मेवाड़ का गुहिल वंश
- प्रश्न 371 किस शासक की मृत्यु पर विलाप के लिए ‘राणे जगपत रा मरसिया’ लिखा गया था -
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- (अ) महाराणा जगत सिंह
- (ब) महाराणा जय सिंह
- (स) महाराणा राज सिंह
- (द) महाराणा राजवीर सिंह
उत्तर : महाराणा जगत सिंह
व्याख्या :
मरस्य से तात्पर्य ‘शोक काव्य’ से है। किसी व्यक्ति विशेष की मृत्यु के पश्चात् शोक व्यक्त करने के लिए ‘मरस्या’ काव्यों की रचना की जाती थी। इसमें उस व्यक्ति के चारित्रिक गुणों के अतिरिक्त अन्य महान कार्यो का वर्णन भी किया जाता था।
राणे जगपत रा मरस्या- यह मरस्य मेवाड़ महाराणा जगतसिंह की मृत्यु पर शोक प्रकट करने के लिए लिखा था।
- प्रश्न 372 मेवाड़ का वह प्रसिद्ध शासक कौन था जिसने अचलगढ़ के किले की मरम्मत करवाई थी -
Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT - K2) -
- (अ) राणा रतन सिंह
- (ब) महाराण कुंभा
- (स) राणा सांगा
- (द) महाराजा राज सिंह
उत्तर : महाराण कुंभा
व्याख्या :
महाराणा कुंभा मेवाड़ के एक प्रसिद्ध शासक थे जिन्होंने अचलगढ़ किले की मरम्मत करवाई थी। कीर्तिस्तम्भ के अनुसार केन्द्रीय शक्ति को पश्चिमी क्षेत्र में अधिक सशक्त बनाये रखने के लिए और सीमान्त भागों को सैनिक सहायता पहुँचाने के लिए आबू में 1509 वि.सं. में अचलगढ़ (सिरोही) का दुर्ग बनवाया गया। यह दुर्ग परमारों के प्राचीन दुर्ग के अवशेषों पर इस तरह से पुनर्निर्मित किया गया था कि उस समय की सामरिक व्यवस्था के लिए उपयोगी प्रमाणित हो सके।
- प्रश्न 373 अकबर द्वारा दिसम्बर 1584 में, निम्नलिखित में से किसे महाराणा प्रताप को पकड़कर मुगल दरबार में पेश करने का कार्य सौंपा गया -
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- (अ) मिर्जा हाकिम
- (ब) शाहबाज खान
- (स) मान सिंह
- (द) राजा जगन्नाथ कछवाहा
उत्तर : राजा जगन्नाथ कछवाहा
व्याख्या :
अकबर ने राजा जगन्नाथ कछवाहा को महाराणा प्रताप को पकड़कर मुगल दरबार में पेश करने का काम सौंपा। 5 दिसम्बर, 1584 को कछवाह जगन्नाथ के नतृत्व में एक सशक्त सेना मेवाड़ भेजी गयी। जगन्नाथ कछवाहा को भी सफलता नहीं मिली अपितु उसकी मांडलगढ़ में मृत्यु हो गई।
- प्रश्न 374 चित्तौड़गढ़ में रावल समर सिंह (1273-1302 CE) के काल में साहित्य और सांस्कृतिक गतिविधियाँ फली-फूलीं, उस समय के प्रसिद्ध वास्तुकार/कारीगर थे :
(a) पद्म सिंह (b) केल सिंह (c) शिल्पी केयलान
(d) शिल्पी कर्मा (e) अमित सिंह सूरी
नीचे दिए गए विकल्पों में से सर्वाधिक उपयुक्त उत्तर चुनें :
Stenographer Exam 2024 (Paper - I) -
- (अ) केवल (a), (b), (c) और (e)
- (ब) केवल (a), (c), (d) और (e)
- (स) केवल (a), (b), (c) और (d)
- (द) केवल (b), (c), (d) और (e)
उत्तर : केवल (a), (b), (c) और (d)
व्याख्या :
रावल समर सिंह के शासनकाल में चित्तौड़गढ़ में साहित्य, कला, और संस्कृति का विकास हुआ। उस समय के प्रमुख वास्तुकार और कारीगर पद्म सिंह, केल सिंह, शिल्पी केयलान, और शिल्पी कर्मा थे, जिन्होंने चित्तौड़गढ़ की स्थापत्य कला में योगदान दिया।
- प्रश्न 375 निम्न में से असत्य कथन का चयन कीजिए :
Stenographer Exam 2024 (Paper - I) -
- (अ) हल्दीघाटी गोगुंडा से 23 कि.मी. उत्तर में स्थित है।
- (ब) रानी पद्मिनी द्वारा चित्तौरगढ़ का प्रथम जोहर 1303 AD में हुआ।
- (स) राणा हमीर द्वारा 1313 AD में चित्तौड़गढ़ पर पुनः कब्ज़ा पाया।
- (द) राणा प्रताप ने कोलियारी नामक पहाड़ी कस्बे में आश्रय लिया।
उत्तर : राणा हमीर द्वारा 1313 AD में चित्तौड़गढ़ पर पुनः कब्ज़ा पाया।
व्याख्या :
राणा हमीर ने चित्तौड़गढ़ पर 1313 AD में पुनः अधिकार प्राप्त नहीं किया था। डॉ. ओझा ने अपने अनुमान से 1326 ई. के आसपास महाराणा हम्मीर की चित्तौड़ विजय होना लिखा है। सम्भवतः ओझा जी को करेड़ा का शिलालेख नहीं मिला था। यह शिलालेख मिलने के बाद निश्चित रूप से कहा जा सकता है कि महाराणा हम्मीर ने यह दुर्ग 1335 ई. के बाद ही जीता था।
अन्य कथन सही हैं: हल्दीघाटी गोगुंडा से 23 किमी उत्तर में स्थित है, रानी पद्मिनी द्वारा चित्तौड़गढ़ का प्रथम जौहर 1303 AD में किया गया था, और राणा प्रताप ने कोलियारी नामक पहाड़ी कस्बे में आश्रय लिया था।
- प्रश्न 376 राणा कुम्भा ने मेवाड़ राज्य में निम्न में से कितने किले बनवाये -
Stenographer Exam 2024 (Paper - I) -
- (अ) 34
- (ब) 28
- (स) 30
- (द) 32
उत्तर : 32
व्याख्या :
कुम्भा के काल को ‘स्थापत्य कला का स्वर्ण युग’ कहते हैं। वीर विनोद पुस्तक (इस ग्रंथ की रचना मेवाड़ के महाराणा सज्जन सिंह के शासनकाल में की गई) के लेखक श्यामलदास (भीलवाड़ा निवासी) के अनुसार मेवाड़ के 84 दुर्गों में से 32 दुर्ग महाराणा कुम्भा ने बनवाए, अतः इसे ‘राजस्थानी स्थापत्य कला का जनक’ कहते हैं।
- प्रश्न 377 उदयपुर का एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल “सहेलियों की बाड़ी” किसके द्वारा बनवाया गया था।
CET 2024 (Graduate) 27 September 2024 Shift-1 -
- (अ) महाराजा सूरजमल
- (ब) मंहाराजा उदय सिंह
- (स) महाराणा शंभू सिंह-I
- (द) महाराणा संग्राम सिंह-II
उत्तर : महाराणा संग्राम सिंह-II
व्याख्या :
अमरसिंह द्वितीय की मृत्यु के पश्चात् इनका पुत्र संग्रामसिंह द्वितीय 1710 ई. में मेवाड़ का शासक बना। इनके द्वारा उदयपुर में सहेलियों की बाड़ी, सीसारमा गाँव में वैद्यनाथ का विशाल मंदिर का निर्माण करवाया गया एवं वैद्यनाथ मंदिर की प्रशस्ति उत्कीर्ण करवाई गयी।
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