मरुस्थलीकरण
प्रश्न 1 अरावली वनरोपण परियोजना (AAP) आरम्भ की गई -
(अ) 2007
(ब) 1992-93
(स) 2001-02
(द) 1995-96
व्याख्या :
अरावली वनीकरण परियोजना 1992-93 में शुरू की गई थी।
प्रश्न 2 निम्न में से कौन सा राजस्थान में मरूस्थलीकरण का कारण नहीं है -
(अ) अतिचारण
(ब) वनोन्मूलन
(स) जनसंख्या दबाव
(द) सौर्य ऊर्जा उत्पादन
व्याख्या :
मरुस्थलीकरण के कुछ कारण हैं:
अतिचारण: यह भूमि की उपयोगिता, उत्पादकता और जैव विविधता को कम करता है। वनोन्मूलन: एक जंगल कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है। वनों की कटाई कार्बन डाइऑक्साइड को वापस वायुमंडल में छोड़ती है जो ग्रीनहाउस प्रभाव में योगदान करती है।
कृषि-पद्धतिया: स्लेश एंड बर्न कृषि राज्य को मिट्टी के कटाव के खतरों के लिए उजागर करती है भारी जुताई और अधिक सिंचाई मिट्टी की खनिज संरचना को परेशान करती है।
शहरीकरण: जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता है, संसाधनों की मांग बढ़ती जाती है और अधिक संसाधनों को आकर्षित किया जाता है और ऐसी भूमि को छोड़ दिया जाता है जो आसानी से मरुस्थलीकरण का शिकार हो जाती है।
जल अपरदन: इसके परिणामस्वरूप बैडलैंड स्थलाकृति होती है जो स्वयं मरुस्थलीकरण का प्रारंभिक चरण है।
वायु अपरदन: हवा द्वारा रेत का अतिक्रमण मिट्टी की उर्वरता को कम कर देता है जिससे भूमि मरुस्थलीकरण के लिए अतिसंवेदनशील हो जाती है।
सौर्य ऊर्जा उत्पादन मरूस्थलीकरण का कारण नहीं है।
प्रश्न 3 राजस्थान में सर्वाधिक भूकम्प सम्भावित क्षेत्र कौन सा है -
(अ) गंगानगर, हनुमानगढ़ व चूरू
(ब) भतरपुर, अलवर व झुंझुनू
(स) जयपुर, दौसा व करौली
(द) नागौर, जोधपुर व पाली
व्याख्या :
भूकंप आने का कारण धरती के अंदर की टैक्टॉनिक प्लेटें होती है. ये प्लेटें धरती के अंदर 80 से 100 किमी की गहराई पर होती हैं. ये प्लेटें 10 से 40 मिलीमीटर प्रति वर्ष की गति से इधर-उधर खिसकती रहती हैं. इन्हीं प्लेटों में से जो यदि कोई तेज गति से खिसक जाती है तो भूकंप आता है। इस सिद्धांत को ‘प्लेट टैक्टॉनिक’कहते है। भारत का उत्तर- पूर्वी भाग भूकंप से सर्वाधिक प्रभावित क्षेत्र के रूप में जाना जाता है इस भाग में सर्वाधिक तीव्रता के भूकंप आते हैं। राजस्थान के अलवर,भरतपुर, डीग, नीम का थाना, कोटपुतली और झुंझुनू जिले भूकम्प की दृष्टि से संवेदनशील हैं।
प्रश्न 4 राजस्थान का वर्तमान में निम्नलिखित में से कौन सी प्राकृतिक आपदा से सम्बन्ध नहीं है -
(अ) भूकम्प
(ब) बाढ़
(स) सूखा
(द) सूनामी
व्याख्या :
राजस्थान में सुनामी की संभावना सबसे कम है। सुनामी मुख्य रूप से समुद्र के किनारों पर उत्पन्न होती हैं। राजस्थान के किसी भी शहर में इसका खतरा नहीं है क्योंकि यहां समुद्र नहीं हैं।
प्रश्न 5 त्रिकाल का सम्बंध है -
(अ) अनिश्चित वर्षा
(ब) चारा, भोजन व जल की कमी
(स) भूमिगत जल, वनस्पति व फसल की कमी
(द) अत्यधिक ताप
व्याख्या :
1899-1900 के अकाल का राजस्थान के क्षेत्रों के लोगों पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है। यह राजस्थान में भोजन, चारा और पानी का त्रिकल था।
प्रश्न 6 ‘भारत के मरूस्थलीकरण एवं भूअवनयन एटलस(इसरो-2021)’ के अनुसार राजस्थान में मरूस्थलीकरण से प्रभावित क्षेत्र है -
(अ) 70 प्रतिशत
(ब) 67 प्रतिशत
(स) 65 प्रतिशत
(द) 62 प्रतिशत
व्याख्या :
भारत के मरुस्थलीकरण एवं भूमि अवनयन एटलस का नवीनतम संस्करण 17 जून 2021 को जारी किया गया। देश के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के विषय में मरुस्थलीकरण में सर्वाधिक योगदान राजस्थान (6.46%) का है। राजस्थान के बाद महाराष्ट्र (4.35%), गुजरात (3.12%), कर्नाटक (2.16%), लद्दाख (2.12%) स्थान पर है। झारखंड के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 68.77% भाग (5.48 मिलियन हेक्टेयर) पर मरुस्थल है। झारखंड के बाद राजस्थान के कुल भौगोलिक क्षेत्रफल के 62.06% भाग (21.23 मिलियन हेक्टेयर) पर मरुस्थल है।
प्रश्न 7 निम्न में से कौन-सा एक मरूस्थलीकरण का कारण नहीं है -
(अ) कठोर मौसमी परिस्थितियां
(ब) बढ़ती आबादी
(स) वनोन्मूलन
(द) अम्लीय भूमि का प्रयोग करना
व्याख्या :
मरुस्थलीकरण के कुछ कारण हैं:
अतिचारण: यह भूमि की उपयोगिता, उत्पादकता और जैव विविधता को कम करता है। वनोन्मूलन: एक जंगल कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है। वनों की कटाई कार्बन डाइऑक्साइड को वापस वायुमंडल में छोड़ती है जो ग्रीनहाउस प्रभाव में योगदान करती है।
कृषि-पद्धतिया: स्लेश एंड बर्न कृषि राज्य को मिट्टी के कटाव के खतरों के लिए उजागर करती है भारी जुताई और अधिक सिंचाई मिट्टी की खनिज संरचना को परेशान करती है।
शहरीकरण: जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता है, संसाधनों की मांग बढ़ती जाती है और अधिक संसाधनों को आकर्षित किया जाता है और ऐसी भूमि को छोड़ दिया जाता है जो आसानी से मरुस्थलीकरण का शिकार हो जाती है।
जल अपरदन: इसके परिणामस्वरूप बैडलैंड स्थलाकृति होती है जो स्वयं मरुस्थलीकरण का प्रारंभिक चरण है।
वायु अपरदन: हवा द्वारा रेत का अतिक्रमण मिट्टी की उर्वरता को कम कर देता है जिससे भूमि मरुस्थलीकरण के लिए अतिसंवेदनशील हो जाती है।
बढ़ती आबादी लकड़ी और पानी जैसे संसाधनों के लिए पर्यावरण पर अधिक दबाव डालती है।
अम्लीय भूमि का प्रयोग करना मरूस्थलीकरण का कारण नहीं है।
प्रश्न 8 राजस्थान में मरूस्थलीकरण का मूल कारण क्या है -
(अ) भूमिगत जल की लवणता
(ब) अनियंत्रित खनन
(स) वर्षा की न्यूनता
(द) जलवायु परिवर्तन
व्याख्या :
वर्षा की न्यूनता मरुस्थलीकरण का सबसे बड़ा कारण है। राजस्थान में वर्षा कम होती है क्योंकि मानसून शाखा गुजरात से प्रवेश करती है जो अरावली पर्वतमाला के समानांतर चलती है।
प्रश्न 9 कथर (अ) अरावली पर्वत श्रेणी निकटवर्ती क्षेत्रों में मरूस्थलीकरण के प्रसार को सीमित करती है।
कारण (ब) अरावली पर्वती श्रेणी सम्पूर्ण राज्य में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की और अविच्छिन्न फैली हुई है।
(अ) अ और ब दोनों सही हैं, किन्तु ब, अ की सही व्याख्या नही करता है।
(ब) अ और ब दोनों सही हैं, और ब, अ की सही व्याख्या करता है।
(स) अ सही है, परन्तु ब गलत है।
(द) अ गलत है, परन्तु ब सही है।
व्याख्या :
राजस्थान का अरावली श्रेणीयों के पश्चिम का क्षेत्र शुष्क एवं अर्द्धशुष्क मरूस्थली प्रदेश है। अरावली पर्वत श्रेणी निकटवर्ती क्षेत्रों में मरूस्थलीकरण के प्रसार को सीमित करती है। क्योंकि अरावली पर्वती श्रेणी सम्पूर्ण राज्य में दक्षिण-पश्चिम से उत्तर-पूर्व की और अविच्छिन्न फैली हुई है।
प्रश्न 10 राजस्थान में मरूस्थलीकरण की सबसे प्रभावी प्रक्रिया कौन सी है -
(अ) वनस्पति अवनयन
(ब) जल अपरदन
(स) पवन अपरदन
(द) जल संचयन
व्याख्या :
मरुस्थलीकरण के कुछ कारण हैं:
अतिचारण: यह भूमि की उपयोगिता, उत्पादकता और जैव विविधता को कम करता है। वनोन्मूलन: एक जंगल कार्बन सिंक के रूप में कार्य करता है। वनों की कटाई कार्बन डाइऑक्साइड को वापस वायुमंडल में छोड़ती है जो ग्रीनहाउस प्रभाव में योगदान करती है।
कृषि-पद्धतिया: स्लेश एंड बर्न कृषि राज्य को मिट्टी के कटाव के खतरों के लिए उजागर करती है भारी जुताई और अधिक सिंचाई मिट्टी की खनिज संरचना को परेशान करती है।
शहरीकरण: जैसे-जैसे शहरीकरण बढ़ता है, संसाधनों की मांग बढ़ती जाती है और अधिक संसाधनों को आकर्षित किया जाता है और ऐसी भूमि को छोड़ दिया जाता है जो आसानी से मरुस्थलीकरण का शिकार हो जाती है।
जल अपरदन: इसके परिणामस्वरूप बैडलैंड स्थलाकृति होती है जो स्वयं मरुस्थलीकरण का प्रारंभिक चरण है।
वायु अपरदन: हवा द्वारा रेत का अतिक्रमण मिट्टी की उर्वरता को कम कर देता है जिससे भूमि मरुस्थलीकरण के लिए अतिसंवेदनशील हो जाती है।
सौर्य ऊर्जा उत्पादन मरूस्थलीकरण का कारण नहीं है।
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