तहसील - 8 पंचायत समिति - 7 संभाग - कोटा
वराह नगरी चैदहवीं- पन्द्रहवीं शताब्दी में सोलंकी राजपुतों के अधिन था। उस समय इसके अन्तर्गत 12 गांव आते थे, इसलिए यह बारां कहलाया।
10 अप्रैल, 1991 को कोटा से अलग हो कर बारां जिला बना। वैसे 1948 में संयुक्त राजस्थान के निर्माण के समय भी बारां जिला था। लेकिन 31 मार्च 1949 को राजस्थान के पुनर्निमाण के समय इसे कोटा जिले में मिला दिया गया।
बारां जिले में हाड़ौती बोली, बोली जाती है। जिसका वर्णन सर्वप्रथम केलाॅग द्वारा लिखित हाड़ौती व्याकरण में मिलता है।
पार्वती नदी - पार्वती नदी मध्यप्रदेश के सिहोर से निकलती है, तथा बारां के करयाहट में राजस्थान में प्रवेश करती है।
बिलास परियोजना - बारां।
परवन लिफ्ट - बारां।
बैथली परियोजना - बारां।
सावण भादो परियोजना - बारां, कोटा।
रामगढ़ मिठे,पानी की झील बारां में स्थित है।
शेरगढ़ किला - परवन नदी के किनारे स्थित दुर्ग जिसे प्राचीन काल में कोषवर्धन के नाम से जाना जाता था।
शेरगढ़ अभ्यारण्य - परवन नदी के किनारे स्थित वन्य जीव अभ्यारण्य, यहां सर्पो को संरक्षण दिया जाता है।
शाहबाद दुर्ग - इस दुर्ग का निर्माण राजा मुकुट मणी देव द्वारा करवाया गया था।
भण्डदेवरा रामगढ़ - इसे राजस्थान का मिनी खजूराहो भी कहा जाता है। यह खजूहारो शैली पर आधारित दसवीं सदी में बना शिवमंदिर है। इसका निर्माण मलयवर्मा द्वारा शत्रु पर विजय के उपलक्ष में करवाया गया था।
शाहबाद मस्जिद - चैहान राजा मुक्तामन द्वारा निर्मित राजस्थान की सबसे बड़ी मस्जिद।
सीताबाड़ी - यह धार्मिक व प्राकृतिक स्थल है यहां पर वाल्मीकि आश्रम, सीताकुण्ड, लक्ष्मणकुण्ड व लव- कुश कण्ड स्थित है यहां पर सीता व लक्ष्मण जी के प्राचीन मंदिर स्थित हैं।
इस जिले में सर्वाधिक सुरक्षित वन हैं, जिन पर पुरा नियंत्रण सरकार का है।
यह राजस्थान के पर्यटन विकास की दृष्टि से हाड़ौती सर्किट में आता है।
वर्तमान में छबड़ा(बारां) में एक क्रीटिकल सुपर थर्मल पावर प्लांट निर्माणाधीन है।
मसूरिया(कपड़े की बुनाई) मांगरोल बारां।
यहां आप राजस्थान के मानचित्र से जिला चुन कर उस जिले से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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