उदारीकरण और वैश्वीकरण
- प्रश्न 1 ‘बाजार अर्थव्यवस्था’ वह होती है जो-
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- (अ) सरकार द्वारा नियंत्रित हो
- (ब) सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो
- (स) अन्तर्राष्ट्रीय बाजार की शक्तियों से प्रभावित हो
- (द) सभी सही हैं
उत्तर : सरकारी नियंत्रण से मुक्त हो
व्याख्या :
बाजार अर्थव्यवस्था वह होती है, जिसमे किसी वस्तु का मूल्य निर्धारण बाजार शक्तियों या मांग एवं पूर्ति द्वारा होता है। एक तरह से यह एक पूँजीवादी अर्थव्यवस्था ही है। अतः पूंजीवादी अर्थव्यवस्था को बाजार अर्थव्यवस्था कह सकते है। यह सरकारी नियन्त्रण से मुक्त होती है।
- प्रश्न 2 भारत में आर्थिक उदारीकरण शुरू हुआ -
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- (अ) रुपये की परिवर्तनशीलता के साथ
- (ब) कर दरों में महत्त्वपूर्ण कटौती के साथ
- (स) औद्योगिक लाइसेन्स नीति में वास्तविक बदलाव के साथ
- (द) प्रत्यक्ष विदेशी पूँजी निवेश में औपचारिकताएँ दूर करने के साथ
उत्तर : औद्योगिक लाइसेन्स नीति में वास्तविक बदलाव के साथ
व्याख्या :
आर्थिक उदारीकरण सामान्यतः अर्थव्यवस्था की आर्थिक प्रगति और विकास को सुनिश्चित कराने हेतु किसी भी प्रकार के प्रतिबंधों या सख्ती को हटाने से संबंधित है। औद्योगित लाइसेंस नीति में परिवर्तन करते हुए 1991 में भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई। इस नीति का उद्देश्य उद्योगों को अधिक स्वतंत्र और लोच शील बनाना था।
- प्रश्न 3 वैश्वीकरण के बारे में कौनसा कथन सही है -
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- (अ) वैश्वीकरण का संबंध सिर्फ वस्तुओं की आवाजाही से है।
- (ब) वैश्वीकरण में मूल्यों का संघर्ष नहीं होता।
- (स) वैश्वीकरण के अंग के रूप में सेवाओं का महत्त्व गौण है।
- (द) वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।
उत्तर : वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है।
व्याख्या :
वैश्वीकरण का संबंध विश्वव्यापी पारस्परिक जुड़ाव से है। वैश्वीकरण एक बहुआयामी परिघटना है जिससे माल, पूंजी, लोग, ज्ञान, विचार और संस्कृति आसानी से सीमाओं के पार प्रवाहित होते हैं।
- प्रश्न 4 भारत में नवीन आर्थिक नीति (New Economic Policy) की शुरुआत कब हुई -
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- (अ) अप्रैल, 1991
- (ब) जुलाई 1991
- (स) अगस्त 1995
- (द) अगस्त 1997
उत्तर : जुलाई 1991
व्याख्या :
नई आर्थिक नीति का तात्पर्य भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से उबारने के लिये 1991 में अपनाई गई नीतियों से है।
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