राजस्थान में संगीत एवं लोकगीत
- प्रश्न 104 राजस्थान का ‘राज्य लोक वाद्य यंत्र’ कौन-सा है -
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- (अ) सारंगी
- (ब) अलगोजा
- (स) पूंगी
- (द) झांझ
उत्तर : अलगोजा
- प्रश्न 105 ‘तेरहताली’ नृत्य में किस वाद्ययंत्र का प्रयोग किया जाता है -
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- (अ) मंजीरा
- (ब) ताश
- (स) मांदल
- (द) शंख
उत्तर : मंजीरा
- प्रश्न 106 ‘जला’ गीत स्त्रियों द्वारा कब गाया जाता है -
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- (अ) कुंआ पूजन के समय
- (ब) जलझूलनी एकादशी के अवसर पर
- (स) वर की बारात का डेरा देखने जाने पर
- (द) तीज पूजन के अवसर पर
उत्तर : वर की बारात का डेरा देखने जाने पर
- प्रश्न 107 निम्न में से कौनसा जोड़ा गलत है -
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- (अ) तत् वाद्य - इकतारा
- (ब) अवनद्ध - मृदंग
- (स) सुषिर - लेजिम
- (द) घन - खड़ताल
उत्तर : सुषिर - लेजिम
व्याख्या :
लेजिम घन वाद्य है। इसमें बांस के धनुषाकार टुकड़े के ऊपर पीतल की गोल पत्तियां होती हैं, हिलाने पर बजती है। यह गरासियों का वाद्ययंत्र है।
- प्रश्न 108 हरजस है -
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- (अ) भक्ति गीत
- (ब) जनजाति लोकगीत
- (स) विवाह गीत
- (द) श्रृंगारिक लोकगीत
उत्तर : भक्ति गीत
व्याख्या :
रामलीला व कृष्णलीला के वर्णनयुक्त भक्ति गीत है।
- प्रश्न 109 राजस्थान की मरू कोकिला’ उपनाम से प्रसिद्ध मांड गायिका है -
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- (अ) गवरी देवी
- (ब) मांगी बाई
- (स) अल्ला जिलाई बाई
- (द) सीमा मिश्रा
उत्तर : अल्ला जिलाई बाई
व्याख्या :
अल्ला जिलाई बाई को 1982 में पद्मश्री मिला था।
- प्रश्न 110 पटेल्या, बीछियों एवं लालर प्रमुख लोकगीत है -
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- (अ) जाट जाति के
- (ब) कालबेलियों के
- (स) चारण जाति के
- (द) आदिवासियों के
उत्तर : आदिवासियों के
व्याख्या :
मेवाड़ क्षेत्र के मुख्य लोक गीत पटेल्या, बीछियो, लालर, माछर, नोखीला, थारी ऊँटा री असवारी, नावरी असवारी, शिकार आदि है। उत्तरी मेवाड़ के भीलों का प्रसिद्ध गीत हमसीढ़ों है जिसे स्त्री व पुरुष मिलकर गाते हैं।
- प्रश्न 111 निम्नलिखित में से कौनसा तत् वाद्य नहीं है -
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- (अ) रावण हत्था
- (ब) जन्तर
- (स) अलगोजा
- (द) कामायचा
उत्तर : अलगोजा
- प्रश्न 112 चारबैत, जो राजस्थान की प्रचलित लोक गायन शैली है, कहां की प्रसिद्ध है -
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- (अ) जैसलमेर
- (ब) टोंक
- (स) बांसवाड़ा
- (द) श्रीगंगानगर
उत्तर : टोंक
व्याख्या :
राजस्थान के टोंक में प्रचलित चार बैत लोक गायन शैली में कव्वाल धाप बजाते हुए कव्वालों की तरह घुटनों के बल खड़े होकर भाव पूर्ण गीत गाते हैं। कुछ गायक ऊंची कूद और चादर को उछालते हुए भी गाते हैं। यह शैली मूल रूप से पठानी मूल का एक काव्य रूप है, जिसे पहले पश्तो भाषा में गाया जाता था।
- प्रश्न 113 रावण हत्था क्या है -
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- (अ) एक प्रकार की चित्रकला
- (ब) विशेष शैली के मांडणा
- (स) वाद्ययंत्र
- (द) एक प्रकार की मेंहन्दी
उत्तर : वाद्ययंत्र
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