तहसील - 7 संभाग - अजमेर
अजमेर, पाली एवं भीलवाडा जिलों का पुनर्गठन कर नया जिला ब्यावर गठित किया गया है जिसका मुख्यालय ब्यावर होगा। नवगठित ब्यावर जिले में 7 तहसील (ब्यावर, टाटगढ़, जैतारण, रायपुर, मसूदा, विजयनगर, बदनोर) हैं। जैतारण, और रायपुर को पाली से, ब्यावर, टाटगढ, मसूदा और विजयनगर को अजमेर से और बदनोर को भीलवाडा से जोड़ा गया है।
ब्यावर की नींव फरवरी, 1836 ई. को कर्नल एलर्फेड डिक्सन के द्वारा रखी गई थी।
ब्यावर राजस्थान में सूती वस्त्र उद्योग के लिए प्रसिद्ध है।
सूती वस्त्र की प्रथम तीनों मिलें ब्यावर में खुली।
यहां 1889 ई. में द कृष्णा मिल्स लि., 1906 ई. में एडवर्ड मिल्स लि. और 1925 ई. में महालक्ष्मी मिल्स लि. की स्थापना की गई ।
पंजाब में फजिल्का की ऊन मंडी के बाद ब्यावर की ऊन मंडी भारत भर में प्रसिद्ध थी ।
ब्यावर में बीड़ी बनाने के बड़े कारखाने स्थापित है।
सूंघनी नसवार (ब्यावर) की प्रसिद्ध है।
ब्यावर की तिलपट्टी पूरे भारत में प्रसिद्ध है।
ब्यावर में श्री सीमेंट कारखाना और राजश्री सीमेंट कारखाना स्थापित है।
ब्यावर में राजस्थान का पहला चर्च स्थापित हुआ था जिसे शूलब्रेड मेमोरियल चर्च के नाम से जाना जाता है।
ब्यावर में श्रीरंग जी का मन्दिर विख्यात है।
ब्यावर में एकता सर्किल स्थित है, जिसे भारत माता सर्किल के नाम से भी जाना जाता है।
श्यामगढ़ में सायणमाता का मन्दिर स्थित है।
धूलंडी के दूसरे दिन ब्यावर में बादशाह का मेला आयोजित किया जाता है। इस दिन बादशाह की सवारी निकाली जाती है।
बादशाह की सवारी कोटा जिले के सांगोद में भी निकाली जाती है। यहां न्हाण के अवसर पर इसका आयोजन होता है।
ब्यावर में राजियावास, जालिया, मकेरड़ा, बिचड़ली तालाब स्थित है ।
ब्यावर में सेठ राठी की हवेली, सेठ चम्पालाल रामस्वरूप की हवेली, सेठ कुन्दनमल लालचन्द की हवेली, नवाब साहब का अन्साहिया, सेठ मजहर की ड्रीमलैण्ड इमारत प्रसिद्ध है।
ब्यावर में स्थित श्यामगढ़ का किला और कुण्ड महान स्वतंत्रता सेनानियों की तपोभूमि रहा है।
ब्यावर में अजमेरी गेट, सूरजपोल गेट, मेवाड़ी गेट और चांग गेट स्थित है।
देवर-भाभी की होली ब्यावर की प्रसिद्ध है।
खारी नदी पर नारायण सागर बाँध विजयनगर, ब्यावर में स्थित है जिसकी नींव 1955 ई. में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने रखी थी।
मीरा बाई का जन्म 1498 ई. कुड़की गाँव ब्यावर में हुआ।
संत दरयाव जी का जन्म भी जैतारण ब्यावर में हुआ था।
ब्यावर से बर, परवेरिया, सूरा घाट, देबारी व शिवपुरा घाट दर्रा गुजरता है।
भैरव नृत्य/ बीरबल नृत्य/ मयूर नृत्य ब्यावर में किया जाता है।
टॉडगढ़ का पुराना नाम बरसा वाडा था, जिसे बरसा नामक गुर्जर जाति के व्यक्ति ने बसाया था। बरसा गुर्जर ने तहसील भवन के पीछे देवनारायण मन्दिर की स्थापना की जो आज भी स्थित है।
टॉडगढ़ को राजस्थान का मिनी माउंट आबू भी कहते हैं।
टॉडगढ़ अभयारण्य ब्यावर, राजसमंद और पाली जिलों में विस्तारित है। इस अभ्यारण्य में गोरमघाट चोटी स्थित है जो समुद्रतल से 927 मीटर ऊँची है।
कर्नल टाड ने मेरवाडा क्षेत्र में उपद्रवियों की गतिविधियों को कुचलने के लिए बरसा वाडा में एक दुर्ग का निर्माण करवाया था जिसे टोडगढ़ कहते हैं। यहाँ महादेव का एक प्राचीन मंदिर तथा पीपलाज माता का मंदिर भी है।
बदनौर को पूर्व में बदनापुर के नाम से जाना जाता था, जिसकी स्थापना 845 ई. में परमार राजा बदना के द्वारा की गई थी। यहां की खुदाई प्राप्त 1439 ई. के शिलालेख में इसे वर्धनपुर के नाम से जाना जाता है।
बदनौर का किला सात मंजिला है।
कुशाल माता मंदिर - महाराणा कुम्भा ने 1457 ई. में महमूद खिलजी को बैराठगढ़ (बदनोर) के युद्ध में परास्त करने के बाद इसी विजय के उपलक्ष्य में बदनोर में यह मंदिर बनवाया।
बदनौर में हरणी महादेव मन्दिर प्रसिद्ध है। माहेश्वरी समाज हरणी महादेव को अपना कुलदेवता मानकर पूजते है।
बदनोर के निकट मंडल में जगन्नाथ कच्छवाहा की बत्तीस खम्भों की छतरी स्थित है।
ब्यावर जिला अभ्रक, वर्मीक्यूलाइट, कैल्साइट, कायनाइट, लाइम स्टोन खनिजों के लिए भी जाना जाता है।
ओझियाना सभ्यता जो खारी नदी के तट पर स्थित है। इसे ताम्रयुगीन आहड़ संस्कृति भी कहा जाता है।
जनवरी 1544 ई. में जैतारण/गिरी सुमेल युद्ध शेरशाह सूरी व मालदेव के सेनानायक जैता और कूंपा के मध्य लड़ा गया। शेरशाह सूरी ने इस युद्ध में मिली विजय पर कहा था कि मैं मुट्ठी भर बाजरे के लिए पूरे हिन्दुस्तान की बादशाह खो देता है।
राजस्थान का प्रथम साक्षर गाँव मसूदा गाँव है।
मध्य अरावली की सबसे ऊँची चोटी गोरम जी, 934 मीटर (ब्यावर) है।
बनेड़ा एक गुहिल ठिकाना था।
बनेड़ा दुर्ग का निर्माण महाराणा कुंभा ने करवाया था।
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