राजस्थान में परंपरागत जल प्रबंधन
- प्रश्न 1 वर्षा जल संरक्षण के लिए रानीसर टांका कहाँ स्थित है -
Rajasthan Police Constable Exam 2024 ( SHIFT - L1) -
- (अ) जैसलमेर
- (ब) जोधपुर
- (स) बाडमेर
- (द) बीकानेर
उत्तर : जोधपुर
व्याख्या :
रानीसर टांका जोधपुर में स्थित एक ऐतिहासिक जल संरचना है। इसका निर्माण वर्षा जल को संग्रहित करने के लिए किया गया था। यह जोधपुर के पुराने जल संरक्षण उपायों में से एक है। जोधपुर में रानीसर और पदमसर, रणथंभौर के वन तालाब, सुखसागर टैंक और पद्मिनी टैंक कुछ प्रसिद्ध हैं।
- प्रश्न 2 निम्न में से कौन सी परम्परागत जल संरक्षण की विधि नहीं है -
Lect. College Edu. EXAM 2014(GK) -
- (अ) नाड़ी
- (ब) खड़ीन
- (स) तालाब
- (द) टोबा
उत्तर : तालाब
व्याख्या :
राजस्थान में तालाब जल संरक्षण की पारंपरिक विधि नहीं है। जल संसाधन संरक्षण प्राचीन काल से किया जा रहा है इन परम्परागत विधियों में नाड़ी, बावड़ी, जोहड़, झालरा, टांका, टोबा, एनिकट आदि प्रमुख हैं।
- प्रश्न 3 कथन (अ) वर्षा जल संग्रहण जल संरक्षण की एक प्रभावशील विधि है।
कारण (ब) पश्चिमी राजस्थान में परम्परागत जल संरक्षण की विधियां अभी भी प्रभावशील हैं। -
- (अ) अ और ब दोनों सही हैं और ब, अ का सही स्पष्टीकरण है।
- (ब) अ और ब दोनों सहीं हैं। किन्तु ब, अ का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
- (स) अ सही है ब गलत है।
- (द) अ गलत है ब सही है।
उत्तर : अ और ब दोनों सहीं हैं। किन्तु ब, अ का सही स्पष्टीकरण नहीं है।
व्याख्या :
वर्षा जल संग्रहण जल संरक्षण की एक प्रभावशाली विधि है।
पश्चिमी राजस्थान में परम्परागत जल संरक्षण की विधियां अभी भी प्रभावशील हैं।
ये दोनों ही कथन सत्य हैं लेकिन इनका आपस में कोई संबंध नहीं है।
- प्रश्न 4 शेखावाटी भू-भाग में कूएं स्थानीय भाषा में किस नाम से जाने जाते हैं -
-
- (अ) बावड़ी
- (ब) जोहड़
- (स) बेरा
- (द) खूं
उत्तर : जोहड़
व्याख्या :
नाड़ी एक प्रकार का पोखर होता है। जल प्रबंधन की यह विधि पश्चिम राजस्थान प्रचलित हैं। अलवर एवं भरतपुर जिलों में इसे ‘जोहड़’ कहते है।
- प्रश्न 5 निम्नलिखित में से कौन सी राजस्थान में जल संरक्षण की परम्परागत विधि नहीं है -
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- (अ) नाली
- (ब) नाड़ी
- (स) टोबा
- (द) जोहड़
उत्तर : नाली
व्याख्या :
राजस्थान में नाली जल संरक्षण की पारंपरिक विधि नहीं है।
- प्रश्न 6 ‘टांका’ और ‘खड़ीन’ प्रकार हैं -
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- (अ) आदिवासी युद्धकौशल
- (ब) आदिवासी बोलियां
- (स) परम्परागत कृषि पद्धतियां
- (द) परम्परागत जल संरक्षण संरचनाएं
उत्तर : परम्परागत जल संरक्षण संरचनाएं
व्याख्या :
राजस्थान के मरुस्थलीय ग्रामीण क्षेत्रों में वर्षाजल को संग्रहित करने के लिए कुंड निर्मित किये जाते है। जिन्हे टांका भी कहते हैं।
खड़ीन का प्रचलन 15वी शताब्दी में जैसलमेर के पालीवाल ब्राह्मणों ने किया था। यह ढाल युक्त भूमि पर दो तरफ मिट्टी की दीवार(पाल) और तीसरी तरफ पक्का अवरोध बनाकर निर्मित की जाती है।
इस प्रकार ‘टांका’ और ‘खड़ीन’ परम्परागत जल संरक्षण संरचनाएं हैं।
- प्रश्न 7 निम्नलिखित में से कौन सी राजस्थान में परम्परागत जल संरक्षण की विधि नहीं है -
Reet 2015 level-2 SST -
- (अ) खड़ीन
- (ब) टांका
- (स) टोबा
- (द) नाली
उत्तर : नाली
- प्रश्न 8 राजस्थान में, टांका और खड़ीन प्रकार है -
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- (अ) परम्परागत युद्धकौशल के
- (ब) परम्परागत लोकनृत्य के
- (स) परम्परागत कृषि पद्धति के
- (द) परम्परागत जल संरक्षण तकनीक के
उत्तर : परम्परागत जल संरक्षण तकनीक के
- प्रश्न 9 निम्नलिखित में से राजस्थान में कौन सी जल संरक्षण की परंपरागत विधि नहीं है -
Forest Guard Exam 2022 (11 DEC 2022) (morning shift) -
- (अ) नाड़ी
- (ब) टोबा
- (स) जोहड़
- (द) नाली
उत्तर : नाली
- प्रश्न 10 लेवा तालाब नामक वर्षाजल संग्रहण संरचना किस जिले में स्थित है -
Lab Assistant Exam 2022 (Home Science) -
- (अ) कोटा
- (ब) बारां
- (स) बूंदी
- (द) भीलवाड़ा
उत्तर : बारां
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