गुर्जर प्रतिहार वंश
- प्रश्न 51 गुर्जर प्रतिहार वंश का प्रथम, योग्य व प्रतापी शासक था -
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- (अ) मिहिरभोज
- (ब) नागभट्ट प्रथम
- (स) वत्सराज
- (द) हरिशचन्द्र
उत्तर : नागभट्ट प्रथम
व्याख्या :
प्रतिहार शासक नागभट्ट प्रथम ने आठवीं शताब्दी में भीनमाल पर अधिकार कर उसे अपनी राजधानी बनाया। बाद में में इन्होंने उज्जैन को अपने अधिकार में कर लिया एवं उज्जैन उनकी शक्ति का प्रमुख केन्द्र हो गया। ये बड़े प्रतापी शासक थे इनका दरबार ‘नागावलोक का दरबार’ कहलाता था।
- प्रश्न 52 किसके शासन काल में कन्नौज को लेकर त्रिपक्षीय संघर्ष(राष्ट्रकूट, पाल व प्रतिहार) प्रारम्भ हुआ -
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- (अ) मिहिरभोज
- (ब) वत्सराज
- (स) नागभट्ट प्रथम
- (द) महेन्द्रपाल
उत्तर : वत्सराज
व्याख्या :
कन्नौज(कान्यकुब्ज में आयुध वंश) को प्राप्त करने के लिए के लिए पूर्व में बंगाल से पाल, दक्षिण से मान्यखेत के राष्ट्रकूट एवं उत्तर-पश्चिम से उज्जैन के प्रतिहारों के मध्य संघर्ष चला। इसे भारतयी इतिहास में ‘त्रिपक्षीय संघर्ष’ या ‘त्रिकोणात्मक संघर्ष’ कहा जाता है। त्रिकोणात्मक संघर्ष की शुरूआत वत्सराज ने की थी।
- प्रश्न 53 किस प्रतिहार शासक के शासनकाल में उद्योतन सूरि ने कुवलयमाला ग्रन्थ की रचना की -
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- (अ) वत्सराज
- (ब) नागभट्ट प्रथम
- (स) महेन्द्रपाल
- (द) नागभट्ट द्वितीय
उत्तर : वत्सराज
व्याख्या :
वत्सराज ने औसियां के मंदिरों का निर्माण करवाया। औसियां सूर्य व जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इसके समय उद्योतन सूरी ने “कुवलयमाला” की रचना 778 में जालौर में की।
- प्रश्न 54 प्रतिहार एवं पाल शासकों पर विजय की उपलक्ष में ध्रुव ने गंगा व जमुना के चिह्नों को सम्मिलित किया -
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- (अ) राष्ट्रकूट कुलचिह्न में
- (ब) पाल कुलचिह्न में
- (स) चन्देल कुलचिह्न में
- (द) चोल कुलचिह्न में
उत्तर : राष्ट्रकूट कुलचिह्न में
व्याख्या :
राष्ट्रकूट राजा ध्रुव बड़ा महत्वकांक्षी था। उसने वत्सराज पर आक्रमण कर किया और इन्हें पराजित कर दिया। इसके बाद उसने पाल शासक धर्मपाल को भी पराजित कर दिया। यह युद्ध गंगा और यमुना के दोआब में हुआ था इसी कारण इस विजय के उपलक्ष्य में ध्रुव ने कुलचिह्न(एम्बलम) में गंगा व यमुना के चिह्नों का सम्मिलित किया।
- प्रश्न 55 गुर्जरों को किस शासक ने प्राजित किया -
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- (अ) प्रभाकरवर्धन
- (ब) राज्यवर्धन
- (स) अशोक मोर्य
- (द) हर्षवर्धन
उत्तर : प्रभाकरवर्धन
व्याख्या :
हर्षवर्धन के पिता प्रभाकर वर्धन ने गुर्जरों को पराजित किया और इसके बाद हर्षवर्धन राजस्थान के अधिकांश भाग पर शासन करने वाले वर्धनवंश के एकमात्र शासक बने।
- प्रश्न 56 जोधपुर से प्राप्त घटियाला शिलालेख से किस प्रतिहार राजा की जानकारी मिलती है -
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- (अ) कक्कुक
- (ब) रज्जिक
- (स) नागभट्ट प्रथम
- (द) मिहिरभोज
उत्तर : कक्कुक
व्याख्या :
कक्कुक ने घटियाला (जोधपुर) में 861 ई. में दो शिलालेख लगवाये जिनमें राजस्थान में सर्वप्रथम सती प्रथा का उल्लेख हुआ है। इस अभिलेख के अनुसार राणुका की मृत्यु पर उसकी पत्नी सम्पल देवी सती हुई थी।
- प्रश्न 57 छठी शताब्दी के आस-पास गुर्जरात्रा प्रदेश पर शासन था -
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- (अ) सोलंकी
- (ब) कच्छवाह
- (स) प्रतिहार
- (द) चौहान
उत्तर : प्रतिहार
व्याख्या :
राजस्थान के दक्षिण पश्चिम में गुर्जरात्रा प्रदेश में प्रतिहार वंश की स्थापना हुई। प्रसिद्ध इतिहासकार रमेश चन्द्र मजूमदार के अनुसार गुर्जर प्रतिहारों ने छठी सदी से बारहवीं सदी तक अरब आक्रमणकारियों के लिए बाधक का काम किया और भारत के द्वारपाल(प्रतिहार) की भूमिका निभाई।
- प्रश्न 58 निम्न में से वह शासक जिसने अरब आक्रमणकारियों को अपने राज्य में बढ़ने नहीं दिया और यह शासक अरबों का शत्रु कहा गया -
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- (अ) वत्सराज
- (ब) नागभट्ट प्रथम
- (स) मिहिरभोज
- (द) महेन्द्रपाल
उत्तर : नागभट्ट प्रथम
व्याख्या :
नागभट्ट प्रथम के समय में सिन्ध की ओर से बिलोचों ने आक्रमण किया और अरबो ने अरब से। नागभट्ट ने इन्हें अपनी सीमा में घुसने नहीं दिया जिससे उनकी ख्याति बहुत बढ़ी। इन्हें ग्वालियर प्रशस्ति में ‘नारायण’ और ‘म्लेच्छों का नाशक’ कहा गया है।
- प्रश्न 59 ग्वालियर शिलालेख में नागभट्ट प्रथम को किस उपाधि से सम्मानित किया गया है -
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- (अ) परामांकदेव
- (ब) राजाधिराज
- (स) नारायण
- (द) राजशेखर
उत्तर : नारायण
व्याख्या :
नागभट्ट प्रथम के समय में सिन्ध की ओर से बिलोचों ने आक्रमण किया और अरबो ने अरब से। नागभट्ट ने इन्हें अपनी सीमा में घुसने नहीं दिया जिससे उनकी ख्याति बहुत बढ़ी। इन्हें ग्वालियर प्रशस्ति में ‘नारायण’ और ‘म्लेच्छों का नाशक’ कहा गया है।
- प्रश्न 60 ओसियां के कलात्मक मन्दिरों का निर्माण कराया -
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- (अ) कच्छवाहों ने
- (ब) गुर्जर-प्रतिहारों ने
- (स) राठौड़ों ने
- (द) चौहानों ने
उत्तर : गुर्जर-प्रतिहारों ने
व्याख्या :
वत्सराज ने औसियां के मंदिरों का निर्माण करवाया। औसियां सूर्य व जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। औसियां के मंदिर महामारू शैली में बने है। लेकिन औसियां का हरिहर मंदिर पंचायतन शैली में बना है। औसियां राजस्थान में प्रतिहारों का प्रमुख केन्द्र था। औसिंया (जोधपुर) के मंदिर प्रतिहार कालीन है। औसियां को राजस्थान का भुवनेश्वर कहा जाता है।
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