राजस्थान में 1857 की क्रांति
- प्रश्न 16 निम्न में से कौनसा स्थान 1857 की क्रान्ति का केन्द्र नहीं था-
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- (अ) अजमेर
- (ब) नीमच
- (स) आऊआ
- (द) जयपुर
उत्तर : जयपुर
व्याख्या :
शासक रामसिंह ने अंग्रेजों की तन-मन-धन से सहायता की, अंग्रेजों ने इन्हें सितार-ए-हिन्द की उपाधि व कोटपूतली की जागीर दी। जयपुर राजस्थान की एकमात्र ऐसी रियासत थी, जिसकी जनता व राजा दोनों ने मिलकर अंग्रेजों का साथ दिया।
- प्रश्न 17 1857 की क्रांति में नसीराबाद छावनी में विद्रोह भड़कने का प्रमुख कारण था-
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- (अ) सैनिकों के प्रति दुर्व्यवहार
- (ब) अजमेर स्थित 15 वीं बंगालनेटिव इन्फेन्ट्री को नसीराबाद भेजना एवं सैनिक तैयारियाँ करना
- (स) उच्च पदों पर अंग्रेजों अधिकारियों की नियुक्ति
- (द) मेरठ में विद्रोही सैनिकों का नसीराबाद आगाज
उत्तर : अजमेर स्थित 15 वीं बंगालनेटिव इन्फेन्ट्री को नसीराबाद भेजना एवं सैनिक तैयारियाँ करना
व्याख्या :
ए.जी.जी. ने 15वीं बंगाल इन्फेन्ट्री जो अजमेर में थी, उसे अविश्वास के कारण नसीराबाद में भेज दिया था। इस अविश्वास के चलते उनमें असंतोष पनपा। ए.जी.जी. के सामने उस समय अजमेर की सुरक्षा की समस्या सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण थी, क्योंकि अजमेर शहर में भारी मात्रा में गोला बारूद एवं सरकारी खजाना था। यदि यह सब विद्रोहियों के हाथ में पड़ जाता तो उनकी स्थिति अत्यन्त सुदृढ़ हो जाती।
- प्रश्न 18 भारत छोड़ो आन्दोलन के संचालन हेतु ‘आजाद मोर्चा’ का गठन कहाँ हुआ था -
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- (अ) उदयपुर
- (ब) बीकानेर
- (स) जयपुर
- (द) जोधपुर
उत्तर : जयपुर
व्याख्या :
‘आजाद मोर्चा’ का गठन ‘बाबा हरिश्चंद्र’ के नेतृत्व में जयपुर प्रजामण्डल में भारत छोड़ो आंदोलन के संचालन के लिए किया गया था।
- प्रश्न 19 राजस्थान में सर्वप्रथम 1857 की क्रान्ति की शुरूआत कब हुई-
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- (अ) 10 मई, 1857 को
- (ब) 28 मई, 1857 को
- (स) 16 मई, 1857 को
- (द) 24 मई, 1857 को
उत्तर : 28 मई, 1857 को
व्याख्या :
राजस्थान में क्रान्ति का प्रारम्भ नसीराबाद में 28 मई 1857 को सैनिक विद्रोह से होता है।
- प्रश्न 20 बिथौरा के युद्ध में आऊआ के ठाकुर कुशालसिंह ने 18 सितम्बर, 1857 को जोधपुर राजा तख्तसिंह व कैप्टन हीथकोट को पराजित किया, वर्तमान में ‘बिथौरा’ किस जिले में स्थित है-
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- (अ) पाली
- (ब) नागौर
- (स) जोधपुर
- (द) बाड़मेर
उत्तर : पाली
व्याख्या :
बिथोड़ा का युद्ध (पाली): ठाकुर कुशालसिंह की सेना ने जोधपुर की राजकीय सेना को 8 सितम्बर, 1857 को बिथोड़ा नामक स्थान पर पराजित किया।
- प्रश्न 21 किस आयेाग की सिफारिशों पर ठाकुर कुशालसिंह को रिहा किया गया-
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- (अ) ट्रेन्च आयोग
- (ब) टेलर आयोग
- (स) आऊवा आयोग
- (द) बर्टन आयोग
उत्तर : टेलर आयोग
व्याख्या :
अगस्त 1860 में कुशाल सिंह आत्मसमर्पण कर दिया। कुशाल सिंह के विद्रोह की जांच के लिए मेजर टेलर आयोग का गठन किया। साक्ष्यों के अभाव में कुशाल सिंह को रिहा कर दिया जाता है।
- प्रश्न 22 राजस्थानी लोकगीतों में किस युद्ध को ‘गौरों व कालों के युद्ध’ के नाम से जाना जाता है-
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- (अ) ठाकुर कुशालसिंह व कर्नल होम्स के बीच हुए युद्ध को
- (ब) काकुर कुशालसिंह व माॅक मैंसन के बीच हुए युद्ध को
- (स) ठाकुर कुशालसिंह व कैप्टन हीथकोट के बीच हुए युद्ध को
- (द) ठाकुर कुशालसिंह व लाॅर्ड कैनिंग के बीच हुए युद्ध को
उत्तर : काकुर कुशालसिंह व माॅक मैंसन के बीच हुए युद्ध को
व्याख्या :
चेलावास का युद्ध (उपनाम - गौरों व कालों का युद्ध) : जोधपुर की सेना की पराजय की खबर पाकर ए.जी.जी. जॉर्ज लारेन्स स्वयं एक सेना लेकर आउवा पहुँचा। मगर 18 सितम्बर, 1857 को वह विद्रोहियों से परास्त हुआ।
- प्रश्न 23 मेहराब खां एवं जयदयाल ने कहां विद्रोह किया-
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- (अ) टोंक में
- (ब) कोटा में
- (स) अजमेर में
- (द) धौलपुर में
उत्तर : कोटा में
व्याख्या :
15 अक्टूबर, 1857 को कोटा की सेना ने रेजीडेन्सी को घेरकर मेजर बर्टन और उसके पुत्रों तथा एक डॉक्टर की हत्या कर दी। मेजर बर्टन का सिर कोटा शहर में घुमाया गया तथा महाराव का महल घेर लिया। विद्रोही सेना का नेतृत्व रिसालदार मेहराबखाँ और लाला जयदयाल कर रहे थे।
- प्रश्न 24 किस किले के मुख्य दरवाजे पर अंग्रेज अधिकारी माॅक मैंसन का सिर लटका दिया गया था-
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- (अ) मालकोट किला
- (ब) लोहागढ़ दुर्ग
- (स) आऊवा किला
- (द) कुचामन किला
उत्तर : आऊवा किला
व्याख्या :
जोधपुर की सेना की पराजय की खबर पाकर ए.जी.जी. जॉर्ज लारेन्स स्वयं एक सेना लेकर आउवा पहुँचा। मगर 18 सितम्बर, 1857 को वह विद्रोहियों से परास्त हुआ। इस संघर्ष के दौरान जोधपुर का पोलिटिकल एजेन्ट मोक मेसन क्रांतिकारियों के हाथों मारा गया। उसका सिर आउवा के किले के द्वार पर लटका दिया गया।
- प्रश्न 25 ‘आयो इंगरैज मुल्क रै ऊपर’ किसकी रचना है-
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- (अ) दुरसा आढ़ा
- (ब) बांकीदास
- (स) केसरीसिंह बारहठ
- (द) गिरधर आसिंया
उत्तर : बांकीदास
व्याख्या :
बांकीदास, जोधपुर महाराजा मानसिंह राठौड़ के दरबारी कवि थे। इन्हें मारवाड़ का बीरबल कहा जाता है। इन्होंने ‘आयो अंग्रेज मुलक रै ऊपर’ कविता लिखी थी।
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