मेवाड़ का गुहिल वंश
- प्रश्न 313 उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी व बैजनाथ मंदिर का निर्माण किसने कराया -
-
- (अ) संग्रामसिंह द्वितीय
- (ब) भीमसिंह
- (स) जगतसिंह द्वितीय
- (द) सज्जनसिंह
उत्तर : संग्रामसिंह द्वितीय
व्याख्या :
अमरसिंह द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् इनका पुत्र संग्रामसिंह द्वितीय 1710 ई. में मेवाड़ का शासक बना। इनके द्वारा उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी, सीसारमा गाँव में वैद्यनाथ का विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया एवं वैद्यनाथ मंदिर की प्रशस्ति उत्कीर्ण करवाई गयी।
- प्रश्न 314 मेवाड़ की रानी कृष्णा कुमारी को लेकर गिंगोली का युद्ध किस वर्ष हुआ -
-
- (अ) 1803 ई.
- (ब) 1807 ई.
- (स) 1809 ई.
- (द) 1811 ई.
उत्तर : 1807 ई.
व्याख्या :
कृष्णाकुमारी को लेकर गिंगोली का युद्ध 1807 ई. (परबतसर) : भूतपूर्व महाराजा भीमसिंह के साथ उदयपुर के महाराणा भीमसिंह की पुत्री कृष्णाकुमारी का रिश्ता तय हुआ था लेकिन 1803 में भीमसिंह की मृत्यु हो गई तब महाराणा ने अपनी पुत्री की सगाई जयपुर के जगतसिंह से कर दी। जब ये समाचार मानसिंह को मिला तो वह 1806 में मेड़ता पहुँचा व सेना इकट्ठी की जसवन्तराय होल्कर को भी निमन्त्रण भेजा। ये समाचार जब जयपुर के जगतसिंह के पास पहुँचा तो वह भी सेना लेकर रवाना हो गया।
- प्रश्न 315 मेवाड़, मारवाड़ व जयपुर राज्य का त्रिपक्षीय संघर्ष मेवाड़ के किस महाराणा के शासनकाल में प्रारम्भ हुआ -
-
- (अ) महाराणा राजसिंह
- (ब) महाराणा भीमसिंह
- (स) जगतसिंह द्वितीय
- (द) महाराणा अमरसिंह
उत्तर : महाराणा भीमसिंह
व्याख्या :
कृष्णाकुमारी को लेकर गिंगोली का युद्ध 1807 ई. (परबतसर) : भूतपूर्व महाराजा भीमसिंह के साथ उदयपुर के महाराणा भीमसिंह की पुत्री कृष्णाकुमारी का रिश्ता तय हुआ था लेकिन 1803 में भीमसिंह की मृत्यु हो गई तब महाराणा ने अपनी पुत्री की सगाई जयपुर के जगतसिंह से कर दी। जब ये समाचार मानसिंह को मिला तो वह 1806 में मेड़ता पहुँचा व सेना इकट्ठी की जसवन्तराय होल्कर को भी निमन्त्रण भेजा। ये समाचार जब जयपुर के जगतसिंह के पास पहुँचा तो वह भी सेना लेकर रवाना हो गया।
- प्रश्न 316 राजपूताना में स्वामी दयानन्द सरस्वती के आगमन के समय मेवाड़ के शासक थे -
-
- (अ) फतेहसिंह
- (ब) महाराणा सज्जनसिंह
- (स) महाराणा राजसिंह
- (द) महाराणा भूपालसिंह
उत्तर : महाराणा सज्जनसिंह
व्याख्या :
दयानंद सरस्वती का दूसरी बार 1881 में राजस्थान के भरतपुर में आगमन हुआ। महाराणा सज्जन सिंह के अनुरोध पर दयानंद सरस्वती उदयपुर पहुँचे और उन्होंने आर्य समाज का प्रचार किया। दयानंद सरस्वती के नेतृत्व में उदयपुर में 1883 में एक परोपकारिणी सभा की स्थापना की।
- प्रश्न 317 ‘मेवाड़ का उद्धारक’ कहा जाता है -
-
- (अ) राणा प्रताप
- (ब) राणा उदयसिंह
- (स) भामाशाह
- (द) राणा लाखा
उत्तर : भामाशाह
व्याख्या :
भामाशाह उसके भाई ताराचन्द ने पच्चीस लाख रुपय एवं बीस हजार अशर्फियां राणा को भेंट की। भामाशाह की सैनिक एवं प्रशासनिक क्षमता को देखकर प्रताप ने इसी समय रामा महासहाणी के स्थान पर उसे मेवाड़ का प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया। जिससे राणा ने 25 हजार सेना का 12 वर्ष तक निर्वाह किया। इसलिए भामाशाह को ‘दानवीर’ और ‘मेवाड़ का उद्धारक’ कहा जाता है।
- प्रश्न 318 कर्नल टाॅड ने ‘मेवाड़ का मैराथन युद्ध’ कहा है -
-
- (अ) हल्दीघाटी युद्ध
- (ब) दिवेर युद्ध
- (स) खानवा युद्ध
- (द) गोगुन्दा युद्ध
उत्तर : दिवेर युद्ध
व्याख्या :
दिवेर का युद्ध/मेवाड़ का माराथन (अक्टूबर, 1582) : ‘अमरकाव्य’ के अनुसार 1582 ई. में राणा प्रताप ने मुगलों के विरुद्ध दिवेर (कुंभलगढ़) पर जबरदस्त आक्रमण किया। यहाँ का सूबेदार अकबर का काका सेरिमा सुल्तान खां था। कर्नल टॉड ने इस युद्ध को ‘प्रताप के गौरव का, प्रतीक’ माना और ‘माराथन’ की संज्ञा दी।
- प्रश्न 319 दिवेर युद्ध(1582ई.) के बाद महाराणा प्रताप ने नई राजधानी बनाई -
-
- (अ) चावण्ड
- (ब) कुम्भलगढ़
- (स) गोगुन्दा
- (द) उदयपुर
उत्तर : चावण्ड
व्याख्या :
महाराणा प्रताप ने 1585 ई. में चावंड के शासक लूणा को परास्त कर चावंड को अपनी राजधानी बनाया।
- प्रश्न 320 अकबर द्वारा राणा प्रताप के पास भेजे गए दूतों का सही क्रम है -
-
- (अ) जलाल खां, टोडरमल, भगवंतदास,मानसिंह
- (ब) जलाल खां, मानसिंह, भगवंतदास, टोडरमल
- (स) जलाल खां, मानसिंह, टोडरमल, भगवंतदास
- (द) मानसिंह, भगवंतदास, जलाल खां, टोडरमल
उत्तर : जलाल खां, मानसिंह, भगवंतदास, टोडरमल
व्याख्या :
अकबर द्वारा महाराणा प्रताप को समझाने हेतु भेजे गए व्यक्तियों का सही क्रम जलाल खां, मानसिंह प्रथम, भगवंतदास, टोडरमल है|
- प्रश्न 321 हारित ऋषि के आशिर्वाद से किसे मेवाड़ राज्य की प्राप्ति हुई -
-
- (अ) उदयसिंह
- (ब) गुहादित्य
- (स) जैत्रसिंह
- (द) बप्पा रावल
उत्तर : बप्पा रावल
व्याख्या :
ऐसी मान्यता है कि बापा रावल हारीत ऋषि की गायें चराते थे। हारीत ऋषि की अनुकम्पा से ही बापा रावल ने मेवाड़ का राज्य प्राप्त किया था। बापा रावल ने 734 ई. में मौर्य शासक मान मोरी को पराजित कर सत्ता स्थापित की। कविराजा श्यामलदास ने ‘वीर विनोद’ में बापा द्वारा मौर्यों से चित्तौड़ दुर्ग छीनने का समय 734 ई. बताया है।
- प्रश्न 322 राजस्थान के इतिहास में सबसे अधिक शासन करने वाला लोकप्रयि राज्य कौनसा था -
-
- (अ) मारवाड़
- (ब) मेवाड़
- (स) शाकम्भरी
- (द) ढूंढाड़
उत्तर : मेवाड़
व्याख्या :
राजस्थान के इतिहास में सबसे अधिक शासन करने वाला राज्य मेवाड़ था।
page no.(33/40)