तहसील -8 संभाग - जोधपुर
पृथ्वीराज चौहान के समय इसे विजयनगर कहा जाता था। सिद्धू जी कल्ला ने सन् 1458 में यहां लटियाल माता का मंदिर बनवाया।
राव जोधा के पुत्र सुजा ने सिद्धु जी के सहयोग से 1526 वैसाख सुदी तीज (सन् 1469) में दुर्ग की नींव रखी। दुर्ग निर्माण में फला नाम की महिला ने सहयोग किया इसलिए इसे फलौदी कहा गया।
संस्कृत शिलालेखों में फलौदी का नाम फलवृद्धिका या विजयपुर मिलता है।
यह सबसे शुष्क जिला है।
फलोदी में स्थित खिंचन गांव कुंरजा पक्षी के लिए प्रसिद्ध है।
1962 के भारत-चीन युद्ध में करणोंपरांत परमवीर चक्र विजेता मेजर शैतान सिंह जिन्हें बाणासुर का शहीद के नाम से भी जाना जाता है। इनके गांव का नाम बाणासुर था जिसे वर्तमान में शैतानसिंह नगर कर दिया गया है। यह फलौदी में है।
पाबूजी का जन्म मारवाड़ के राव आसथान जी के पुत्र धांधलजी राठौड़ के यहां 1239 ई. में फलौदी के कोलू गाँव/कोलुमंड में हुआ था। कोलु में चैत्र अमावस्या को पाबूजी का मेला लगता है। पाबू जी का पेनोरमा कोलू, फलौदी में है। पाबूजी 1276 देचू गांव में युद्ध करते हुए वीरगति प्राप्त हुए।
लालचंद धड्ढा की हवेली फलौदी में है।
सांगीदास थानवी की हवेली फलौदी में है।
मोतीलाल अमरचंद कोचर हवेली की फलौदी में है।
बाप और फलौदी झीलें राजस्थान के फलौदी जिले में स्थित हैं। ये दोनों खारे पानी की झीलें हैं।
राजस्थान का सबसे बड़ा सौलर पार्क भड़ला फलौदी में है।
जाम्बोजी का पवित्र स्थल जाम्बा बाप, फलौदी में है।
राज्य का पहला कोयला सयंत्र बाप में है।
मेहाजी मांगलीया का मंदिर बापणी गाँव में है।
मेघराजसर (मेघड़ासर) तालाब बाप में है।
फलौदी जिला की आकृति आस्ट्रेलिया के समान है।
लटियाल माता मन्दिर, फलौदी में है।
Official Website https://phalodi.rajasthan.gov.inयहां आप राजस्थान के मानचित्र से जिला चुन कर उस जिले से संबंधित जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
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