तहसील - 7 पंचायत समिति -7 संभाग - बीकानेर
चूरू को चुहरू नाम के कालेर जाट ने बसाया था। जिस स्थान पर ये आकर बसे वह आज भी कालेरा बास के नाम से जाना जाता है।
यह राजस्व मंडल अजमेर द्वारा राजस्थान के 12 मरूस्थलीय जिलों में से एक जिला है।
यह राजस्थान का सबसे गर्म व ठण्डा जिला है।(जलवायु)
राजस्थान का सर्वाधिक वार्षिक तापान्तर वाला जिला है।
चूरू जिले में कोई नदी नहीं बहती है।
तालछापर झील - यह एक खारे पानी की झील है।
चूरू का किला - काठुर कुशल सिंह ने 1739 ई. में इसका निर्माण करवाया। इस किले में गोपीनाथ का मंदिर स्थापित है। (चूरू का किला)
साहवा का गुरूद्वारा - तारानगर के साहवा का यह सिक्ख गुरूद्वारा गुरूनानक देव जी तथा गोविन्द सिंह जी के आने व रहने की स्मृति से जुड़ा हुआ है। कार्तिक मास की पूर्णिमा को यहां मेला लगता है।
ददरेवा - यह गोगा जी का जन्म स्थान है। भाद्रपद मास में कृष्णा नवमी को मेला लगता है।
सालासर बालाजी - इस मंदिर कि स्थापना मोहनदास जी ने की थी। इसी के पास हनुमान जी की माता अंजनी देवी का मंदिर भी है।
तिरूपति बालाजी - सुजानगढ़ में भगवान वैंकटेश्वर तिरूपति बालाजी का मंदिर 1994 में वैंकटेश्वर फाउन्डेशन ने करवाया।
गोपालपुरा - महाभारत काल में यह द्रोणपुर के नाम से जाना जाता था इसको पांडवों के गुरू द्रोणाचार्य ने बसाया था।
धर्म स्तूप - सर्व धर्म सद्भाव का प्रतिक है। इसका निर्माण लाल पत्थरों से हुआ है। स्तुप के अन्दर भगवान कृष्ण, महावीर, बुद्ध गुरू नानक, जगदम्बा और शंकराचार्य की मूर्तियां लगी है।
तालछापर - सुजानगढ़ में स्थित तालछापर वन्य जीव अभ्यारण्य काले हिरणों और कुरंजा पक्षी की शरण स्थली है। वर्षा ऋतु में इस अभ्यारण्य में मोचिया साइसप्रस रोटन्डस नामक नर्म घास उत्पन्न होती है।
वस्र्टेड स्पीनिंग(ऊन का कारखाना) मिल - चूरू
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