राजकोषीय नीति और मौद्रिक नीति
- प्रश्न 1 जब राजकोषीय घाटा अधिक होता है, तो क्या होता है -
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- (अ) कीमतें बढ़ जाती हैं
- (ब) कीमतें घट जाती है
- (स) कीमतें स्थिर बनी रहती हैं
- (द) कीमतों पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता
उत्तर : कीमतों पर कोई सीधा असर नहीं पड़ता
व्याख्या :
राजकोषीय घाटा अधिक होने पर कीमतों पर सीधा असर नहीं पड़ता है। सरकार की कुल आय और व्यय के अन्तर को राजकोषीय घाटा कहा जाता है। राजकोषीय घाटे की भरपाई आमतौर पर केन्द्रीय बैंक (रिजर्व बैंक) से उधार लेकर की जाती है या इसके लिए छोटी और लंबी अवधि के बॉण्ड के जरिये पूंजी बाजार से फंड जुटाया जाता है। वहीं सरकार की राजस्व प्राप्ति और राजस्व व्यय के अंतर को राजस्व घाटा कहते है। इससे सरकार के मौजूदा खर्च और आमदनी का पता चलता है।
- प्रश्न 2 निम्नांकित में से कौन राजकोषीय नीति का उपकरण नहीं हैं -
RAS (Pre) Exam - 2023 -
- (अ) सार्वजनिक व्यय
- (ब) ब्याज दर
- (स) हीनार्थ प्रबन्ध
- (द) करारोपण
उत्तर : ब्याज दर
व्याख्या :
राजकोषीय नीति अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने के लिए सरकारी खर्च और कराधान का उपयोग है।सरकारें आमतौर पर स्थायी और सतत विकास को बढ़ावा देने और गरीबी को कम करने के लिए राजकोषीय नीति का उपयोग करती हैं। राजकोषीय नीति के उपकरण नहीं हैं: बैंक दर, निजी निवेश, ब्याज दर। ब्याज दर मौद्रिक नीति का उपकरण है।
- प्रश्न 3 निम्नलिखित में से कौन सा समीकरण सकल राजकोषीय घाटे के सूत्र को दर्शाता है -
RAS (Pre) Exam - 2023 -
- (अ) सकल राजकोषीय घाटा = प्राथमिक घाटा + विदेशों से प्राप्त शुद्ध उधार
- (ब) सकल राजकोषीय घाटा = कुल व्यय - राजस्व प्राप्तियाँ
- (स) सकल राजकोषीय घाटा = राजस्व घाटा + पूंजी व्यय
- (द) सकल राजकोषीय घाटा = शुद्ध घरेलू उधार + आर.बी.आई. से उधार + विदेशी उधार
उत्तर : सकल राजकोषीय घाटा = शुद्ध घरेलू उधार + आर.बी.आई. से उधार + विदेशी उधार
व्याख्या :
सरकार पैसा उधार लेकर राजकोषीय घाटे को पूरा करती है। एक तरह से, एक वित्तीय वर्ष में सरकार की कुल उधार आवश्यकताएं उस वर्ष में राजकोषीय घाटे के बराबर होती हैं।
- प्रश्न 4 मौद्रिक नीति का उद्देश्य नहीं है -
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- (अ) विदेशों से ऋणों की व्यवस्था करना
- (ब) विदेशी विनिमय की स्थिरता
- (स) आर्थिक असमानता में कमी
- (द) आर्थिक संवृद्धि में वृद्धि
उत्तर : विदेशों से ऋणों की व्यवस्था करना
व्याख्या :
भुगतान संतुलन में स्थिरता, विनिमय स्थिरता, स्थिर मूल्य स्तर और आर्थिक स्थितियों में सुधार ये सभी आरबीआई मौद्रिक नीति के मुख्य उद्देश्य हैं।
- प्रश्न 5 ______ सरकार के कराधान और व्यय निर्णयों से संबंधित है -
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- (अ) मौद्रिक नीति
- (ब) श्रम बाजार नीतियां
- (स) व्यापार नीती
- (द) राजकोषीय नीति
उत्तर : राजकोषीय नीति
व्याख्या :
राजकोषीय नीति सरकार के कराधान और व्यय निर्णयों से संबंधित है।
- प्रश्न 6 मुद्रा का विमुद्रीकरण (पुरानी मुद्रा को रद्द कर नई मुद्रा प्रचलित करना) कब किया जाता है -
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- (अ) अत्यधिक मुद्रा स्फीति में
- (ब) मुद्रा अपस्फीति में
- (स) अत्यधिक बेरोजगारी की स्थिति में
- (द) विदेशी विनिमय दर को नियंत्रित करने हेतु
उत्तर : अत्यधिक मुद्रा स्फीति में
- प्रश्न 7 बैंक दर या बट्टा दर (Discount Rate) होती है-
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- (अ) केन्द्रीय बैंक द्वारा जनता से प्राप्त जमा पर दिये गये ब्याज की दर।
- (ब) व्यापारिक बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों के बिलों की कटौती पर वसूली गई ब्याज दर।
- (स) रिजर्व बैंक द्वारा व्यापारिक बैंकों द्वारा बट्टा किये गये बिलों की पुनर्कटौती पर वसूल की गई ब्याज (बट्टा) दर।
- (द) केन्द्रीय बैंक द्वारा अपने पास वाणिज्यिक बैंकों द्वारा जमा कराये गये नकद कोषों पर ब्याज की दर ।
उत्तर : रिजर्व बैंक द्वारा व्यापारिक बैंकों द्वारा बट्टा किये गये बिलों की पुनर्कटौती पर वसूल की गई ब्याज (बट्टा) दर।
- प्रश्न 8 जब बाजार में किसी वस्तु के भाव अनावश्यक रूप से बहुत बढ़ रहे हों तो रिजर्व बैंक उन पर नियंत्रण लगाने हेतु -
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- (अ) बैंक दर कम करेगा।
- (ब) चयनात्मक साख नियंत्रण उपाय के तहत् उस वस्तु पर दिये जाने वाले ऋणों के मार्जिन अनुपात को बढ़ा देगा।
- (स) बाजार में वह वस्तु बेचेगा।
- (द) उक्त सभी।
उत्तर : चयनात्मक साख नियंत्रण उपाय के तहत् उस वस्तु पर दिये जाने वाले ऋणों के मार्जिन अनुपात को बढ़ा देगा।
व्याख्या :
चयनात्मक साख नियंत्रण (Selective Credit Control) एक ऐसा उपाय है जिसे रिजर्व बैंक उन वस्तुओं पर लागू करता है जिनके भाव अनावश्यक रूप से बढ़ रहे होते हैं। इस उपाय के तहत, रिजर्व बैंक उन वस्तुओं के लिए दिए जाने वाले ऋणों के मार्जिन अनुपात (Margin Requirement) को बढ़ा देता है।
- प्रश्न 9 मौद्रिक नीति के उपकरण हैं-
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- (अ) बैंक दर में परिवर्तन
- (ब) नकद आरक्षित अनुपात में परिवर्तन
- (स) सांविधिक तरलता अनुपात में परिवर्तन
- (द) उक्त सभी
उत्तर : उक्त सभी
व्याख्या :
मौद्रिक नीति के विभिन्न उपकरण और साधन इस प्रकार हैं: नकद आरक्षित अनुपात, वैधानिक तरलता अनुपात, बैंक दर, रेपो दर, रिजर्व रेपो दर और खुले बाजार परिचालन।
- प्रश्न 10 मौद्रिक नीति का उद्देश्य होता है-
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- (अ) पूर्ण रोजगार की स्थिति प्राप्त करना
- (ब) कीमत स्थिरता सुनिश्चित करना
- (स) उक्त (1) एवं (2) दोनों
- (द) वाणिज्यिक बैंकों पर नियंत्रण रखना
उत्तर : उक्त (1) एवं (2) दोनों
व्याख्या :
मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखना है, जो आर्थिक विकास के लिए अत्यंत आवश्यक है। मौद्रिक नीति न केवल मूल्य स्थिरता को प्राथमिकता देती है, बल्कि रोजगार सृजन को भी बढ़ावा देती है। इसका उद्देश्य बेरोजगारी की दर को कम करना और आर्थिक स्थिरता को सुनिश्चित करना है।
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