तहसील - 6 संभाग - पाली
यह शहर प्राचीनकाल में महर्षि जाबालि की तपोभूमि होने के कारण जाबालिपुर के नाम से जाना जाता था। तथा बाद में इसे जालौर कहा जाने लगा।इसे सुवर्णगिरी व ग्रेनाइट सिटी के नाम से भी जाना जाता है।
नागभट्ट प्रथम ने 730 ईण् में भीनमाल में प्रतिहार वंश की स्थापना की तथा भीनमाल को प्रतिहारों की राजधानी बनाया।
भीनमाल व एलाना सभ्यताएं जालैर में है।
मालानी - बालोत्तरा व झालौर के मध्य का भू-भाग(भौगोलिक नाम)।
गोड़वाड़ - बाड़मेर,जालौर, सिरोही।
गोड़वाड़ी(मारवाड़ी की उपबोली), जालौर व पाली में बोली जाती है।
राजस्थान में साक्षरता के अनुपात में जालौर(51.8 प्रतिशत) सबसे कम है।
खारी नदी सिरोही के शेरगांव की पहाड़ीयों से निकलती व सिरोही व जालौर में बहते हुए जालौर के सायला गांव में जवाई में मिल जाती है।
बांकली बांध - सुकड़ी नदी पर जालौर के बांकली गांव में बना है।
राजस्थान में भालुओं के प्रसिद्ध अभ्यारण्य सुन्धा(सुंडा) माता अभ्यारण्य जालौर में है।
जालौर दुर्ग - जालौर दुर्ग का निर्माण प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट प्रथम ने सूकड़ी नदी के किनारे स्वर्णगिरी पर्वत पर करवाया था। इस दुर्ग के अन्य नाम जलालाबाद दुर्ग, जाबालिपुर दुर्ग, व सुवर्णगिरी दुर्ग।
भीनमाल - यहां सुन्धा(सुंडा) पर्वत पर चामुण्डा देवी का प्रसिद्ध मंदिर। जहां राजस्थान का प्रथम रोप वे 20 दिसम्बर 2006 को प्रारंभ किया गया। महाकवि माघ की जन्म स्थली भीनमाल है।
आशापुरी(महोदरी) - सोनगरा चैहानों की कुल देवी।
मलिक शाह पीर की दरगाह - जालौर दुर्ग में स्थित दरगाह हिन्दु मुस्लिम एकता का प्रतिक है।
चीनी यात्री ह्नेनसांग यहां आया था।
कशीदावाली जुतियां(चमड़ा उद्योग) भीनमाल, जालौर की प्रसिद्ध है।
गोड़वाडा सर्किट(पर्यटन विकास) - पाली, सिरोही, जालौर।
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