राठौड़ वंश
- प्रश्न 161 मारवाड़ की राजकुमारी हंसाबाई का विवाह मेवाड़ के किस शासक से हुआ -
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- (अ) राणा हम्मीर
- (ब) राणा लाखा
- (स) राणा सातल
- (द) राणा कुम्भा
उत्तर : राणा लाखा
व्याख्या :
राव चूड़ा ने अपनी पुत्री हंसाबाई का विवाह मेवाड़ के शासक राणा लाखा के साथ किया।
- प्रश्न 162 सुमेल का युद्ध किनके बीच लड़ा गया -
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- (अ) राव मालदेव व शेरशाह
- (ब) राव गांगा व बाबर
- (स) राव जोधा व शेरशाह
- (द) रायसिंह व जहांगीर
उत्तर : राव मालदेव व शेरशाह
व्याख्या :
जैतारण (ब्यावर) के निकट गिरि-सुमेल नामक स्थान पर जनवरी, 1544 में मालदेव व शेरशाह की सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ जिसमें शेरशाह सूरी की बड़ी कठिनाई से विजय हुई। तब उसने कहा था कि “एक मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।” इस युद्ध में मालदेव के सबसे विश्वस्त वीर सेनानायक जैता एवं कूँपा मारे गए थे।
- प्रश्न 163 ‘हशमत वाला राजा’ किस शासक को कहा जाता है -
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- (अ) राव मालदेव
- (ब) दुर्गादास
- (स) जयसिंह
- (द) उदयसिंह
उत्तर : राव मालदेव
व्याख्या :
हशमत एक अरबी शब्द है, हिंदी में इसका मतलब गर्व या श्रेष्ठता होता है। राव मालदेव को फारसी इतिहासकारों ने हशमत वाला बादशाह कहा है।
- प्रश्न 164 जोधपुर महाराजा अभसिंह और सर बुलन्द खां के बीच हुए अहमदाबाद युद्ध का आंखों देखा वर्णन किस ग्रंथ में मिलता है -
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- (अ) तारीक-ए-बुलन्द
- (ब) वंश भास्कर
- (स) राज रूपक
- (द) बेली अभसिंह की
उत्तर : राज रूपक
व्याख्या :
राज रूपक, वीरभान द्वारा लिखी गई एक डिंगल रचना है। यह रचना साल 1787 में जोधपुर के राजा अभय सिंह और गुजरात के सूबेदार सरबुलंद खान के बीच हुए युद्ध का वर्णन करती है।
- प्रश्न 165 मालदेव के दो सेनानायक जो शेरशाह के विरूद्ध गिरी-सुमेल के युद्ध में प्रबल रूप से लड़े -
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- (अ) गोरा व बादल
- (ब) जैता व पूंजा
- (स) जैता व कुम्पा
- (द) रणमल और झाला
उत्तर : जैता व कुम्पा
व्याख्या :
जैतारण (ब्यावर) के निकट गिरि-सुमेल नामक स्थान पर जनवरी, 1544 में मालदेव व शेरशाह की सेनाओं के मध्य युद्ध हुआ जिसमें शेरशाह सूरी की बड़ी कठिनाई से विजय हुई। तब उसने कहा था कि “एक मुट्ठी भर बाजरे के लिए मैं हिन्दुस्तान की बादशाहत खो देता।” इस युद्ध में मालदेव के सबसे विश्वस्त वीर सेनानायक जैता एवं कूँपा मारे गए थे।
- प्रश्न 166 किस शासक ने 1544 ई. में बीकानेर का पुनराधिकार राव जैतसी के पुत्र कल्याणमल को दिया -
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- (अ) राणा लाखा
- (ब) राणा हम्मिर
- (स) शेरशाह
- (द) राव मालदेव
उत्तर : शेरशाह
व्याख्या :
1544 ई. के गिरी सुमेल के युद्ध में मालदेव की हार हुई व जोधपुर पर शेरशाह का अधिकार हो गया और कल्याणमल को भी शेरशाह की सहायता से बीकानेर वापस मिल गया।
- प्रश्न 167 निम्न में से मारवाड़ के किस शासक ने खानवा के युद्ध में महाराणा सांगा को सहायता प्रदान की थी -
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- (अ) राव सातल देव
- (ब) राव गंगा
- (स) राव मालदेव
- (द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : राव गंगा
व्याख्या :
राव सूजा के बाद उसका पौत्र राव गांगा मारवाड़ का शासक बना। उसने राणा सांगा से मित्रता कर अपनी समस्याओं का अंत किया। जब खानवा का युद्ध (1527 ई.) हुआ तो राव गांगा ने अपने पुत्र राव मालदेव के नेतृत्व में 4000 सैनिक भेजकर राणा सांगा की मदद की।
- प्रश्न 168 कर्नल टाॅड ने किसे ‘राठौड़ों का यूलीसैस’ कहा-
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- (अ) राव चन्द्रसेन
- (ब) जसवन्त सिंह
- (स) दुर्गादास
- (द) अजीत सिंह
उत्तर : दुर्गादास
व्याख्या :
जेम्स टॉड ने वीर दुर्गादास राठौड़ को “राठौड़ों का यूलीसैस” कहा है।
- प्रश्न 169 इतिहासकार डा. गौरीशंकर हीरचन्द ओझा ने किस राजा को ‘कान का कच्चा’ कहा है -
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- (अ) अजीत सिंह
- (ब) सज्जन सिंह
- (स) रायसिंह
- (द) चन्द्रसेन
उत्तर : अजीत सिंह
व्याख्या :
इतिहासकार डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने राजा अजीत सिंह को “कान का कच्चा” कहा है।
- प्रश्न 170 बीकानेर शासक कर्णसिंह किसके समकालीन थे-
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- (अ) जहांगीर, शाहजहां
- (ब) शाहजहां, औरंगजेब
- (स) अकबर, जहांगीर
- (द) हुमायु, अकबर
उत्तर : शाहजहां, औरंगजेब
व्याख्या :
महाराजा कर्णसिंह का शासन काल 1631 से 1669 ई. तक रहा। शाहजहां ने 1648-49 में कर्णसिंह की मनसबदारी बढ़ाकर 2 हजार जात व 2 हजार सवार कर दी व दौलताबाद का किलेदार भी नियुक्त किया, इसके 1 वर्ष बाद इसकी मनसबदारी बढ़ाकर ढाई हजार जात व ढाई हजार सवार कर दी व 1652 में कर्णसिंह की मनसबदारी 3 हजार जात व 2 हजार सवार कर दी। औरंगजेब ने कर्णसिंह को औरंगाबाद भेज दिया। वहाँ कर्णसिंह ने अपने नाम पर कर्णपुरा गांव बसाया व केसरीसिंहपुरा व पदमपुरा गांव भी बसाये।
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