राठौड़ वंश
- प्रश्न 189 सूची-I को सूची-II से सुमेलित कीजिए :
नीचे दिए गए विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनिए :सूची-I
शासकसूची-II
शासन काल(a) राव बीका (i) 1526 - 1541 AD (b) राव लूणकरण (ii) 1465 - 1540 AD (c) राव जैतसी (iii) 1541 - 1574 AD (d) राव कल्याणमल (iv) 1505 - 1526 AD
Stenographer Exam 2024 (Paper - I) -
- (अ) (a) - (ii), (b) - (i), (c) - (iv), (d) - (iii)
- (ब) (a) - (i), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (iv)
- (स) (a) - (ii), (b) - (iv), (c) - (i), (d) - (iii)
- (द) (a) - (iv), (b) - (ii), (c) - (iii), (d) - (i)
उत्तर : (a) - (ii), (b) - (iv), (c) - (i), (d) - (iii)
व्याख्या :
राव बीका का शासन काल 1465 - 1540 AD था।
राव लूणकरण का शासन काल 1505 - 1526 AD था।
राव जैतसी का शासन काल 1526 - 1541 AD था।
राव कल्याणमल का शासन काल 1541 - 1574 AD था।
- प्रश्न 190 मुंशी देवी प्रसाद ने किसे ‘राजपूताने का कर्ण’ कहा -
Junior Instructor(CLIT) Exam 2024 -
- (अ) रायसिंह
- (ब) उदयसिंह
- (स) लूणकरण
- (द) चन्द्रसेन
उत्तर : रायसिंह
व्याख्या :
रायसिंह के समय में घोर त्रिकाल पड़ा, जिसमें हजारों व्यक्ति एवं पशु मारे गए। महाराजा ने व्यक्तियों के लिए जगह-जगह ‘सदाव्रत’ खोले एवं पशुओं के लिए चारे-पानी की व्यवस्था की। इसलिए मुंशी देवी प्रसाद ने इसे ‘राजपूताने का कर्ण’ की संज्ञा दी है।
- प्रश्न 191 बीकानेर के शासक अनूपसिंह को औरंगजेब ने कौन-सी उपाधि प्रदान की -
Junior Instructor (EC) Exam 2024 -
- (अ) माही रखब
- (ब) माही मरातव
- (स) माही विजेता
- (द) ब्रत सराव
उत्तर : माही मरातव
व्याख्या :
औरंगजेब की ओर से अनूपसिंह दक्षिण में गोलकुण्डा की लड़ाई में शामिल हुआ इसके अलावा आदूणी और औरंगाबाद में बादशाह की ओर से शासक रहा। औरंगजेब ने अनूपसिंह को ‘माही मरातिब’ की उपाधि दी। माहीमरातिब की उपाधि फारस के बादशाह नौशेरवा के पौत्र खुसरो परवेज ने सर्वप्रथम इसका प्रारम्भ किया था। अनूपसिंह के अतिरिक्त महाराजा गजसिंह व महाराजा रतनसिंह को भी माहीमरातिब की उपाधि मिली थी।
- प्रश्न 192 1587 ई. में मोटा राजा उदयसिंह ने अपनी पुत्री का विवाह किस मुगल राजकुमार के साथ किया था -
Junior Instructor (ED) Exam 2024 -
- (अ) अकबर
- (ब) जहाँगीर
- (स) दानियाल
- (द) मुराद
उत्तर : जहाँगीर
व्याख्या :
राव चंद्रसेन की मृत्यु के बाद जोधपुर राज्य (1581-1583 ई.) तीन वर्ष तक खालसा रहा। तीन वर्ष बाद अकबर द्वारा उदयसिंह को मारवाड़ राज्य का अधिकार खिलअत और खिताब सहित 1583 ई. में दे दिया। इस प्रकार मोटाराजा उदयसिंह मारवाड़ का प्रथम शासक था जिसने मुगलों की अधीनता स्वीकार की और मुगल राज्य की कृपा प्राप्त की थी। मोटाराजा उदयसिंह न 1587 ई. में अपनी पुत्री ‘मानबाई’ का विवाह शहजाद सलीम (जहांगीर) के साथ किया।
- प्रश्न 193 जोधपुर के राठौड़ वंश का मूल संस्थापक कौन था -
Junior Instructor (ED) Exam 2024 -
- (अ) बप्पा
- (ब) सीहा
- (स) चूण्डा
- (द) गाँगा
उत्तर : सीहा
व्याख्या :
मारवाड़ के राठौड़ वंश की स्थापना 1240 ई. में राव सीहा के द्वारा की गई। बीठू गांव (पाली) के ‘देवल अभिलेख’ के अनुसार राव सीहा कुंवर सेतराम का पुत्र था और उसकी सोलंकी वंश की पार्वती नामक रानी थी। राव सीहा की मृत्यु 1273 ई. में तब हुई जब वह मुसलमानों के विरुद्ध पाली प्रदेश की रक्षा कर रहा था। इस इस युद्ध को लाख झंवर या लाखा झंवर के नाम से भी जाना जाता है।
- प्रश्न 194 अकबर ने चन्द्रसेन के दमन हेतु किसे जोधपुर का प्रशासक नियुक्त किया -
Junior Instructor ((ESR) Exam 2024 -
- (अ) उदयसिंह
- (ब) रायसिंह
- (स) राजा मानसिंह
- (द) शहजादा सलीम
उत्तर : रायसिंह
व्याख्या :
मारवाड़ की राजनीतिक स्थिति ‘नागौर दरबार’ के बाद स्पष्ट थी। अकबर ने बीकानेर के रायसिंह को जोधपुर का अधिकारी नियुक्त कर महाराणा कीका को मारवाड़ से सहायता मिलने या इस मार्ग से गुजरात में हानि पहुँचाने की सम्भावना समाप्त कर दी।
- प्रश्न 195 कॉलम I में राजवंश का कॉलम II में संस्थापक के साथ मिलान करें।
कॉलम I (राजवंश) कॉलम II (संस्थापक) 1. राठौड़ a. चूडामन 2. चौहान b. दुलह राय 3. जाट c. वासुदेव 4. कच्छवाहा d. सिहा
Junior Instructor (Fitter) Exam 2024 -
- (अ) 1-a, 2-b, 3-c, 4-d
- (ब) 1-d, 2-c, 3-a, 4-b
- (स) 1-c, 2-d, 3-b, 4-a
- (द) 1-b, 2-a, 3-d, 4-c
उत्तर : 1-d, 2-c, 3-a, 4-b
व्याख्या :
राठौड़ – सिहा
चौहान – वासुदेव
जाट – चूड़ामन
कच्छवाहा – दूल्हा राय
- प्रश्न 196 1715 ई. में मारवाड़ के अजीत सिंह ने अपनी पुत्री इन्द्रकंवरी का विवाह किस मुगल सम्राट से किया -
Junior Instructor (MDE) Exam 2024 -
- (अ) फर्रूखसियार
- (ब) शाह आलम-I
- (स) आलमगीर-II
- (द) जहांदार शाह
उत्तर : फर्रूखसियार
व्याख्या :
राठौड़ों ने हुसैन अ्लीखाँ की शर्तों के अनुसार सन्धि (1715 ई.) कर ली, जिसमें अजीत ने अपनी लड़की का विवाह बादशाह के साथ करना स्वीकार किया और अपने लड़के अभयसिंह को बादशाह की सेवा में भेजा। उन्हें विवश होकर अपनी पुत्री इन्द्रकुँवरी का विवाह मुगल बादशाह फर्रूखशियर से करना पड़ा किंतु अवसर पाकर उन्होंने फर्रूखशियर की हत्या में प्रमुख भूमिका निभाई और अपनी पुत्री को विधवा करके जोधपुर ले आये। उन्होंने इन्द्रकुंवरी का फिर से हिन्दूधर्म में शुद्धिकरण किया और उसका विवाह एक क्षत्रिय युवक से कर दिया। यह अंतिम मुगल-मारवाड़ विवाह माना जाता है।
- प्रश्न 197 मारवाड़ के राव चूण्डा के सम्बन्ध में निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिए एवं निम्नांकित में से सही विकल्प का चयन कीजिए :
A. राव चूण्डा को मण्डोर दहेज में प्राप्त हुआ।
B. राव चूण्डा की मृत्यु के तुरंत पश्चात् राव रणमल राजगद्दी पर आसीन हुआ।
Raj. State and Sub. Services Comb. Comp. (Pre) Exam - 2024 -
- (अ) केवल A सत्य है।
- (ब) केवल B सत्य है।
- (स) A और B दोनों सत्य हैं।
- (द) A और B दोनों असत्य हैं।
उत्तर : केवल A सत्य है।
व्याख्या :
इंदा परिहार ने मण्डौर यवन-मुसलमानों से छीनकर राव चूँडा को दहेज में दे दिया और यह शर्त रखी कि उनके 84 गांव में राठौड़ हस्तक्षेप नहीं करेंगे। एक प्रकार से राव चूड़ा को अपना सामंत बनाया। इस प्रकार मारवाड़ में सामंत प्रथा का संस्थापक राव चूड़ा को मना जाता है।
राव चूड़ा ने अपनी रानी किशोरी देवी (चौहान शासक राव मेघराज की पुत्री) के पुत्र कान्हा को उत्तराधिकारी घोषित कर दिया। किन्तु किशोरी देवी के पुत्र कान्हा ने मात्र 11 माह का राज्य किया और मृत्यु को प्राप्त हो गया।
चूँडा का ज्येष्ठ पुत्र होते हुए भी रणमल को कान्हा के पक्ष में अपना राज्याधिकार छोड़ना पड़ा था।
- प्रश्न 198 ‘राव-जैतसी-रो-छन्द’ के अनुसार, बीकानेर के शासक राव जैतसी ने निम्न में से किसे परास्त किया था -
Raj. State and Sub. Services Comb. Comp. (Pre) Exam - 2024 -
- (अ) हुमायूँ
- (ब) कामरान
- (स) शेरशाह
- (द) अकबर
उत्तर : कामरान
व्याख्या :
राव जैतसी (बीकानेर के शासक, 1526-1542) ने कामरान (हुमायूँ के भाई) को परास्त किया था, जैसा कि राव-जैतसी-रो-छंद में वर्णित है।
भटनेर से कामरान की फौज बीकानेर की ओर रवाना हुई, जैतसिंह बड़ी सेना का सामना करना उचित न समझ कर दूर हट गया, भोजराज रूपावत बीकानेर के पुराने गढ़ की रक्षा करते हुए मारे गए, गढ़ पर मुगलों का अधिकार हो गया, जैतसिंह ने एक सेना तैयार करके 26 अक्टुबर 1534 को रात्रि के समय मुगलों पर आक्रमण कर दिया, राठौड़ों के इस आक्रमण को मुगल सेना सहन नहीं कर पाई और लाहौर की ओर भाग गई।
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