राठौड़ वंश
- प्रश्न 169 इतिहासकार डा. गौरीशंकर हीरचन्द ओझा ने किस राजा को ‘कान का कच्चा’ कहा है -
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- (अ) अजीत सिंह
- (ब) सज्जन सिंह
- (स) रायसिंह
- (द) चन्द्रसेन
उत्तर : अजीत सिंह
व्याख्या :
इतिहासकार डॉ. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा ने राजा अजीत सिंह को “कान का कच्चा” कहा है।
- प्रश्न 170 बीकानेर शासक कर्णसिंह किसके समकालीन थे-
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- (अ) जहांगीर, शाहजहां
- (ब) शाहजहां, औरंगजेब
- (स) अकबर, जहांगीर
- (द) हुमायु, अकबर
उत्तर : शाहजहां, औरंगजेब
व्याख्या :
महाराजा कर्णसिंह का शासन काल 1631 से 1669 ई. तक रहा। शाहजहां ने 1648-49 में कर्णसिंह की मनसबदारी बढ़ाकर 2 हजार जात व 2 हजार सवार कर दी व दौलताबाद का किलेदार भी नियुक्त किया, इसके 1 वर्ष बाद इसकी मनसबदारी बढ़ाकर ढाई हजार जात व ढाई हजार सवार कर दी व 1652 में कर्णसिंह की मनसबदारी 3 हजार जात व 2 हजार सवार कर दी। औरंगजेब ने कर्णसिंह को औरंगाबाद भेज दिया। वहाँ कर्णसिंह ने अपने नाम पर कर्णपुरा गांव बसाया व केसरीसिंहपुरा व पदमपुरा गांव भी बसाये।
- प्रश्न 171 ‘मुगल बादशाह अपनी विजयों में से आधी के लिए राठौड़ों की एक लाख तलवारों के अहसानमन्द थे’ ये कथन कहा है -
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- (अ) डा. हाॅर्नली
- (ब) कर्नल टाॅड
- (स) टामसलिन
- (द) डा. रामशंकर त्रिपाठी
उत्तर : कर्नल टाॅड
व्याख्या :
‘मुगल बादशाह अपनी विजयों में से आधी के लिए राठौड़ों की एक लाख तलवारों के अहसानमन्द थे’ ये कथन कर्नल टाॅड का था।
- प्रश्न 172 मुगल सम्राट जहांगीर ने ‘दलथम्भन’ की उपाधि किसे प्रदान की -
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- (अ) सूरसिंह
- (ब) जेत्रसिंह
- (स) गजसिंह
- (द) रायसिंह
उत्तर : गजसिंह
व्याख्या :
मुग़ल सम्राट जहाँगीर ने गजसिंह की वीरता से प्रसन्न होकर उन्हें ‘दलथंभन’ (फौज को रोकने वाला) की उपाधि दी एवं उनके घोड़े को शाही दाग से मुक्त कर दिया।
- प्रश्न 173 बीकानेर के रायसिंह ने किन दो मुगल बादशाहों की सेवा की थी -
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- (अ) अकबर और जहांगीर
- (ब) जहांगीर और शाहजहां
- (स) शाहजहां और औरंगजेब
- (द) बाबर और हुमायू
उत्तर : अकबर और जहांगीर
व्याख्या :
रायसिंह ने अपनी उपाधि ‘महाराजाधिराज व महाराजा’ रखी। अकबर ने रायसिंह ‘राय’ उपाधि व 4000 मनसब दी। अक्टुबर 1605 को अकबर की मृत्यु हुई, सलिम जहांगीर नाम से बादशाह बना, बादशाह बनते ही रायसिंह की मनसबदारी जो अकबर के समय 4000 थी बढ़ाकर 5000 कर दी गई।
- प्रश्न 174 किस राजपूत शासक ने मुगलों के विरूद्ध निरंतर स्वतंत्रता का संघर्ष जारी रखा और समर्पण नहीं किया -
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- (अ) बीकानेर के रायसिंह
- (ब) मेवाड़ के उदयसिंह
- (स) मारवाड़ के राव चन्द्रसेन
- (द) आमेर के मानसिंह
उत्तर : मारवाड़ के राव चन्द्रसेन
व्याख्या :
राव चन्द्रसेन अकबरकालीन राजस्थान का प्रथम स्वतन्त्र प्रकृति का शासक था। इतिहास में समुचित महत्व न मिलने के कारण चन्द्रसेन को ‘मारवाड़ का भूला बिसरा नायक’ कहा जाता है।
- प्रश्न 175 1572-73 ई. में अकबर ने जोधपुर किसको सुपर्द किया -
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- (अ) बीकानेर के रायसिंह को
- (ब) उदयसिंह को
- (स) राव जोधा को
- (द) आमेर के मानसिंह को
उत्तर : बीकानेर के रायसिंह को
व्याख्या :
मारवाड़ की राजनीतिक स्थिति ‘नागौर दरबार’ के बाद स्पष्ट थी। अकबर ने बीकानेर के रायसिंह को जोधपुर का अधिकारी नियुक्त कर महाराणा कीका को मारवाड़ से सहायता मिलने या इस मार्ग से गुजरात में हानि पहुँचाने की सम्भावना समाप्त कर दी।
- प्रश्न 176 सुमेल का युद्ध लड़ा गया -
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- (अ) जनवरी, 1544 ई.
- (ब) मार्च, 1544 ई.
- (स) मई, 1544 ई.
- (द) दिसम्बर 1544 ई.
उत्तर : जनवरी, 1544 ई.
व्याख्या :
1544 ई. के गिरी सुमेल के युद्ध में मालदेव की हार हुई व जोधपुर पर शेरशाह का अधिकार हो गया और कल्याणमल को भी शेरशाह की सहायता से बीकानेर वापस मिल गया।
- प्रश्न 177 राठौड़ शब्द निम्न में से बना है जो दक्षिण की एक जाति थी -
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- (अ) मराठा
- (ब) राष्ट्रकुल
- (स) राष्ट्रकूट
- (द) कोई नहीं
उत्तर : राष्ट्रकूट
व्याख्या :
‘राठौड़’ शब्द संस्कृत के राष्ट्रकूट से बना है। राष्ट्रकूट का प्राकृत रूप ‘रट्टऊड’ है जिससे ‘राडउड' या 'राठौड़’ बनता है।
- प्रश्न 178 ‘कलियुग का कर्ण’ किसे कहते हैं -
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- (अ) कल्याणमल
- (ब) मालदेव
- (स) लूणकरण
- (द) कुंभा
उत्तर : लूणकरण
व्याख्या :
बीठू सूजा (राव जैतसिंह के दरबारी) द्वारा लिखित ‘जैतसी रो छंद’ में लूणकरण को कलयुग का कर्ण कहा गया है।
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