राजस्थान की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था
- प्रश्न 31 भूमि के उर्वरा व पैदावार के आधार पर जब बीघे पर लगे कर से राजस्व वसूल होता था, तब मारवाड़ व बीकानेर में इसे क्या कहा जाता था -
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- (अ) बीघोड़ी
- (ब) लंक बंटाई
- (स) खेतबंटाई
- (द) गल्ला बक्शी
उत्तर : बीघोड़ी
व्याख्या :
मारवाड़ व बीकानेर में इसे बीघोड़ी कहा जाता था।
- प्रश्न 32 सेना का दूसरा प्रमुख अंग घुड़सवार था, किस राज्य में घुड़सवार सेना माधव रिसाला और राज्य रिसाला में विभाजित थी -
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- (अ) कोटा
- (ब) जोधपुर
- (स) बीकानेर
- (द) जयपुर
उत्तर : कोटा
व्याख्या :
कोटा में घुड़सवार सेना माधव रिसाला और राज्य रिसाला में विभाजित थी।
- प्रश्न 33 निम्नलिखित में से ग्राम प्रशासन के बारे में कौनसा कथन सत्य नहीं है -
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- (अ) ग्राम पंचायत ग्रामों ने न्याय, झगड़े निपटाना, धार्मिक व सामाजिक कार्य करवाती थी।
- (ब) जाति सम्बन्धी समस्याओं का समाधान जाति पंचायत द्वारा किया जाता था।
- (स) गांव में प्रशासनिक स्तर पर स्थायी रूप में स्थानीय अधिकारी ‘पटवारी’ होता था।
- (द) पंचायतों के निर्णय की अपील परगना पदाधिकारी, दीवान व शासक के पास की जा सकती थी।
उत्तर : गांव में प्रशासनिक स्तर पर स्थायी रूप में स्थानीय अधिकारी ‘पटवारी’ होता था।
व्याख्या :
गांव में प्रशासनिक स्तर पर स्थायी रूप में स्थानीय अधिकारी ‘चौधरी या पटेल’ होता था।
- प्रश्न 34 बख्शी के बारे में निम्न कथनों पर विचार करें।
(i) दीवान के बाद दूसरा महत्वपूर्ण पदाधिकारी बख्शी होता था, जो प्रधानतः सेना विभाग का अध्यक्ष होता था।
(ii) जयपुर में बख्शी को बख्शी देश, बख्शी परगना और बख्शी जागीर सहायता करते थे।
(iii) जोधपुर राज्य में इसे ‘मौज बख्शी’ भी कहते थे।
(iv) मारवाड़ में महाराजा बख्तसिंह के काल में सर्वप्रथम ‘प्याद बख्शी’ नामक एक नवीन पद का सर्जन किया गया।
सही विकल्प का चयन करें। -
- (अ) i, ii व iv
- (ब) i,iii व iv
- (स) iii व iv
- (द) i,ii, iii व iv
उत्तर : i, ii व iv
व्याख्या :
जोधपुर राज्य में इसे ‘फौज बख्शी’ कहा जाता था।
- प्रश्न 35 जोधपुर राज्य में विधवा के पुनर्विवाह पर प्रति विवाह 1 रु. की दर से कर लिया जाता था, जिसे ‘कागली या नाता’ कहा जाता था इसी प्रकार का कर जयपुर राज्य में क्या कहलाता था -
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- (अ) छेली राशि
- (ब) नाता बराड़
- (स) नाता कागली
- (द) नाता
उत्तर : छेली राशि
व्याख्या :
कागली या नाता कर को मेवाड़ में ‘नाता बराड़’, कोटा राज्य में ‘नाता कागली’ व बीकानेर राज्य में ‘नाता’ कहा जाता था।
- प्रश्न 36 निम्नलिखित में से असंगत कथन की पहचान करें।
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- (अ) पटेल, कानूनगो, तहसीलदार, पटवारी आदि जो किसान से अवैध रकम वसुलते थे, उसे दस्तुर कहते थे
- (ब) राम-राम लाग या मुजरा लाग जिसे प्रति व्यक्ति 1 रुपया लिया जाता था।
- (स) किसान के घर कन्या की शादी होने पर जागीरदार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता ‘बदोले री लाग’ कहलाता है।
- (द) श्रमजीवी जातियों जैसे मोची, धोबी, छीपा व कुम्हार आदि से वसूला जाने वाला कर खरड़ा लाग कहलाता था।
उत्तर : किसान के घर कन्या की शादी होने पर जागीरदार द्वारा दी जाने वाली आर्थिक सहायता ‘बदोले री लाग’ कहलाता है।
व्याख्या :
जागीरदार के घर पर विवाह होने पर जागीर क्षेत्र से वसूल की जाने वाली लाग बंदोले री लाग/कर कहलाती थी।
- प्रश्न 37 किस राज्य में लूट-खसोट से राज्य को बचाने के लिए नए सैनिक दायित्वों की पूर्ति हेतु रुखवाली भाछ लागू की गई थी -
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- (अ) जोधपुर
- (ब) बीकानेर
- (स) उदयपुर
- (द) कोटा
उत्तर : बीकानेर
व्याख्या :
बीकानेर राज्य में लूट-खसोट से राज्य को बचाने के लिए नए सैनिक दायित्वों की पूर्ति हेतु रुखवाली भाछ लागू की गई थी।
- प्रश्न 38 निम्न में से कौनसा जोड़ा सही सुमेलित नहीं है-
इकाई - अधिकारी -
- (अ) ग्राम - ग्रामिक
- (ब) मण्डल - मण्डलिक
- (स) दुर्ग - दुर्गाधिपति
- (द) परगना - हाकिम
उत्तर : मण्डल - मण्डलिक
व्याख्या :
मण्डल के अधिकारी को मण्डलपति कहा जाता था।
- प्रश्न 39 परगने में कोई बड़ा अपराध या संगीन डकैती होने पर फौजदार और कभी-कभी ठाकुर स्वयं सवारों के साथ डाकुओं के विरूद्ध अभियान पर जाते थे। इस अभियान को मारवाड़ में क्या कहते थे -
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- (अ) फौजदार
- (ब) पोतदार
- (स) हवालगिर
- (द) बाहर चढ़ना
उत्तर : बाहर चढ़ना
व्याख्या :
ठिकानेदार व भोम बाब दोनों अपने क्षेत्रों में डकैती व अन्य जुर्म को रोकने का कार्य तथा यात्रियों की सुरक्षा की जिम्मेदारी भी निभाते थे। संगीन डकैती पड़ने पर फौजदार और कभी-कभी ठाकुर स्वयं सवारों के साथ डाकुओं के विरुद्ध अभियान में जाते थे। जोधपुर राज्य में इसे “बाहर चढ़ना” कहते थे।
- प्रश्न 40 हवाला, जागीर, भौम, सासण किसके प्रकार है -
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- (अ) भूमि
- (ब) घुड़सवार
- (स) सेना
- (द) धर्म व दान संबंधि विभाग
उत्तर : भूमि
व्याख्या :
जागीर भूमि यह चार प्रकार की थी। (1) सामन्त जागीर (2) हुकूमत जागीर (3) भौम की जागीर (4) सासण जागीर
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