मेवाड़ का गुहिल वंश
- प्रश्न 331 निम्न में से किस राजपूत शासक ने ‘विजय कटकातु’ की उपाधि धारण की थी -
Sr. Teacher GrII Comp. Exam 2016 Gk (G-B) -
- (अ) महाराणा राम सिंह
- (ब) महाराणा सांगा
- (स) महाराणा कुम्भा
- (द) महाराणा राजसिंह
उत्तर : महाराणा राजसिंह
व्याख्या :
राजसिंह ने अपने साथियों तथा प्रजा में सैनिक-जीवन की अभिव्यक्ति के लिए ‘विजय कटकातु’ की उपाधि धारण की।
- प्रश्न 332 निम्न में से कौन खानवा के युद्ध में राणा सांगा के पक्ष में लड़े -
1. महमूद लोदी 2. हमसन खां 3. मालदेव 4. मेदिनी राय -
- (अ) 1 व 2
- (ब) 3 व 4
- (स) 1, 3 व 4
- (द) 1, 2, 3 व 4
उत्तर : 1, 2, 3 व 4
व्याख्या :
खानवा युद्ध में कर्नल टॉड के अनुसार राणा की सेना में 7 उच्च श्रेणी के राजा, 9 राव एवं 104 सरदार सम्मिलित हुए। जिनमें प्रमुख थे- अफगान सुल्तान महमूद लोदी, मेव शासक हसन खां मेवाती, मारवाड़ से राव गंगा का पुत्र मालदेव, बीकानेर से राव जैतसी का पुत्र कु. कल्याणमल, आम्बेर का कच्छवाहा शासक पृथ्वीराज, ईडरा भारमल, मेड़ता का रायमल राठौड़, रायसीन का सलहदी तंवर, बागड का उदयसिंह, नागार का खाना जादा, सिरोही का अखैराज, डूँगरपुर का रावल उदयसिंह, चंदेरी का मेदिनीराय, सलूम्बर का रावत रतनसिंह, वीरमदेव मेड़तिया आदि सम्मिलित हुए।
- प्रश्न 333 निम्न में से कौन से राजपूत सरदार खानवा के युद्ध में बाबर के विरूद्ध राणा सांगा के पक्ष में लड़े -
1. राजा भारमल(ईडर) 2. वीरमदेव मेड़तिया 3. राव बीका 4. राव लुणकर्ण -
- (अ) केवल 1 व 2
- (ब) केवल 3 व 4
- (स) 2, 3 व 4
- (द) 1, 2, 3 व 4
उत्तर : केवल 1 व 2
व्याख्या :
खानवा युद्ध में कर्नल टॉड के अनुसार राणा की सेना में 7 उच्च श्रेणी के राजा, 9 राव एवं 104 सरदार सम्मिलित हुए। जिनमें प्रमुख थे- अफगान सुल्तान महमूद लोदी, मेव शासक हसन खां मेवाती, मारवाड़ से राव गंगा का पुत्र मालदेव, बीकानेर से राव जैतसी का पुत्र कु. कल्याणमल, आम्बेर का कच्छवाहा शासक पृथ्वीराज, ईडरा भारमल, मेड़ता का रायमल राठौड़, रायसीन का सलहदी तंवर, बागड का उदयसिंह, नागार का खाना जादा, सिरोही का अखैराज, डूँगरपुर का रावल उदयसिंह, चंदेरी का मेदिनीराय, सलूम्बर का रावत रतनसिंह, वीरमदेव मेड़तिया आदि सम्मिलित हुए।
- प्रश्न 334 किस राजपूत सरदार ने खानवा के युद्ध में राणा सांगा के घायल होने पर उनका राज-चिन्ह धारण करके युद्ध जारी रखा था -
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- (अ) वीर दुर्गादास
- (ब) झाला अज्जा
- (स) राजा भारमल
- (द) राव बीका
उत्तर : झाला अज्जा
व्याख्या :
खानवा के युद्ध में में राणा सांगा घायल हो गया। हलवद (काठियावाड़) के झाला राजसिंह के पुत्र झाला अज्जा को सांगा के राजचिह्न धारण करवा कर रणक्षेत्र में हाथी के ओहदे पर बिठाया गया। अंतिम रूप से विजय बाबर की हुई।
- प्रश्न 335 निम्न में से किस रचना में अमीर खुसरो ने चित्तौड़ पर अलाउद्दीन खिलजी के आक्रमण का वर्णन किया है -
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- (अ) खाजाइन-उल-फुतूह
- (ब) तुगलकीनामा
- (स) नूर-ए-खिलजी
- (द) मिफ्ता-उल-फुतूह
उत्तर : खाजाइन-उल-फुतूह
व्याख्या :
अमीर खुसरो, जो अलाउद्दीन के साथ चित्तौड़ गए थे, ने संक्षेप में अपने खज़ान उल-फुतुह में घेराबंदी का वर्णन किया है। लेखक अमीर खुसरो ने लिखा है कि सुल्तान अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी सेना का शाही शिविर गंभीरी और बेड़च नदियों के मध्य लगाया जो की चित्तौड़गढ़ किले के पास है। अलाउद्दीन खिलजी ने अपना स्वयं का शिविर चितौड़ी नामक पहाड़ी पर लगाया था, वहीं से अलाउद्दीन रोज चित्तौड़ के किले के घेरे के संबंध में निर्देश देता था।
- प्रश्न 336 निम्न में से कौनसा विद्वान कुम्भा के दरबार में नहीं था -
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- (अ) नाथा
- (ब) मुनि सुन्दर सूरी
- (स) फरिश्ता
- (द) टिल्ला भट्ट
उत्तर : फरिश्ता
व्याख्या :
राणा कुंभा के दरबार में टीला भट्ट, मुनि सुंदर सूरी, नाथा विद्वान थे।
- प्रश्न 337 अपना सिर काटकर देने वाली हाड़ी रानी का नाम क्या था -
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- (अ) रानी सिलोचना
- (ब) रानी सहल कंवर
- (स) रानी पद्मिनी
- (द) रानी कर्णावती
उत्तर : रानी सहल कंवर
व्याख्या :
हाड़ी रानी हाड़ा वंश की राजकुमारी सहल कंवर सलूम्बर के युवा सामन्त रतनसिंह चूंडावत की नवविवाहिता पत्नी थी। रतनसिंह चूंडावत मेवाड़ के महाराणा राजसिंह सिसोदिया का सामंत था। जब वह औरंगजेब के विरूद्ध युद्ध के मैदान में जा रहा था तो जाते हुए अपनी पत्नी की याद सताने लगी। चूंडावत ने अपने सेवक को भेजकर रानी से सैनाणी (निशानी) लाने को कहा ताकि युद्ध के मैदान में उसकी याद न सताएं। रानी ने सोचा कि मेरी यादों के कारण वे अपना कर्तव्य पूरा नहीं कर पायेंगे। हाड़ी रानी ने सेवक के हाथ से तलवार लेकर अपना सिर काट डाला।
- प्रश्न 338 1578 ई. में कुम्भलगढ़ पर किसने आक्रमण किया -
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- (अ) अलाउद्दीन खिलजी
- (ब) शाहबाज खां
- (स) महमूद गजनवी
- (द) औरंगजेब
उत्तर : शाहबाज खां
व्याख्या :
शाहबाज खाँ ने 1578 ई. में कुम्भलगढ़ पर आक्रमण किया। लम्बे समय तक उसने कुम्भलगढ़ पर आकमण जारी रखा। रसद की कमी होने पर प्रताप किले का भार मानसिंह सोनगरा को सौंपकर पहाड़ों की ओर निकल गया। अंत में भीषण संघर्ष के बाद 3 अप्रैल, 1578 को शाहबाज खाँ ने कुम्भलगढ़ दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
- प्रश्न 339 हल्दीघाटी युद्ध के पिछे अकबर का मुख्य उद्देश्य था -
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- (अ) राणा प्रताप को अपने अधिन लाना
- (ब) मानसिंह को मेवाड़ का राजा बनाना
- (स) राजपूतों में फूट डालना
- (द) साम्राज्य का विस्तार
उत्तर : राणा प्रताप को अपने अधिन लाना
व्याख्या :
हल्दीघाटी के पीछे अकबर का मुख्य उद्देश्य राणा प्रताप को अपने अधीन लाना था।
- प्रश्न 340 महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को किस युद्ध में परास्त किया था -
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- (अ) खानवा के युद्ध में
- (ब) खातोली के युद्ध में
- (स) हल्दी घाटी के युद्ध में
- (द) जालौर के युद्ध में
उत्तर : खातोली के युद्ध में
व्याख्या :
मेवाड़ के महाराणा सांगा एवं दिल्ली के सुल्तान इब्राहिम लोदी की महत्त्वाकांक्षाओं के फलस्वरूप दोनों के मध्य 1517 ई. में ‘खातोली’ (पीपल्दा तहसील, कोटा) में युद्ध हुआ। महाराणा सांगा ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया।
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