मेवाड़ का गुहिल वंश
- प्रश्न 171 अकबर ने चित्तौड़ के किले पर कब अधिकार किया है -
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- (अ) 25 फरवरी, 1568 ई.
- (ब) 28 फरवरी, 1572 ई.
- (स) 6 जून, 1575 ई.
- (द) 15 जनवरी, 1576 ई.
उत्तर : 25 फरवरी, 1568 ई.
व्याख्या :
25 फरवरी, 1568 को अकबर ने किले पर अधिकार कर लिया। जयमल और पत्ता की वीरता पर मुग्ध होकर अकबर ने आगरा जाने पर हाथियों पर चढ़ी हुई उनकी पाषाण की मूर्तियाँ बनवा कर किले के द्वार पर खड़ी करवाई।
- प्रश्न 172 हल्दीघाटी के युद्ध में महाराणा प्रताप की रक्षा किसने की -
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- (अ) मानसिंह
- (ब) झाला बीदा
- (स) भामाशाह
- (द) शक्तिसिंह
उत्तर : झाला बीदा
व्याख्या :
राणा के युद्ध क्षेत्र से हटने से पूर्व सादड़ी का झाला बीदा राणा के सिर से छत्र खींचकर स्वयं धारण कर मानसिंह के सैनिकों पर झपट पड़ा और लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुआ।
- प्रश्न 173 सिसोदिया वंश का शासन निम्न में से किस रियासत पर था-
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- (अ) झालावाड़
- (ब) प्रतापगढ़
- (स) अलवर
- (द) किशनगढ़
उत्तर : प्रतापगढ़
व्याख्या :
प्रतापगढ़ रियासत पर सिसोदिया वंश का शासन था।
- प्रश्न 174 वह शासक कौनसा है, जिसे सिपाही का अंश कहा जाता है तथा कर्नल टाॅड ने जिसे सैनिक भग्नावशेष की संज्ञा दी है -
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- (अ) महाराणा प्रताप
- (ब) राणा सांगा(संग्राम सिंह)
- (स) महाराणा सज्जन सिंह
- (द) बाघ सिंह
उत्तर : राणा सांगा(संग्राम सिंह)
व्याख्या :
इतिहास में महाराणा सांगा का नाम ‘अन्तिम भारतीय हिन्दू सम्राट’ के रूप में अमर है। कर्नल टॉड ने राणा सांगा को ‘सैनिक भग्नावशेष’ कहा है।
- प्रश्न 175 ‘विषमघाटी पंचानन’ की उपाधि दी जाती है -
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- (अ) राणा लाखा को
- (ब) राणा कुम्भा को
- (स) राणा सांगा को
- (द) राणा हम्मीर को
उत्तर : राणा हम्मीर को
व्याख्या :
हम्मीर को मेवाड़ का उद्धारक और किर्ति स्तम्भ प्रशस्ति में विषम घाटी पंचानन की उपाधि दी गई है।
- प्रश्न 176 अभिनव भरताचार्य के नाम से जाना जाता है -
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- (अ) महाराणा कुम्भा
- (ब) महाराणा सांगा
- (स) महाराणा प्रताप
- (द) पृथ्वीराज चौहान
उत्तर : महाराणा कुम्भा
व्याख्या :
कुम्भा को अभिनव भरताचार्य, राणा रासौ, दानगुरू, हालगुरू, रामरायण, महाराजाधिराज, राजगुरू, परमगुरू, छापगुरू आदि उपाधियां प्राप्त थी।
- प्रश्न 177 चित्तौड़ को राजधानी बनाने वाला प्रथम गुहिल शासक था -
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- (अ) बप्पा रावल
- (ब) जैत्रसिंह
- (स) महाराणा कुम्भा
- (द) अल्लट
उत्तर : जैत्रसिंह
व्याख्या :
जैत्रसिंह गुहिल वंश के प्रतापी शासक हुए जिसने पहली बार चित्तौड़ को मेवाड़ की राजधानी बनाया।
- प्रश्न 178 महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को कौन से युद्ध में पराजित किया -
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- (अ) पानीपत
- (ब) खातोली
- (स) नागौर
- (द) उदयपुर
उत्तर : खातोली
व्याख्या :
मेवाड़ के महाराणा सांगा एवं दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी की महत्त्वाकांक्षाओं के फलस्वरूप दोनों के मध्य 1517 ई. में ‘खातोली’ (पीपल्दा तहसील, कोटा) में युद्ध हुआ। महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया।
- प्रश्न 179 अकबर की बन्दूक का नाम क्या था, जिससे अकबर ने चित्तोड़ दुर्ग रक्षक जयमल को घायल किया -
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- (अ) संग्राम
- (ब) बीठली
- (स) बिजली
- (द) हुंकार
उत्तर : संग्राम
व्याख्या :
अकबर की सेना ने जब चित्तोड़ पर आक्रमण किया तो,उदयसिंह चित्तोड़ की रक्षा का भार सेनापति जयमल राठौड़ व वीर फत्ता सिसोदिया के उपर छोड़ कुछ कारणवश जंगलों में चले गए, ओर अकबर की सेना करीब 8 महिनों तक किले में प्रवेश करने में असफल रहे,1568 में जयमल राठौड़ को रात में किले की मरम्मत करते समय संग्राम नामक बंदूक से गोली लगने से घायल हो गए,ये दिन में युद्ध करतें व रातों-रात किले के की दिवारो को युद्ध से टूट जाने पर दुरस्त कर दते थे। जब इन्हें लगा अब हमें अन्तिम लड़ाई लड़नी है या तो जीत या हार,तो जयमल व फत्ता के नेतृत्व में राजपूतों ने केसरिया किया तथा फत्ता की पत्नी फूलकंवर के नेतृत्व में चित्तोड़ की महिलाओं ने जोहर किया,यह मेवाड़ का तृतीय वर्ष अन्तिम साका था,इस युद्ध में जयमल राठौड़ घायल हो गए फिर भी वह अपने भतिजे वीर कल्ला जी राठौड़ के कंधे पर सवार होकर अंतिम समय तक लड़ते रहे,वीर कल्ला जी को चार हाथो वाला देवता की उपाधि मिली,इस युद्ध में अकबर सेनापति जयमल राठौड़ व वीर फत्ता सिसोदिया की वीरता से खुश होकर आगरा किले के बाहर गजारूढ मुर्ति बनवाने का आदेश देते हैं, जिन्होने राजा की अनुपस्थिति में राष्ट्र की रक्षा हेतु अपने प्राणों का बलिदान किया।
- प्रश्न 180 निम्नलिखित में से मेवाड़ के किस शासक को शिशु अवस्था में पन्ना धाय ने अपने पुत्र का बलिदान देकर बचाया -
JSA Ballistic-2019(Rajasthan Gk) -
- (अ) महाराणा प्रताप
- (ब) राणा कुम्भा
- (स) महाराणा उदयसिंह
- (द) महाराणा मोकल
उत्तर : महाराणा उदयसिंह
व्याख्या :
विक्रमादित्य की हत्या कर राणा रायमल के पुत्र पृथ्वीराज का अनौरस पुत्र बनवीर शासक बन बैठा। वह उदयसिंह की हत्या करना चाहता था लेकिन उसकी धाय मां पन्ना ने उदयसिंह की जगह अपने बेटे चन्दन का बलिदान दिया, जो स्वामी भक्ति का अद्वितीय उदाहरण है।
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