राजस्थान की जनजातियां
- प्रश्न 47 निम्न में कौनसी जनजाती राजस्थान में निवास करती है-
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- (अ) खासी
- (ब) संथाल
- (स) गोंड
- (द) भील
उत्तर : भील
- प्रश्न 48 ऐसी जनजाती जो घर बनाकर नहीं रहती-
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- (अ) भील
- (ब) मीणा
- (स) गाड़िया लुहार
- (द) सांसी
उत्तर : गाड़िया लुहार
- प्रश्न 49 ‘रूख भायला’ का अर्थ है-
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- (अ) वृक्ष-रोपणा
- (ब) वृक्ष-मित्र
- (स) वृक्ष-क्षेत्र
- (द) वृक्ष-सिंचना
उत्तर : वृक्ष-मित्र
- प्रश्न 50 मीणा का अर्थ है-
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- (अ) वनवासी
- (ब) मछुआरे
- (स) मासाहारी
- (द) मछली
उत्तर : मछली
- प्रश्न 51 गरासिया जनजाति में प्रचलित श्रेष्ठ विवाह, जो हिन्दू रीति-रिवाजों के अनुसार होता है-
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- (अ) पहरावणी
- (ब) ताणना
- (स) मोरबन्धिया
- (द) आटा-साटा
उत्तर : मोरबन्धिया
व्याख्या :
विवाह प्रथाएं :
मौर बाँधिया : विशेष प्रकार का विवाह जिसमे हिन्दुओ की भांति फेरे लिए जाते हैं।
पहरावना विवाह : इसमें नाममात्र के फेरे होते हैं।इस विवाह में ब्राह्मण की आवश्यकता नही होती है।
ताणना विवाह : इसमें न सगाई के जाती है, न फेरे है। इस विवाह में वर पक्ष वाले कन्या पक्ष वाले को कन्या मूल्य वैवाहिक भेंट के रूप में प्रदान करता है।
मेलबो विवाह : खर्च से बचने के लिए इस विवाह में दुल्हन को दूल्हे के घर पर छोड़ दिया जाता हैं।
खेवणा/नाता विवाह : इसमें विवाहित महिला किसी दूसरे व्यक्ति के साथ रहने लगती हैं।इस जनजाति में विधवा विवाह का भी प्रचलन हैं।
सेवा : यह घर जवांई की प्रथा होती हैं।
- प्रश्न 52 ‘हेलरू’ क्या है-
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- (अ) आभूषण
- (ब) प्रथा
- (स) संस्था
- (द) गोत्र
उत्तर : संस्था
- प्रश्न 53 राजस्थान की वह जनजाति, जो अपने विवादों का निपटारा ‘हरिजन’ से करवाती है-
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- (अ) कंजर
- (ब) सांसी
- (स) कथौड़ी
- (द) डामोर
उत्तर : सांसी
- प्रश्न 54 मीणा जनजाति की उत्पत्ति का मुख्य स्त्रोत ‘मीणा पुराण’ ग्रन्थ के रचयिता हैं-
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- (अ) तरूण सागरजी
- (ब) मगन सागर जी
- (स) मुनी बुद्धि सागरजी
- (द) हरिभद्र सुरी
उत्तर : मगन सागर जी
- प्रश्न 55 कत्था बनाने हेतु कथौड़ी जाति द्वारा खैर वृक्ष के किस भाग का उपयोग में लिया जाता है-
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- (अ) फल
- (ब) फुल
- (स) छाल या लकड़ी
- (द) पत्ति
उत्तर : छाल या लकड़ी
- प्रश्न 56 भील समाज के स्त्री-पुरूष शरीर पर चित्रांकन करवाने हैं जिसे कहा जाता है-
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- (अ) अटक
- (ब) डाम
- (स) गोदना
- (द) नोतरा
उत्तर : गोदना
व्याख्या :
भील स्त्री-पुरुष शरीर को अलंकृत करने के लिए गुदना का प्रयोग करते हैं। भील महिलाओं के द्वारा आँखों के सिरों पर दो आड़ी लकीरें गुदवाना भील होने का प्रतीक माना जाता है।
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