राजस्थानी भाषा एवं बोलियां
- प्रश्न 41 बागड़ क्षेत्र की बोली के लिये ग्रियर्सन ने क्या शब्द प्रयुक्त किया -
College Lecturer (Sarangi Instrument) Exam 2018(G.K.) -
- (अ) बागड़ी
- (ब) भीली
- (स) मालवी
- (द) मेवाड़ी
उत्तर : भीली
- प्रश्न 42 किस भाषा से राजस्थानी का उद्भव हुआ है -
College Lecturer (Sarangi Instrument) Exam 2018(G.K.) -
- (अ) शौरसेनी अपभ्रंश
- (ब) मराठी
- (स) भोजपुरी
- (द) बंगाली
उत्तर : शौरसेनी अपभ्रंश
- प्रश्न 43 अलवर जिले के बहरोड़ और मुण्डावर में कौनसी बोली बोली जाती है -
JSA Toxicology-2019(Rajasthan Gk) -
- (अ) रागड़ी
- (ब) हाड़ौती
- (स) मेवाडी
- (द) अहीरवाटी
उत्तर : अहीरवाटी
- प्रश्न 44 अहीरवाटी और मेवाती बोलियां निम्न में से किस वर्गीकरण में आती है -
Junior Instructor(copa) -
- (अ) पश्चिमी राजस्थानी
- (ब) उत्तरी-पूर्वी राजस्थानी
- (स) मध्य-पूर्वी राजस्थानी
- (द) दक्षिणी राजस्थानी
उत्तर : उत्तरी-पूर्वी राजस्थानी
- प्रश्न 45 वागड़ी बोली राजस्थान के ........ भाग में बोली जाती है -
Junior Instructor(welder) -
- (अ) उत्तर-पूर्वी
- (ब) दक्षिण-पूर्वी
- (स) दक्षिण-पश्चिमी
- (द) पश्चिमी
उत्तर : दक्षिण-पश्चिमी
- प्रश्न 46 राजस्थान की वह बोली कौनसी है, जिसे ग्रियर्सन ने ‘भीली बोली’ कहा एवं इसमें ‘च’ और ‘छ’ का उच्चारण ‘स’ किया जाता है एवं ‘था’ के स्थान पर ‘हतो’ का प्रयोग किया जाता है -
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- (अ) ढूंढाड़ी
- (ब) वागड़ी
- (स) हाड़ौती
- (द) मेवाती
उत्तर : वागड़ी
व्याख्या :
डूंगरपुर बांसवाड़ा के क्षेत्रों का प्राचीन नाम बागड़ था । अतः वहां की भाषा बागड़ी का कहलायी, जिस पर गुजराती का प्रभाव अधिक है डॉक्टर ग्रियर्सन इसे “भीली” भी कहते हैं । यह भाषा मेवाड़ के दक्षिणी भाग, दक्षिणी अरावली प्रदेश तथा मालवा की पहाड़ियों तक के क्षेत्र में बोली जाती है । भीली बोली इसकी सहायक बोली है ।
- प्रश्न 47 निम्नलिखित राजस्थानी बोलियों में से किस पर गुजराती का मजबूत प्रभाव है -
JSA Serology-2019(Rajasthan Gk) -
- (अ) ढूंढारी
- (ब) हाड़ौती
- (स) मेवाती
- (द) वागड़ी
उत्तर : वागड़ी
- प्रश्न 48 कवि जोधराज की रचना ‘हम्मीर रासो’ किस बोली में है -
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- (अ) अहीरवाटी
- (ब) मेवाड़ी
- (स) ढूंढाड़ी
- (द) बागड़ी
उत्तर : अहीरवाटी
व्याख्या :
आभीर जाति के क्षेत्र की बोली होने के कारण इसे हीरवाटी या हीरवाल भी कहा जाता है। इस बोली के क्षेत्र को राठ कहा जाता है इसलिए इसे राठी भी कहते है। यह मुख्यतः अलवर की बहरोड़ व मुंडावर तहसील, जयपुर की कोटपूतली तहसील के उत्तरी भाग हरियाणा के गुड़गांव, महेन्द्रगढ़, नारनौल, रोहतक जिलों एवं दिल्ली के दक्षिणी भाग में बोली जाती है। यह बांगरू(हरियाणवी) एवं मेवाती के बीच की बोली है। जोधराज का हम्मीर रासौ महाकाव्य, शंकर राव का भीम विलास काव्य, अलीबख्शी ख्याल लोकनाट्य आदि की रचना इसी बोली में की गई है।
- प्रश्न 49 ‘आईने अकबरी’ का ढूंढाड़ी भाषा में अनुवाद किसने किया -
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- (अ) गुमानीराम कायस्थ
- (ब) भोलानाथ शुक्ल
- (स) द्वारकानाथ भट्ट
- (द) ब्रजनाथ भट्ट
उत्तर : गुमानीराम कायस्थ
व्याख्या :
राजस्थानी शोध संस्थान चौपासनी में अबुल फ़ज़ल कृत आईन-ए-अकबरी के राजस्थानी अनुवाद की हुई पाण्डुलिपि सुरक्षित है जो 1795 ई. की है। दुर्लभ पाण्डुलिपि का अध्ययन करने पर ज्ञात होता है कि जयपुर नरेश सवाई प्रतापसिंह के आदेश से गुमानीराम कायस्त ने ग्रन्थ का अनुवाद राजस्थानी में किया था। फ ारसी भाषा से राजस्थानी भाषा में अनुवादित आईन-ए-अकबरी में कायस्त गुमानीराम ने सम्राट अकबर की शासन व्यवस्था के विभिन्न विभागों के साथ ही अनेक सूचनाएं समाविष्ट की हैं।
- प्रश्न 50 पश्चिम राजस्थान की प्रधान बोली है -
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- (अ) मारवाड़ी
- (ब) मेवाड़ी
- (स) बागड़ी
- (द) शेखावाटी
उत्तर : मारवाड़ी
व्याख्या :
पश्चिमी राजस्थान की प्रधान बोली मारवाड़ी है। यह राजस्थानी भाषा का मानक रूप है और इसे राजस्थान का मरुभाषा कहा जाता है।
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