राजस्थानी भाषा एवं बोलियां
- प्रश्न 21 राजस्थान शैली का उद्गम कौनसी शैली से माना जाता है -
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- (अ) गजरात
- (ब) नाथद्वारा शैली
- (स) बूंदी शैली
- (द) अपभ्रंश शैली
उत्तर : अपभ्रंश शैली
- प्रश्न 22 निमाड़ी एवं रागड़ी किस बोली की विशेषता है-
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- (अ) हाड़ौती
- (ब) मेवाती
- (स) मालवी
- (द) अहीरवाटी
उत्तर : मालवी
व्याख्या :
‘निमाड़ी और रागड़ी’ मालवी बोली की उप-बोलियाँ हैं।
निमाड़ी मध्य प्रदेश राज्य के भीतर पश्चिम-मध्य भारत के निमाड़ क्षेत्र में बोली जाने वाली एक पश्चिमी इंडो-आर्यन भाषा है।
मालवी भारत के मालवा क्षेत्र में बोली जाने वाली एक आर्य-भारतीय भाषा है।
- प्रश्न 23 पूर्वी राजस्थान के मध्य पूर्व भाग की प्रथम बोली है -
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- (अ) ब्रज
- (ब) मारवाड़ी
- (स) खैराडी़
- (द) ढूंढाड़ी
उत्तर : ढूंढाड़ी
- प्रश्न 24 महाराणा कुंभा द्वारा रचित 4 नाटकों में कीर्ति स्तंभ के अनुसार किस भाषा का प्रयोग किया गया था -
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- (अ) मारवाड़ी
- (ब) मेवाड़ी
- (स) मालवीय
- (द) उपरोक्त में से कोई नहीं
उत्तर : मेवाड़ी
- प्रश्न 25 राजस्थान के निम्न में से किस जिले में मेवाती भाषा बोली जाती है-
RPSC Clerk GR-II Exam 2016 Paper I -
- (अ) डूंगरपुर
- (ब) सीकर
- (स) अलवर
- (द) भीलवाड़ा
उत्तर : अलवर
- प्रश्न 26 राजस्थान की किस बोली पर मराठी भाषा का प्रभाव है -
RSMSSB LDC (12-08-18) Paper-1 -
- (अ) मारवाड़ी
- (ब) मालवी
- (स) मेवाड़ी
- (द) ढूंढाड़ी
उत्तर : मालवी
- प्रश्न 27 बोली, जिसमें सुन्दरदास(दादू पंथ) का साहित्य प्राप्त होता है -
Asstt. Agriculture Officer Exam 2015 Paper 1 -
- (अ) मेवाती
- (ब) रांगडी
- (स) अहीरवाटी
- (द) ढूढ़ाड़ी
उत्तर : ढूढ़ाड़ी
- प्रश्न 28 निम्नलिखित में से किस बोली पर मालवी का शक्तिशाली प्रभाव है -
RSMSSB LDC (16-09-18) Paper-1 -
- (अ) वागड़ी
- (ब) अहोरवाटी
- (स) ढूंढाड़ी
- (द) मेवाती
उत्तर : वागड़ी
- प्रश्न 29 सुमेलित कीजिये -
कूट - अ, ब, स, दबोली जिला अ. जगरौती 1. उदयपुर ब. ढाटी 2. टोंक स. नागरचाल 3. बाड़मेर द. धावड़ी 4. करौली
Lect. College Edu. EXAM 2014(GK) -
- (अ) 4, 3, 2, 1
- (ब) 4, 1, 2, 3
- (स) 3, 1, 4, 2
- (द) 1, 2, 3, 4
उत्तर : 4, 3, 2, 1
- प्रश्न 30 कवि सूर्यमल्ल मिश्रण ने अपनी पुस्तक ‘वीर सतसई’ किस भाषा में लिखी है -
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- (अ) डिंगल
- (ब) प्राकृत
- (स) संस्कृत
- (द) पिंगल
उत्तर : डिंगल
व्याख्या :
कवि सूर्यमल्ल मिश्रण ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक ‘वीर सतसई’ डिंगल भाषा में लिखी है। डिंगल भाषा राजस्थान की एक प्राचीन और वीर रस प्रधान साहित्यिक भाषा है, जिसका उपयोग मुख्य रूप से राजस्थानी वीरों की गाथाओं और प्रशंसा के लिए किया जाता था।
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