राठौड़ वंश
- प्रश्न 89 किशनगढ़ राजघराना निम्नलिखित में से किस राजपूत कुल से सम्बंधित था -
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- (अ) चौहान
- (ब) भाटी
- (स) सिसोदीया
- (द) राठौड़
उत्तर : राठौड़
व्याख्या :
किशनगढ़ के शासक राठौड़ वंश के थे।
- प्रश्न 90 मारवाड़ के राव मालदेव का उत्तराधिकारी कौन था -
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- (अ) राम सिंह
- (ब) चन्द्रसेन
- (स) उदय सिंह
- (द) कल्याणमल
उत्तर : चन्द्रसेन
व्याख्या :
राव चंद्रसेन का जन्म 16 जुलाई, 1541 ई. में हुआ। यह मालदेव व झाला रानी स्वरूप दे का पुत्र था। स्वरूप दे ने मालदेव से कहकर चंद्रसेन को मारवाड़ का युवराज बनवाया था।
- प्रश्न 91 किस मारवाड़ नरेश ने मुगल सम्राट औरंगजेब के साथ सहयोग की नीति अपनाई -
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- (अ) मोटा राजा उदयसिंह
- (ब) जसवन्त सिंह
- (स) मालदेव
- (द) गजसिंह
उत्तर : जसवन्त सिंह
व्याख्या :
जसवंतसिंह का जन्म 26 दिसंबर, 1626 ई. में बुरहानपुर में हुआ था। 1638 ई. में मुगल सम्राट शाहजहाँ ने जसवंतसिंह को खिलअत, जड़ाऊ जमधर एवं टीका दिया तथा उसे 4000 जात एवं 4000 सवार का मनसब देकर मारवाड़ का शासक स्वीकार किया। यह रस्म अदायगी आगरा में की गई।
- प्रश्न 92 1574 ई. में अकबर की सेना के अधिकार के बाद जोधपुर का प्रशासक किसे नियुक्त किया गया -
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- (अ) युसुफ खां
- (ब) बदायूंनी
- (स) बीकानेर के कल्याणमल
- (द) बीकानेर के रायसिंह
उत्तर : बीकानेर के रायसिंह
व्याख्या :
मारवाड़ की राजनीतिक स्थिति ‘नागौर दरबार’ के बाद स्पष्ट थी। अकबर ने बीकानेर के रायसिंह को जोधपुर का अधिकारी नियुक्त कर महाराणा कीका को मारवाड़ से सहायता मिलने या इस मार्ग से गुजरात में हानि पहुँचाने की सम्भावना समाप्त कर दी।
- प्रश्न 93 जोधपुर के कौन से शासक अपने राज्य को स्वतंत्र इकाई रखना चाहते थे -
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- (अ) महाराजा हनुवन्त सिंह
- (ब) महाराजा उम्मेद सिंह
- (स) महाराजा भुपाल सिंह
- (द) महाराजा भीम सिंह
उत्तर : महाराजा हनुवन्त सिंह
व्याख्या :
महाराजा उम्मेदसिंह की मृत्यु के बाद 21 जून, 1947 को उनका पुत्र हनुवंतसिंह जोधपुर का महाराजा बनाया गया। इनके समय में देश आजाद हुआ। महाराजा हनुवंतसिंह पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना के साथ मिलना चाहते थे। लेकिन वी.पी. मेनन, लार्ड माउन्टबेटन एवं सरदार वल्लभभाई पटेल के समझाने से महाराजा हनुवंतसिंह बड़ी मुश्किल से भारतीय संघ में मिलने को तैयार हुए।
- प्रश्न 94 औरंगजेब की मृत्यु तक अपने को स्वतंत्र करने का प्रयास करने वाला राजपूत राज्य था -
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- (अ) मारवाड़
- (ब) मेवाड़
- (स) जयपुर
- (द) बीकानेर
उत्तर : मारवाड़
व्याख्या :
जसवंत सिंह की मृत्यु के बाद औरंगजेब ने जोधपुर को खालसा कर दिया था, अहमदनगर में औरंगजेब की मृत्यु के बाद अजीतसिंह ने जोधपुर पर अधिकार कर लिया।
- प्रश्न 95 किसके शासनकाल में जोधपुर ‘पोलो का घर’ कहलाता था -
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- (अ) सरदार सिंह
- (ब) जसवंत सिंह
- (स) तख्त सिंह
- (द) विजय सिंह
उत्तर : सरदार सिंह
व्याख्या :
जोधपुर महाराजा सरदारसिंह राठौड़ (1895-1911) के समय जोधपुर पोलो का घर कहलाता था।
- प्रश्न 96 ‘बिना छज्जे का धोळा ढूंढा’ वाक्यांश किस प्रसिद्ध शासक से सम्बंधित है -
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- (अ) जसवंत सिंह
- (ब) राव मालदेव
- (स) कल्याणमल
- (द) राव चन्द्रसेन
उत्तर : जसवंत सिंह
व्याख्या :
दुर्गादास का जन्म 1638 ई. में सालवा गांव में हुआ। वे जोधपुर के महाराजा जसवंतसिंह की सेवा में रहने वाले आसकरण की तीसरी पत्नी की संतान थे। बालक दुर्गादास अपनी माता के साथ लूणावे गांव में रहकर खेती-बाड़ी द्वारा गुजारा चलाने लगा। 1655 ई. में आपसी कहा-सुनी के बाद उसने अपने खेत से होकर सांडनियाँ (मादा ऊँट) ले जाने पर राजकीय चरवाहे को मार डाला। महाराजा ने दुर्गादास को बुलाकर सारी बात पूछी। दुर्गादास ने अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा कि उक्त चरवाहे की लापरवाही के कारण न केवल किसानों की फसल नष्ट हो रही थी अपितु उसने आपके दुर्ग को भी अपशब्दों के साथ ‘बिना छज्जे का धोळा ढ़ंूढा’ (बिना छत का सफेद खण्डहर) कहा। इस कारण मैंने उसकी हत्या कर दी।
- प्रश्न 97 गोरा धाय ने मारवाड़ के ......... की जान बचाई -
Junior Instructor(copa) -
- (अ) उदयसिंह
- (ब) अजीतसिंह
- (स) सुमेरसिंह
- (द) चन्द्रसेन
उत्तर : अजीतसिंह
व्याख्या :
वीर दुर्गादास, गोरा धाय तथा मुकुंददास खींची ने अजीत सिंह को चुपके से दिल्ली से निकाल कर सिरोही राज्य के कालिन्द्री मंदिर में छिपा दिया। इस कार्य में मेवाड़ महाराणा राजसिंह सिसोदिया ने बड़ी सहायता की। मेवाड़ महाराजा राजसिंह ने अजीतसिंह के निर्वाह के लिए दुर्गादास को केलवा की जागीर-प्रदान की।
- प्रश्न 98 अकबर की शाही सेना ने किसके नेतृत्व में जोधपुर पर कब्जा किया -
Junior Instructor(copa) -
- (अ) अबुल फजल
- (ब) मानसिंह
- (स) हुसैन कुलीखां
- (द) बदायूनी
उत्तर : हुसैन कुलीखां
व्याख्या :
लगभग 1564 ई. में चन्द्रसेन का सौतेला भाई राम अकबर के दरबार में पहुँचा और शाही सहायता की प्रार्थना की। अकबर अवसर की ताक में था ही। उसने शीघ्र ही हुसैन कुलीखाँ की अध्यक्षता में एक फौज भेज दी जिसने जोधपुर पर अपना कब्जा कर लिया। विवश होकर चन्द्रसेन भाद्राजूण के किले की तरफ चल दिया।
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