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राजस्थान की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था

प्रश्न 21 निम्नलिखित में से असत्य कथन नहीं है -
  • (अ) एक राजा का दूसरे राजा के साथ किया जाने वाला पत्र व्यवहार रूक्का कहलाता था।
  • (ब) बादशाह की मौजूदगी में शहजादे द्वारा जारी किया गया शाही आदेश-मन्सूर कहलाता था।
  • (स) मुगल बादशाह द्वारा अपने अधीनस्थ को जागीर प्रदान करने की लिखित स्वीकृति वाक्य कहलाती थी।
  • (द) राजा द्वारा अपने अधीनस्थ को जारी किया जाने वाला आदेश फरमान कहलाता था।
उत्तर : बादशाह की मौजूदगी में शहजादे द्वारा जारी किया गया शाही आदेश-मन्सूर कहलाता था।
व्याख्या :
एक राजा का दूसरे राजा के साथ किया जाने वाला पत्र व्यवहार खरीता कहलाता था। मुगल बादशाह द्वारा अपने अधीनस्थ को जागीर प्रदान करने की लिखित स्वीकृति सनद कहलाती थी। राजा द्वारा अपने अधीनस्थ को जारी किया जाने वाला आदेश परवाना कहलाता था।
प्रश्न 22 मध्यकालीन शासन व्यवस्था में मारवाड़ में बापीदार व गैर-बापीदार किसके प्रकार थे -
  • (अ) सामन्तों के
  • (ब) जागीरदारों के
  • (स) घुड़सवारों के
  • (द) कास्तकारों के
उत्तर : कास्तकारों के
व्याख्या :
कृषक मुख्यतः दो प्रकार के होते थे- बापीदार और गैरबापीदार, बापीदार किसान को खुदकाश्तकार भी कहते थे, यह वह किसान होते थे जो खेती की जाने वाली भूमि का स्थाई स्वामी होता था।
प्रश्न 23 उच्च वर्ग के लोगों या विद्वानों को राजस्व मुक्त भूमि अनुदान के रूप में दी जाती थी, यह भूमि क्या कहलाती थी -
  • (अ) माफी
  • (ब) जूनी जागीर
  • (स) मदद-ए-माश
  • (द) जीविका
उत्तर : मदद-ए-माश
व्याख्या :
मुगल साम्राज्य में ‘मदद-ए-माश’ को ‘सयूरगल’ भूमि भी कहा जाता था।
प्रश्न 24 मुगल दरबार में राजा द्वारा नियुक्त प्रतिनिधि, जो वहाँ की गतिविधियों से निरंतर राजा को अवगत करवाता रहता था वह क्या कहलाता था -
  • (अ) खुफिया नवीस
  • (ब) हाकिम खैरात
  • (स) पोतदार
  • (द) वकील
उत्तर : वकील
व्याख्या :
वकील रिपोर्ट : मनसबदार, जागीरदार एवं अन्य सरदार मुगल दरबार में अपने प्रतिनिधि नियुक्त करते थे, जिनको ‘वकील’ कहा जाता था। वे अपने रियासती स्वामी से संबंधित खबरों का संकलन कर दरबार की गतिविधियाँ अपनी रियासत को भेजा करते थे। उनके द्वारा भेजी गई इन सूचनाओं को ‘वकील रिपोर्ट’ कहा जाता था।
प्रश्न 25 निम्नलिखित में से असत्य विकल्प का चयन करें।
  • (अ) अमात्य - मुख्यमंत्री
  • (ब) बंदीपति - मुख्य भाट
  • (स) भीषगाधिराज - प्रधानमंत्री
  • (द) संधिविग्रहिक - संधि और युद्ध का मंत्री
उत्तर : भीषगाधिराज - प्रधानमंत्री
व्याख्या :
भीषगाधिराज-मुख्य वैद्य ।
प्रश्न 26 अधिकारी, जिसे मुगल काल में विद्वानों को गुजारा भत्ता (मदद-ए-माश) प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गयी थी, को किस नाम से जाना जाता था -
  • (अ) वकील
  • (ब) वज़ीर
  • (स) सद्र
  • (द) मीर बक्शी
उत्तर : सद्र
व्याख्या :
अधिकारी, जिसे मुगल काल में विद्वानों को गुजारा भत्ता (मदद-ए-माश) प्रदान करने की जिम्मेदारी दी गयी थी, को 'सद्र' नाम से जाना जाता था।
प्रश्न 27 राजपूत सेना में पैदल सैनिक अधिक होते थे, इनके दल को क्या कहा जाता था -
  • (अ) अहदी
  • (ब) भाकसी
  • (स) प्यादे
  • (द) शरीअत
उत्तर : प्यादे
व्याख्या :
पैदल सैनिक दल को प्यादे कहा जाता था।
प्रश्न 28 दीवान के पद पर सामान्यतः गैर राजपूत जाति के व्यक्तियों को नियुक्त किया जाता था। दीवान को निम्न में से किस पदाधिकारी को नियुक्त करने का अधिकार प्राप्त नहीं था -
  • (अ) आमिल
  • (ब) फौजदार
  • (स) कोतवाल
  • (द) पोतदार
उत्तर : पोतदार
व्याख्या :
दीवान को आमिल, कोतवाल, अमीन, दरोगा मुशरिफ, वाकयानवीस व फौजदार आदि पदाधिकारी को नियुक्त करने का अधिकार था।
प्रश्न 29 न्याय व्यवस्था के बारे में विचार करें -
(i) न्याय और दण्ड का आधार प्राचीन धर्मशास्त्र थे।
(ii) प्राचीन साहित्यिक स्त्रोतों ‘वृहत्कथा कोष व समराइच्छकहा’ से भी न्याय व्यवस्था का वर्णन मिलता है।
(iii) शासन की सबसे छोटी इकाई गाँव था, जहाँ न्याय का अधिकारी ग्राम चौधरी या पटेल हुआ करता था।
(iv) परगनों में न्याय का कार्य, हाकिम या आमिल या हवलगिर करता था।
सही कूट का चयन कर उत्तर दीजिए-
  • (अ) i, ii व iv
  • (ब) i, ii, iii व iv
  • (स) i, ii व iii
  • (द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : i, ii, iii व iv
व्याख्या :
न्याय का आधार परम्परागत सामाजिक एवं धार्मिक व्यवस्था थी। मुकदमों का कोई लिखित रिकार्ड नहीं रखा जाता था। गवाही सम्बन्धित कोई पृथक अधिनियम नहीं था।
प्रश्न 30 निम्नलिखित में से असत्य विकल्प का चयन करें।
  • (अ) प्रत्येक किसान के परिवार के प्रत्येक सदस्य से 1 रु. की दर से वसूला जाने वाला कर अंगा कर या अंग लाग कहलाता था।
  • (ब) राज्याभिषेक, जन्मदिन तथा त्योहारों के अवसर पर लगने वाले दरबारों के समय सामन्तों, जागीरदारों, मुत्सद्दी व अधिकारियों द्वारा राजा को दी जाने वाली भेंट ‘नजराना’ कहलाती थी।
  • (स) पशुओं की बिक्री पर लिया जाने वाला कर लाटा कहलाता था।
  • (द) खेत में खड़ी फसल का अनुमान लगाकर भूस्वामी अपना हिस्सा तय कर देते थे, जिसे कूंता कहते थे।
उत्तर : पशुओं की बिक्री पर लिया जाने वाला कर लाटा कहलाता था।
व्याख्या :
पशुओं की बिक्री पर लिया जाने वाला कर सिंगोटी कहलाता था।

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