए दिल्ली गए, लेकिन केसरी सिंह बारहठ द्वारा लिखित चेतावणी रा चूंगत्या को पढ़ने के बाद दिल्ली दरबार में भाग लिए बिना मेवाड़ लौट आए।
- प्रश्न 168 अकबर ने महाराणा प्रताप को समझाने के लिये किसे प्रथम संदेशवाहक के रूप में भेजा -
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- (अ) मानसिंह
- (ब) भारमल
- (स) कमाल खां
- (द) जलाल खां
उत्तर : जलाल खां
व्याख्या :
अकबर ने अपनी गुजरात विजय के बाद अपने मनसबदार जलाल खाँ कोरची को राणा प्रताप के पास इस आशय से भेजा कि वह (राणा) अकबर की अधीनता स्वीकार कर ले। राणा प्रताप ने शिष्टता के साथ इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया।
- प्रश्न 169 अकबर ने दिसम्बर 1573 में प्रताप को समझाने के लिए किसे भेजा था -
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- (अ) जलाल खान
- (ब) मान सिंह
- (स) भगवंत दास
- (द) टोडरमल
उत्तर : टोडरमल
व्याख्या :
अकबर ने प्रताप को समझाने के लिए चार राजदूत नियुक्त किए जिसमें सर्वप्रथम सितम्बर 1572 ई. में जलाल खाँ प्रताप के खेमे में गया, इसी क्रम में मानसिंह (1573 ई. में ), भगवानदास ( सितम्बर, 1573 ई. में ) तथा राजा टोडरमल ( दिसम्बर,1573 ई. ) प्रताप को समझाने के लिए पहुँचे, लेकिन राणा प्रताप ने चारों को निराश किया, इस तरह राणा प्रताप ने मुगलों की अधीनता स्वीकार करने से मना कर दिया जिसके परिणामस्वरूप हल्दी घाटी का ऐतिहासिक युद्ध हुआ।
- प्रश्न 170 मुगल-मेवाड़ संधि 1615 .......... के मध्य हुई -
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- (अ) अकबर एवं प्रताप
- (ब) अकबर एवं उदयसिंह
- (स) जहांगीर एवं अमरसिंह
- (द) औरंगजेब एवं अजीतसिंह
उत्तर : जहांगीर एवं अमरसिंह
व्याख्या :
राज्य की हालत दुष्काल से भी अधिक भयंकर बन गयी। अब तक मेवाड़ युद्धों के कारण जर्जर हो चुका था। अतः सभी सामंतों, दरबारियों एवं कुंवर कर्णसिंह के निवेदन पर राणा अमरसिंह ने अपना मन मारकर मुगलों से 5 फरवरी, 1615 ई. में मुगल-मेवाड़ संधि की। अमरसिंह मुगलों से संधि करने वाला मेवाड़ का प्रथम शासक था। मुगल बादशाह जहाँगीर और मेवाड़ के राणा अमर सिंह के मध्य चित्तौड़ की संधि (1615 ई-) हस्ताक्षरित हुई थी।
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