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राजस्थान की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था

प्रश्न 51 सामंतों से वार्षिक उपज का अनुमान, जिसे ‘रेख’ कहते थे, कर लिया जाता था इसे मारवाड़ में किस नाम से जाना जाता था -
  • (अ) पट्टा रेख
  • (ब) भरतु रेख
  • (स) 1 व 2 दोनों
  • (द) इनमें से कोई नहीं
उत्तर : 1 व 2 दोनों
व्याख्या :
‘रेख’ से तात्पर्य जागीर की अनुमानित वार्षिक राजस्व से था, जिसका उल्लेख शासक प्रदत्त जागीर के पट्टे में करता था रेख का दूसरा अर्थ सैनिक कर से भी लिया जाता है।
प्रश्न 52 गन्ना, कपास, अफीम व नील आदि नगदी फसलों पर प्रति बीघा की दर से राजस्व का निर्धारण तथा वसूली को क्या कहा जाता था -
  • (अ) मुकाता
  • (ब) जब्ती
  • (स) बंटाई
  • (द) भाओली
उत्तर : जब्ती
व्याख्या :
फसल के कई बराबर अनुपात करने के बाद उसके आधार पर राज्य का भाग निर्धारण करने की पद्धति ‘बँटाई’ कहलाती थी।
प्रश्न 53 राजा व जागीरदारों द्वारा काश्तकारों को पट्टे दे दिए जाते थे, इसका विवरण एक राजकीय रजिस्टर में रखा जाता था, इसे क्या कहते थे -
  • (अ) तजकीरा
  • (ब) दाखला
  • (स) छूट के कागद
  • (द) मिशल बंदोबस्त
उत्तर : दाखला
व्याख्या :
किसानो को दी जाने वाली भूमि का पट्टा जागीरदार के रजिस्टर में दर्ज रहता था, जिसे दाखला कहते थे।
प्रश्न 54 मटक, बिछायत, चू-सराई क्या थे -
  • (अ) राजस्थन में स्थानीय करों के नाम
  • (ब) राजस्थान में देशी कपड़ों के स्थानीय नाम
  • (स) कृषि यंत्रों के नाम
  • (द) सिंचाई के साधनो के स्थानीय नाम
उत्तर : राजस्थन में स्थानीय करों के नाम
व्याख्या :
मटक, बिछायत, चू-सराई राजस्थान के स्थानीय करों के नाम हैं।
प्रश्न 55 “तिवारा कर” वसूला जाता था -
Police SI 13 September 2021 (Gk)
  • (अ) दूसरे राज्यों से व्यापार पर
  • (ब) दिवाली और होली जैसे पर्वों पर
  • (स) कृषि उत्पादों पर
  • (द) औद्योगिक उत्पादों पर
उत्तर : दिवाली और होली जैसे पर्वों पर
व्याख्या :
तिवारा कर- दिवाली होली जैसे बड़े पर्वो पर वसूला जाता था।
प्रश्न 56 मध्यकालीन राजस्थान के राज्यों में शासक के बाद सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी को __ कहा जाता था।
Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT - K2)
  • (अ) प्रधान
  • (ब) महामात्य
  • (स) मुख्य मंत्री
  • (द) संधिविग्रिहिक
उत्तर : प्रधान
व्याख्या :
मध्यकालीन राजस्थान में शासक के बाद सबसे महत्वपूर्ण अधिकारी को ‘प्रधान’ कहा जाता था। विभिन्न रियासतों में प्रधान के अलग-अलग नाम थे- कोटा और बूंदी में दीवान, मेवाड़, मारवाड़ और जैसलमेर में प्रधान, जयपुर में मुसाहिब और बीकानेर में मुखत्यार कहते थे।

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