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मेवाड़ का गुहिल वंश

प्रश्न 358 अकबर द्वारा भगवान दास को महाराणा प्रताप के पास संधि वार्ता के लिए कब भेजा गया?
  • (अ) सितंबर 1573
  • (ब) 1572
  • (स) अक्टूबर 1573
  • (द) दिसंबर 1573
उत्तर : सितंबर 1573
व्याख्या :
भगवानदास द्वारा सन्धि प्रस्ताव (सितम्बर-अक्टूबर 1573 ई.): अकबर ने अहमदाबाद से मानसिंह के पिता भगवन्तदास (भगवानदास) को कई प्रतिष्ठित मुस्लिम सेनानायकों के साथ ईसर के रास्ते से महाराणा प्रताप के पास भेजा।
प्रश्न 359 गुहिल वंश के वास्तविक संस्थापक व प्रथम प्रतापी शासक कौन हैं -
  • (अ) एकलिंग जी
  • (ब) बप्पा रावल
  • (स) जैत्र सिंह
  • (द) रण सिंह
उत्तर : बप्पा रावल
व्याख्या :
बापा रावल ने 734 ई. में मौर्य शासक मान मोरी को पराजित कर सत्ता स्थापित की। कविराजा श्यामलदास ने ‘वीर विनोद’ में बापा द्वारा मौर्यों से चित्तौड़ दुर्ग छीनने का समय 734 ई. बताया है।
प्रश्न 360 निम्न में से किस वंश ने चित्तौड़ पर शासन किया था -
  • (अ) गुहिल वंश
  • (ब) चैहान वंश
  • (स) राठौड़ वंश
  • (द) गढ़वाल वंश
उत्तर : गुहिल वंश
व्याख्या :
गुहिल वंश ने चित्तौड़ पर शासन किया।
प्रश्न 361 निम्न में से कौनसा युग्म सही सुमेलित है -
  • (अ) हल्दीघाटी का युद्ध - 1556
  • (ब) खातौली का युद्ध - 1517
  • (स) तराइन का युद्ध - 1151
  • (द) खानवा का युद्ध - 1526
उत्तर : खातौली का युद्ध - 1517
व्याख्या :
खातौली का युद्ध 1517 में इब्राहिम लोदी और मेवाड़ साम्राज्य के राणा साँगा के बीच हुआ था। इस युद्ध में राणा साँगा ने इब्राहिम लोदी को हरा दिया था।
हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून 1576 को मेवाड़ के राणा, महाराणा प्रताप और मुगल सम्राट अकबर की सेनाओं के बीच हुआ था, जिसका नेतृत्व अंबर के राजा मान सिंह प्रथम ने किया था।
प्रश्न 362 किस राजपूत रानी ने हुमायूं के पास राखी भेजकर बहादुरशाह के खिलाफ सहायता का सन्देश भेजा था -
  • (अ) रानी हाड़ा
  • (ब) रानी कर्णवती
  • (स) रानी कृष्णवती
  • (द) नी पद्मिनी
उत्तर : रानी कर्णवती
व्याख्या :
1535 में गुजरात के बहादुरशाह ने मेवाड़ पर आक्रमण किया। इस समय राणा सांगा के द्वितीय पुत्र विक्रमादित्य का (1531-36 ई.) शासन था। वह किले की रक्षा का भार देवलिया प्रतापगढ़ के ठाकुर बाघसिंह को सौंप कर बूँदी चला गया। चित्तौड़ की रक्षार्थ कर्मावती (कर्णावती) ने मुगल बादशाह हुमायूँ राखी भेजी। मगर हुमायूँ समय पर सहायता नहीं कर सका। अतः किले का पतन जानकर रानी कर्मावती ने अन्य राजपूत स्त्रियों के साथ इनमें विक्रमादित्य की पत्नी जवाहर बाई भी शामिल थी, जौहर किया तथा राजपूत योद्धा लड़ते हुए मारे गए। यह घटना चित्तौड़ के ‘दूसरा साका’ के नाम प्रसिद्ध है।
प्रश्न 363 मेवाड़ के किस महाराणा ने मुगलों से संधि की थी -
  • (अ) जगतसिंह
  • (ब) उदयसिंह
  • (स) अमरसिंह
  • (द) महाराणा प्रताप
उत्तर : अमरसिंह
व्याख्या :
सभी सामंतों, दरबारियों एवं कुंवर कर्णसिंह के निवेदन पर राणा अमरसिंह ने अपना मन मारकर मुगलों से 5 फरवरी, 1615 ई. में संधि की। अमरसिंह मुगलों से संधि करने वाला मेवाड़ का प्रथम शासक था।
प्रश्न 364 किस राणा ने हंसाबाई से न केवल शादि से इन्कार किया बल्कि उसके पुत्र मोकल के पक्ष में मेवाड़ की गद्दी त्याग दी -
  • (अ) राणा चूड़ा
  • (ब) राणा संागा
  • (स) राणा कुम्भा
  • (द) राणा उदयसिंह
उत्तर : राणा चूड़ा
व्याख्या :
राणा लाखा के बड़े पुत्र चूँडा ने यह प्रतिज्ञा ली कि ‘मेवाड़ के सिंहासन पर उसका या उसके उत्तराधिकारी का कोई अधिकार नहीं होगा, बल्कि राजकुमारी हंसाबाई से उत्पन्न होने वाली संतान का होगा।’ हंसाबाई ने मोकल को जन्म दिया और वह मेवाड़ का राणा बना न कि चूँडा।
प्रश्न 365 राजस्थान में स्थापत्य कला का जन्मदाता किसे माना जाता है -
  • (अ) राणा कुम्भा
  • (ब) राणा सांगा
  • (स) राणा हम्मीर
  • (द) महाराज कर्णसिंह
उत्तर : राणा कुम्भा
व्याख्या :
राणा कुम्भा (1433-1468 ईस्वी) को राजस्थानी वास्तुकला का जनक माना जाता है। अपने शासनकाल में उन्होंने मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 दुर्गों का निर्माण करवाया था।
प्रश्न 366 बप्पा रावल ने चितौड़ में मेवाड़ राज्य की स्थापना कब की थी -
  • (अ) 815 ई.
  • (ब) 765 ई.
  • (स) 728 ई.
  • (द) 828 ई.
उत्तर : 728 ई.
व्याख्या :
बापा रावल हारीत ऋषि की गायें चराते थे। हारीत ऋषि की अनुकम्पा से ही बापा रावल ने मेवाड़ का राज्य प्राप्त किया था। बापा रावल ने मौर्य शासक मान मोरी को पराजित कर सत्ता स्थापित की। कविराजा श्यामलदास ने ‘वीर विनोद’ में बापा द्वारा मौर्यों से चित्तौड़ दुर्ग छीनने का समय 734 ई. बताया है।
प्रश्न 367 संगीतराज नामक कृति किस राजपूत शासक की रचना है -
  • (अ) महाराणा प्रताप
  • (ब) महाराणा कुम्भा
  • (स) बाप्पा रावल
  • (द) महाराणा जयसिंह
उत्तर : महाराणा कुम्भा
व्याख्या :
संगीतराज, संगीतमीमांसा एवं सूड़प्रबन्ध महाराणा कुम्भा के द्वारा रचित संगीत के ग्रन्थ थे। ‘संगीतराज’ के पांच भाग- पाठरत्नकोश, गीतरत्नकोश, वाद्यरत्नकोश, नृत्यरत्नकोश और रसरत्नकोश हैं।

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