राजस्थान में 1857 की क्रांति
- प्रश्न 66 कोटा में 1857 के विद्रोह का नेतृत्वकत्र्ता कौन था -
-
- (अ) राव रामचन्द
- (ब) जयदयाल, मेहराब खान
- (स) हीरालाल, हीराचन्द्र
- (द) रावत जोधासिंह
उत्तर : जयदयाल, मेहराब खान
व्याख्या :
कोटा में राजकीय सेना तथा आम जनता ने अंग्रेजों के विरुद्ध संघर्ष किया। विद्रोही सेना का नेतृत्व रिसालदार मेहराबखाँ और लाला जयदयाल कर रहे थे। कोटा महाराव की स्थिति असहाय हो गयी।
- प्रश्न 67 जोधपुर राज्य के किलेदार ........ को 1857 में आहुवा में क्रांतिकारियों ने मौत के घाट उतार दिया।
-
- (अ) अनार सिंह
- (ब) अमर सिंह
- (स) तखत सिंह
- (द) मौंक मेसन
उत्तर : अनार सिंह
व्याख्या :
बिठौड़ा का युद्ध कुशाल सिंह व क्रांतिकारी और हीथकोट, अनारसिंह व कुशालराज सिंघवी के मध्य हुआ। जोधपुर का किलेदार अनारसिंह मारा गया।
- प्रश्न 68 राजस्थान में आउवा का विद्रोह किसके नेतृत्व में हुआ था -
-
- (अ) हरिसिंह
- (ब) तांत्या टोपे
- (स) जयदयाल
- (द) ठाकुर कुशाल सिंह
उत्तर : ठाकुर कुशाल सिंह
व्याख्या :
एरिनपुरा के विद्रोही सैनिकों की भेंट ‘खैरवा’ नामक स्थान पर आउवा ठाकुर कुशालसिंह से हुई। ठाकुर कुशालसिंह की सेना ने जोधपुर की राजकीय सेना को 8 सितम्बर, 1857 को बिथोड़ा नामक स्थान पर पराजित किया।
- प्रश्न 69 चाल्र्स मेटकाॅफ ............. के रेजीडेण्ट थे -
-
- (अ) जयपुर
- (ब) जोधपुर
- (स) अजमेर
- (द) दिल्ली
उत्तर : दिल्ली
व्याख्या :
चार्ल्स मेटकाफ ने राजपूताना की रियासतों के साथ 1817 - 18 के अधीनस्थ गठबंधनों पर बातचीत की।
- प्रश्न 70 अंग्रेज कप्तान जिसका शव आउवा किले के बाहर लटका दिया गया -
Asst. Agriculture Officer - 2011 -
- (अ) लारेन्स
- (ब) हाॅलमेस
- (स) मालेसन
- (द) माॅकमेसन
उत्तर : माॅकमेसन
व्याख्या :
जोधपुर की सेना की पराजय की खबर पाकर ए.जी.जी. जॉर्ज लारेन्स स्वयं एक सेना लेकर आउवा पहुँचा। मगर 18 सितम्बर, 1857 को वह विद्रोहियों से परास्त हुआ। इस संघर्ष के दौरान जोधपुर का पोलिटिकल एजेन्ट मोक मेसन क्रांतिकारियों के हाथों मारा गया। उसका सिर आउवा के किले के द्वार पर लटका दिया गया।
- प्रश्न 71 28 मई, 1857 को नसीराबाद से राजस्थान में सर्वप्रथम विद्रोह का प्रारंभ हुआ, यह राजस्थान के किस जिले में हैं -
-
- (अ) सीकर
- (ब) चुरू
- (स) अजमेर
- (द) जयपुर
उत्तर : अजमेर
व्याख्या :
राजस्थान में क्रांति का प्रारम्भ 28 मई, 1857 को नसीराबाद छावनी के 15वीं बंगाल नेटिव इन्फेन्ट्री के सैनिकों द्वारा हुआ। नसीराबाद छावनी के सैनिकों में 28 मई, 1857 को विद्रोह कर छावनी को लूट लिया तथा अंग्रेज अधिकारियों के बंगलों पर आक्रमण किये।
- प्रश्न 72 राजपूताना के किस राज्य के शासक ने अजमेर में लार्ड मेयो द्वारा आयोजित दरबार में भाग नहीं लिया -
-
- (अ) जोधपुर
- (ब) भरतपुर
- (स) बीकानेर
- (द) कोटा
उत्तर : कोटा
व्याख्या :
अजमेर दरबार 1870 के समय भारत के गवर्नर जनरल व वायरसराय लार्ड मेयो थे। मेयो ने प्रत्येक राज्य में न्याय, शांति व्यवस्था तथा चहुंमुखी विकास पर बल दिया।
- प्रश्न 73 1857 ई. की क्रान्ति में अंग्रेजों व जोधपुर की संयुक्त सेना को पराजित करने वाला था -
-
- (अ) तात्यां टोपे
- (ब) टोंक के नवाब वजीरखां
- (स) महाराजा रामसिंह
- (द) आऊवा के ठाकुर कुशालसिंह
उत्तर : आऊवा के ठाकुर कुशालसिंह
व्याख्या :
ठाकुर कुशालसिंह की सेना ने जोधपुर की राजकीय सेना को 8 सितम्बर, 1857 को बिथोड़ा नामक स्थान पर पराजित किया। जोधपुर की सेना की पराजय की खबर पाकर ए.जी.जी. जॉर्ज लारेन्स स्वयं एक सेना लेकर आउवा पहुँचा। मगर 18 सितम्बर, 1857 को वह विद्रोहियों से परास्त हुआ।
- प्रश्न 74 किस छावनी के सैनिक दस्तों ने 21 अगस्त, 1857 को ‘चलो दिल्ली-मारो फिरंगी’ नारे के साथ बगावत की -
-
- (अ) नसीराबाद
- (ब) मेरठ
- (स) नीमच
- (द) ऐरिनपुरा
उत्तर : ऐरिनपुरा
व्याख्या :
1835 ई. में अंग्रेजों ने जोधपुर की सेना के सवारों पर अकुशल होने का आरोप लगाकर जोधपुर लीजियन का गठन किया। इसका केन्द्र एरिनपुरा रखा गया। 21 अगस्त, 1857 को जोधपुर लीजियन के सैनिकों ने विद्रोह कर आबू में अंग्रेज सैनिकों पर हमला कर दिया। यहाँ से ये एरिनपुरा आ गये, जहाँ इन्होंने छावनी को लूट लिया तथा जोधपुर लीजियन के शेष सैनिकों को अपनी ओर मिलाकर “चलो दिल्ली, मारो फिरंगी” के नारे लगाते हुए दिल्ली की ओर चल पड़े।
- प्रश्न 75 कौन से पाॅलिटिकल एजेंट जोधपुर में 1857 के विप्लव में मारे गये थे -
Librarian Grade III 2018 -
- (अ) मैक मोसन
- (ब) कर्नल इडन
- (स) मेजर शावर्स
- (द) बर्टन
उत्तर : मैक मोसन
व्याख्या :
जोधपुर की सेना की पराजय की खबर पाकर ए.जी.जी. जॉर्ज लारेन्स स्वयं एक सेना लेकर आउवा पहुँचा। मगर 18 सितम्बर, 1857 को वह विद्रोहियों से परास्त हुआ। इस संघर्ष के दौरान जोधपुर का पोलिटिकल एजेन्ट मोक मेसन क्रांतिकारियों के हाथों मारा गया। उसका सिर आउवा के किले के द्वार पर लटका दिया गया।
page no.(8/17)