राजस्थान में 1857 की क्रांति
- प्रश्न 1 1857 की क्रांति में सुजा कँवर राजपुरोहित की क्या भूमिका थी -
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- (अ) उन्होंने तात्या टोपे के साथ मिलकर सीकर में विद्रोह का नेतृत्व किया।
- (ब) वे एकमात्र महिला क्रांतिकारी थीं जिन्होंने पुरुष वेश में अंग्रेजों को लाडनूँ से भगाया।
- (स) उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ कविताएँ लिखकर जनजागृति फैलाई।
- (द) वे डूंगजी-जवारजी की सहयोगी थीं और छावनियों को लूटने में शामिल थीं।
उत्तर : वे एकमात्र महिला क्रांतिकारी थीं जिन्होंने पुरुष वेश में अंग्रेजों को लाडनूँ से भगाया।
व्याख्या :
सुजा कँवर राजपुरोहित, 1857 की क्रान्ति के समय एकमात्र महिला क्रान्तिकारी थीं, जिसने पुरुष वेश में अंग्रेजों का मुकाबला किया और लाडनूं (डीडवाना - कुचामन) क्षेत्र से अंग्रेजों को भागने पर मजबूर किया।
- प्रश्न 2 तात्या टोपे ने अपनी दूसरी राजस्थान यात्रा में निम्नलिखित में से किस शासक को पराजित कर उसका क्षेत्र अपने अधिकार में लिया -
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- (अ) टोंक के नासिर मुहम्मद खाँ
- (ब) बाँसवाड़ा के लक्ष्मण सिंह
- (स) झालावाड़ के पृथ्वी सिंह
- (द) बूँदी के रामसिंह
उत्तर : बाँसवाड़ा के लक्ष्मण सिंह
व्याख्या :
दूसरी बार तात्या ने राजस्थान में 11 सितम्बर को बाँसवाड़ा से प्रवेश किया। बाँसवाड़ा शासक लक्ष्मण सिंह को पराजित कर इस पर अधिकार कर लिया। इसके बाद सलूम्बर भींडर फिर टोंक पहुँचा, टोंक के नासीर मौहम्मद ने तात्या का सहयोग किया।
- प्रश्न 3 1857 की क्रांति में राजस्थानी साहित्यकार सूर्यमल्ल मिश्रण ने किस रचना के माध्यम से क्रांतिकारियों को प्रेरित किया -
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- (अ) ‘आयो अंग्रेज मुलक रै ऊपर’
- (ब) ‘वीर सतसई’
- (स) ‘हट जा रै गोरा राज भरतपुर को’
- (द) ‘मारवाड़ का बीरबल’
उत्तर : ‘वीर सतसई’
व्याख्या :
सूर्यमल्ल मिश्रण ने ‘वीर सतसई’ में 288 दोहे लिखकर मातृभूमि की रक्षा के लिए क्रांतिकारियों को प्रेरित किया, जबकि अन्य रचनाएँ बांकीदास की हैं।
- प्रश्न 4 अमर चन्द्र बांठिया को “1857 की क्रांति का भामाशाह” क्यों कहा जाता है?
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- (अ) उन्होंने झाँसी की रानी को वित्तीय सहायता प्रदान की।
- (ब) उन्होंने सीकर में अंग्रेज छावनियों को लूटा।
- (स) वे तात्या टोपे के साथ राजस्थान में विद्रोह का नेतृत्व करने वाले पहले व्यक्ति थे।
- (द) उन्होंने बीकानेर में अंग्रेजों के खिलाफ सैन्य विद्रोह शुरू किया।
उत्तर : उन्होंने झाँसी की रानी को वित्तीय सहायता प्रदान की।
व्याख्या :
ग्वालियर में झाँसी की रानी को आर्थिक मदद देने के कारण उन्हें यह उपाधि मिली, और वे राजस्थान के पहले शहीद भी थे।
- प्रश्न 5 नसीराबाद में 1857 की क्रांति की शुरुआत के लिए निम्नलिखित में से कौन-सा कारण सबसे महत्वपूर्ण था -
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- (अ) अंग्रेजों द्वारा भारतीय सैनिकों पर अविश्वास और उनकी निगरानी बढ़ाना।
- (ब) नसीराबाद में गोला-बारूद की कमी।
- (स) स्थानीय शासकों का विद्रोहियों को समर्थन।
- (द) चर्बी वाले कारतूसों की अफवाहों का अभाव।
उत्तर : अंग्रेजों द्वारा भारतीय सैनिकों पर अविश्वास और उनकी निगरानी बढ़ाना।
व्याख्या :
ए.जी.जी. ने 15वीं बंगाल इन्फेन्ट्री जो अजमेर में थी, उसे अविश्वास के कारण नसीराबाद में भेज दिया था। इस अविश्वास के चलते उनमें असंतोष पनपा।
- प्रश्न 6 निम्नलिखित में से कौन-सी सैनिक छावनी 1857 की क्रांति में शामिल नहीं हुई -
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- (अ) नसीराबाद
- (ब) नीमच
- (स) खेरवाड़ा
- (द) एरिनपुरा
उत्तर : खेरवाड़ा
व्याख्या :
खेरवाड़ा और ब्यावर की सैनिक छावनियों ने विद्रोह में भाग नहीं लिया, जबकि अन्य छावनियों में विद्रोह की घटनाएँ हुईं।
- प्रश्न 7 1857 के विद्रोह के समय जयपुर रियासत के पॉलिटिकल एजेन्ट कौन थे -
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- (अ) मेजर बर्टन
- (ब) मॉरिसन
- (स) ईडन
- (द) जे.डी. हॉल
उत्तर : ईडन
व्याख्या :
1857 के विद्रोह के समय जयपुर रियासत के पॉलिटिकल एजेंट ईडन थे। यहाँ विलायत खाँ, सादुल खाँ व उस्मान खाँ ने अंग्रेज रोधी कार्य किए। किन्तु शासक रामसिंह ने अंग्रेजों की तन-मन-धन से सहायता की, अंग्रेजों ने इन्हें सितार-ए-हिन्द की उपाधि व कोटपूतली की जागीर दी। जयपुर राजस्थान की एकमात्र ऐसी रियासत थी, जिसकी जनता व राजा दोनों ने मिलकर अंग्रेजों का साथ दिया।
- प्रश्न 8 1857 के विद्रोह के समय कोटा में पोलिटिकल एजेन्ट कौन था -
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- (अ) मेजर सोवर्स
- (ब) मेजर बर्टन
- (स) पेट्रिक लारेन्स
- (द) कर्नल ईडन
उत्तर : मेजर बर्टन
व्याख्या :
1857 के विद्रोह में कोटा का सबसे महत्वपूर्ण योगदान था। यहां अंग्रेजों के खिलाफ राज्य की सेना और आम जनता ने संघर्ष किया। कोटा का राजनीतिक प्रतिनिधि मेजर बर्टन था, जो नीमच के विद्रोह को दबाने के बाद अक्टूबर, 1857 में कोटा पहुंचा था।
- प्रश्न 9 धौलपुर में 1857 की क्रान्ति का नेतृत्व किसने किया -
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- (अ) ठाकुर कुशालसिंह
- (ब) जयदयाल एवं मेहराब खान
- (स) रावत केसरीसिंह
- (द) राव रामचन्द्र एवं हीरालाल
उत्तर : राव रामचन्द्र एवं हीरालाल
व्याख्या :
धौलपुर में 1857 की क्रांति का नेतृत्व राव रामचन्द्र और हीरालाल ने किया था। अक्टूबर 1857 में ग्वालियर और इंदौर के विद्रोही सैनिक धौलपुर आए। उन्होंने स्थानीय विद्रोहियों के साथ मिलकर धौलपुर शासक पर तोपखाना उपलब्ध कराने का दबाव बनाया। राव रामचंद्र और हीरालाल के नेतृत्व में लगभग 1000 विद्रोही महाराणा धौलपुर की तोपों के साथ आगरा भाग गए।
- प्रश्न 10 1857 के विद्रोह के समय बीकानेर रियासती राज्य का शासक कौन था -
Junior Instructor (ED) Exam 2024 -
- (अ) विनयसिंह
- (ब) सरदारसिंह
- (स) रामसिंह
- (द) लक्ष्मणसिंह
उत्तर : सरदारसिंह
व्याख्या :
बीकानेर के महाराजा सरदारसिंह 1857 के विद्रोह के दौरान राज्य के शासक थे। सरदारसिंह राजस्थान का अकेला ऐसा शासक था जो सेना लेकर विद्रोहियों को दबाने के लिए राज्य से बाहर (हिसार के पास बडालु) भी गया। महाराजा ने पंजाब में विद्रोह को दबाने में अंग्रेजों का सहयोग किया। महाराजा ने अंग्रेजों को शरण तथा सुरक्षा भी प्रदान की। अग्रेजों ने बीकानेर के सरदार सिंह को टिब्बी क्षेत्र (हनुमानगढ़) के 41 गांव दिए।
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