राजस्थान की मध्यकालीन प्रशासनिक व्यवस्था
- प्रश्न 7 मदद-ए-माश मध्यकालीन राजपूत शासन में दी जाती थी -
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- (अ) राजपरिवार के सदस्यों को
- (ब) कुलीन वर्ग को
- (स) विद्वानों एवं धार्मिक व्यक्तियों को
- (द) नौकरी करने वाले वर्ग को
उत्तर : विद्वानों एवं धार्मिक व्यक्तियों को
व्याख्या :
खालसा भूमि मुग़लकालीन समय में वह भूमि होती थी, जिसकी आय बादशाह के लिये सुरक्षित रखी जाती थी। यह भूमि सीधे सुल्तान के नियंत्रण में रहती थी। खालसा क्षेत्रों में अनेक माफीदारी जोतें भी थीं, जो राजस्व की देनदारियों से मुक्त थी। यह भूमि विद्वानों, कवियों, ब्राह्मणों, चारणों, भाटों, सम्प्रदायों, पुण्यार्थ कार्यों आदि के लिए दी जाती थी। यह भूमि कर मुक्त होती थी। भूमिग्राही इसे बेच नहीं सकता था। इस प्रकार की भूमि विविध नामों से जानी जाती थी। इसके अन्तर्गत ईनाम, अलूफा, खांगी, उदक, मिल्क, भोग, पूण्य इत्यादि भूमि अनुदान सम्मिलित थे। मुगल प्रभाव के कारण इसे मदद-ए-माश भी कहा जाने लगा।
- प्रश्न 8 सेवा या नौकरी के बदले दी जाने वाली भूमि या जागीर क्या कहलाती है -
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- (अ) पळेटौ
- (ब) पसायत
- (स) पलेवौ
- (द) पसावण
उत्तर : पसायत
व्याख्या :
पसायत - वह भूमि जो दरबार या जागीरदार द्वारा राज्य सेवा करने वाले व्यक्ति को वेतन के रूप में दी जाती थी। यह सभी लगानों से मुक्त होती थी। सेवा की समाप्ति पर इस भूमि पर पुनः राज्य का अधिकार हो जाता था।
- प्रश्न 9 मध्यकाल में एक शासक द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजे जाने वाले पत्र क्या कहलाते थे -
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- (अ) परवाना
- (ब) रूक्का
- (स) फरमान
- (द) खरीता
उत्तर : परवाना
व्याख्या :
मध्यकाल में एक शासक द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को भेजे जाने वाले पत्र परवाना कहलाते थे।
- प्रश्न 10 राजस्थान की एकमात्र कौनसी रियासत थी जहां उत्तराधिकारी शुल्क नहीं लिया जाता था -
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- (अ) जयपुर
- (ब) जोधपुर
- (स) जैसलमेर
- (द) उदयपुर
उत्तर : जैसलमेर
व्याख्या :
सामन्त व जागीरदार की मृत्यु के बाद उक्त जागीर के नये उत्तराधिकारी से यह कर वसूल किया जाता था। अलग अलग रियासतों में उत्तराधिकारी कर का नाम अलग था, जोधपुर में पहले पेशकशी और बाद में हुक्मनामा कहलाया, मेवाड़ और जयपुर में नजराना, कुछ अन्य रियासतों में कैद खालसा और तलवार बंधाई कहलाते थे। जैसलमेर एकमात्र ऐसी रियासत थी जहाँ उत्तराधिकारी शुल्क नहीं लिया जाता था।
- प्रश्न 11 डावी और जीवनी सामन्तों की श्रेणी राजस्थान में कहाँ प्रचलित थी -
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- (अ) जैसलमेर
- (ब) उदयपुर
- (स) मारवाड़
- (द) कोटा
उत्तर : जैसलमेर
व्याख्या :
जैसलमेर में सामन्तों की डेवी और जीवनी की श्रेणी लोकप्रिय थी।
- प्रश्न 12 राजस्थान की प्राचीन रियासत के संदर्भ में कांसा परोसा क्या था -
Rajasthan Patwar 2021 (24 Oct 2021 ) 1st shift -
- (अ) भूमि का एक प्रकार
- (ब) सिंचाई की एक किस्म
- (स) इनमें से कोई नहीं
- (द) एक प्रकार की लाग (कर)
उत्तर : एक प्रकार की लाग (कर)
व्याख्या :
कांसा परोसा राजस्थान के प्राचीन राज्य के संदर्भ में एक प्रकार का कर है। इस प्रकार के कर को सामाजिक कर के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। विवाह और मृत्यु भोज के अवसर पर किसानों से कांसा परोसा वसूल किया जाता था।
- प्रश्न 13 राजस्थान के राजवंशों के राजस्व प्रणाली के अंतर्गत किस प्रकार की भूमि को राजा की निजी सम्पत्ति माना जाता था -
JEN 2022: Civil Diploma (GK) -
- (अ) भौम
- (ब) जागीर
- (स) हवाला
- (द) खालसा
उत्तर : खालसा
व्याख्या :
राज्य (दरबार) के प्रत्यक्ष प्रबंधन के तहत आने वाली भूमि को खालसा के नाम से जाना जाता था।
- प्रश्न 14 राजस्थान के प्रारंभिक मध्यकाल के राज्यों में ‘अक्षपटलिक’ की जिम्मेदारी थी-
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- (अ) मुख्य कोषपाल के रूप में काम करना।
- (ब) मुख्य लेखाधिकारी के रूप में काम करना।
- (स) विदेश मंत्री के रूप में काम करना।
- (द) प्रधान मंत्री के रूप में काम करना।
उत्तर : मुख्य लेखाधिकारी के रूप में काम करना।
व्याख्या :
राजस्थान के प्रारंभिक मध्ययुगीन राज्यों में “अक्षपतालिक” का उत्तरदायित्व मुख्य लेखा अधिकारी के रूप में काम करना था।
- प्रश्न 15 मारवाड़ राज्य में किस प्रकार के सामंतों को रेख, हुक्मनामा और चाकरी से 3 पीढ़ियों के लिए मुक्त किया जाता था -
Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (morning shift) -
- (अ) कुम्पावत
- (ब) सरदार
- (स) राणावत
- (द) राजवी
उत्तर : राजवी
व्याख्या :
मारवाड़ में चार प्रकार की श्रेणियाँ थी – राजवी, सरदार, गनायत ओर मुत्सद्दी। राजवी राजा के तीन पीढियों तक के निकट सम्बन्धी होते थे, उन्हें रेख, हुक्मनामा कर और चाकरी से मुक्त रखा जाता था।
- प्रश्न 16 ‘जागीर’ शब्द किस भाषा से लिया गया है -
Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (evening shift) -
- (अ) हिन्दी
- (ब) मारवाड़ी
- (स) संस्कृत
- (द) फारसी
उत्तर : फारसी
व्याख्या :
जागीर एक फ़ारसी शब्द है, और इसका अर्थ है “स्थान धारक”।
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