राजस्थान में संगीत एवं लोकगीत
- प्रश्न 91 निम्नलिखित में से कौन-सा युग्म सही है -
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- (अ) खड़ताल-सुषिर वाद्य
- (ब) रबाब-तत् वाद्य
- (स) बांकिया-घन वाद्य
- (द) डेरू-सुषिर वाद्य
उत्तर : रबाब-तत् वाद्य
- प्रश्न 92 तार लगा वाद्ययंत्र है -
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- (अ) अलगोजा
- (ब) खड़ताल
- (स) डेंरू
- (द) जन्तर
उत्तर : जन्तर
- प्रश्न 93 पटेल्या, बीछीयों एवं लालर हैं -
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- (अ) राजस्थानी आभूषण
- (ब) राजस्थानी लोकगीत
- (स) राजस्थानी लोक वाद्य
- (द) राजस्थानी लोक नाट्य
उत्तर : राजस्थानी लोकगीत
- प्रश्न 94 निम्नलिखित में से मांड गायिका कौन है -
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- (अ) गंगू बाई
- (ब) गवरी देवी
- (स) परवीन रंगीली
- (द) रोशनआरा बेगम
उत्तर : गवरी देवी
- प्रश्न 95 कामण गीत गाए जाते हैं -
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- (अ) प्रेयसी द्वारा प्रेमी की याद में
- (ब) नई फसल के आने पर
- (स) गणगौर की सवारी पर
- (द) वर को जादू-टोनों से बचाने के लिए
उत्तर : वर को जादू-टोनों से बचाने के लिए
- प्रश्न 96 ‘मैं तो मरी होती राज, खा गयो बैरी बिछूड़ो’ इस लोक गीत का प्रचलन है -
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- (अ) मेवात क्षेत्र में
- (ब) बांगड़ क्षेत्र में
- (स) हाड़ौती क्षेत्र में
- (द) पर्वतीय आंचल में
उत्तर : हाड़ौती क्षेत्र में
व्याख्या :
‘बीछूड़ो’ हाड़ौती क्षेत्र का एक लोकप्रिय गीत है। इस गी गीत में एक पत्नि जिसे बिच्छू ने डस लिया है और मरने से पहले अपने पति को दूसरा विवाह का संदेश देती है।
- प्रश्न 97 राजस्थान की ऐसी फड़ जिसका वाचन रात के स्थान पर दिन में होता है तथा बिना वाद्य यंत्रों के प्रस्तुत होती है -
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- (अ) रामदला-कृष्णदला
- (ब) भैंसासुर की फड़
- (स) तुर्रा कलंगी
- (द) दंगल
उत्तर : रामदला-कृष्णदला
व्याख्या :
राजस्थान की रामदला-कृष्णदला की फड़ का वाचन भात भोपों द्वारा हाड़ौती अंचल में किया जाता है। इनकी फड़ का वाचन रात के स्थान पर दिन में होता है। यह फड़ बिना किसी वाद्ययंत्र के बांची जाती है।
- प्रश्न 98 ‘नड़’ वाद्य यंत्र राजस्थान के किस क्षेत्र में अधिकांशतः प्रयुक्त होता है -
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- (अ) जैसलमेर
- (ब) मेवाड़
- (स) बीकानेर
- (द) बाड़मेर
उत्तर : जैसलमेर
- प्रश्न 99 केसरिया बालम मधारो नी म्हारे देश है-
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- (अ) राज्य गीत
- (ब) राज्य लोक गीत
- (स) राज्य नृत्य
- (द) लोक नाटक
उत्तर : राज्य गीत
- प्रश्न 100 ‘पंछीड़ा’ नामक लोकप्रिय गीत किसके द्वारा रचित है -
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- (अ) दुर्गाप्रसाद चौधरी
- (ब) सुमनेश जोशी
- (स) माणिक्यलाल वर्मा
- (द) जयनारायण व्यास
उत्तर : माणिक्यलाल वर्मा
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