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राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ

प्रश्न 121 बैराठ स्थित पहाड़ी, जहां बौद्ध विहार के अवशेष मिले हैं, उसे जाना जाता है -
  • (अ) बुद्धा पहाड़ी
  • (ब) अशोक पहाड़ी
  • (स) बीजक पहाड़ी
  • (द) विराट पहाड़ी
उत्तर : बीजक पहाड़ी
व्याख्या :
वर्ष 1999 में बीजक की पहाड़ी से अशोककालीन ‘गोल बौद्ध मंदिर’, ‘स्तूप’ एवं ‘बौद्ध मठ’ के अवशेष मिले हैं जो हीनयान संप्रदाय से संबंधित हैं, ये भारत के प्राचीनतम् मंदिर माने जा सकते हैं। यहां पर स्वर्ण मंजूषा(कलश) मिली है जिसमें भगवान बुद्ध की अस्थियों के अवशेष मिले हैं।
प्रश्न 122 गणेश्वर सभ्यता किस काल से सम्बन्धित है -
Librarian Grade III 2018
  • (अ) हड़प्पा काल
  • (ब) लौह युग
  • (स) ताम्र/कांस्य युग
  • (द) पुराषाण काल
उत्तर : ताम्र/कांस्य युग
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया। ताम्रयुगीन सांस्कृतिक केन्द्रों में से प्राप्त तिथियों में यह प्राचीनतम् है। इस प्रकार गणेश्वर संस्कृति को निर्विवाद रूप से ‘भारत में ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी’ माना जा सकता है।
प्रश्न 123 सुनारी सभ्यता के अवशेष कहां से प्राप्त हुए हैं -
  • (अ) नीम का थाना
  • (ब) चुरू
  • (स) बीकानेर
  • (द) सीकर
उत्तर : नीम का थाना
व्याख्या :
नीम का थाना जिले की खेतड़ी तहसील के सुनारी में कांटली नदी के तट पर खुदाई में अयस्क से लौहा बनाने की भट्टियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं। ये भारत की प्राचीनतम भट्टियाँ मानी जाती हैं। इन भट्टियों में धोंकनी लगाने का प्रावधान था, जिससे तापक्रम नियंत्रित किया जाता था।
प्रश्न 124 ताम्रयुगीन स्थल झालोड़ कहां स्थित है -
  • (अ) चित्तौड़
  • (ब) नागौर
  • (स) उदयपुर
  • (द) जालौर
उत्तर : उदयपुर
व्याख्या :
झाड़ौल, उदयपुर में स्थित है।
प्रश्न 125 राजस्थान में पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य सर्वप्रथम (1871 ई.) प्रारम्भ करने का श्रेय किसे जाता है -
  • (अ) ए. सी. एल. कार्लाइल
  • (ब) एच.डी.सांकलिया
  • (स) बी.बी. लाल
  • (द) ए. कनिंघम
उत्तर : ए. सी. एल. कार्लाइल
व्याख्या :
इस स्थल की प्रांरंभिक और सर्वप्रथम खोज का कार्य 1837 ई. में कैप्टन बर्ट द्वारा किया गया। 1871-72 ई. में कनिंघम के सहायक डॉ. कार्लाइल ने पुनः इस क्षेत्र का निरीक्षण किया। इन्होंने भीमसेन की पहाड़ी में अशोक का दूसरा शिलालेख खोज निकाला। इस लेख का सम्पादन बुहलर और सेर्नाट ने किया था। 1910 ई. में डॉ. डी.आर. भण्डारकर ने इस क्षेत्र का विस्तृत अध्ययन व सूक्ष्म परीक्षण किया।
प्रश्न 126 राम सैकाश्म और स्फटिक नामक पाषाणकालीन उपकरण प्राप्त हुए हैं -
  • (अ) कालीबंगा
  • (ब) हड़प्पा
  • (स) बालाकोट
  • (द) आहड़
उत्तर : आहड़
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। उत्खनन में कुछ पाषाण-कालीन उपकरण भी प्राप्त हुए हैं। इनमें राम सैकाश्म और स्फटिक मुख्य हैं। आहङवासी अपने मकानों की सुरक्षा तथा सुन्दरता के लिये स्फटिक पत्थरों के टुकडे मिट्टी के गारे में जमा देते थे। ऐसा अनुमान है कि इन्हीं पत्थरों से वे अपने आवश्यक औजार भी बनाते थे, जिनका उपयोग छीलने, छेद करने तथा काटने में किया जाता था।
प्रश्न 127 पुरातात्विक स्थल बागोर अवस्थित है -
RPSC ACF FRO 2021
  • (अ) लूणी नदी पर
  • (ब) बनास नदी पर
  • (स) कोठारी नदी पर
  • (द) चंबल नदी पर
उत्तर : कोठारी नदी पर
व्याख्या :
भीलवाड़ा कस्बे से 25 किलोमीटर दूर कोठारी नदी के किनारे वर्ष 1967-68 में डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना और राजस्थान पुरातत्व विभाग के सहयोग से की गयी खुदाई में 3000 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के काल की बागौर सभ्यता का पता लगा।
प्रश्न 128 राजस्थान के किस स्थल से पुरापाषाणयुगीन उपकरण उपलब्ध हुए हैं -
Agriculture Officer 2020
  • (अ) बागोर
  • (ब) अहाड़
  • (स) भानगढ़
  • (द) कालीबंगा
उत्तर : भानगढ़
व्याख्या :
पुरापाषाणयुगीन उपकरण भानगढ़ से प्राप्‍त हुए हैं।
प्रश्न 129 प्राचीन सभ्यता स्थल एवं उनके जिले को सुमेलित कीजिए एवं नीचे दिये गये सही कूट का चयन कीजिए -
स्थल जिला
अ. सिंघी तालाव 1. कोटपूतली बहरोड
ब. तिलवाड़ा 2. चित्तौड़गढ़
स. बीजक की पहाड़ी 3. बालोतरा
द. नगरी 4. नागौर
कूट - अ, ब, स, द
  • (अ) 2, 1, 4, 3
  • (ब) 3, 4, 2, 1
  • (स) 4, 3, 1, 2
  • (द) 1, 2, 3, 4
उत्तर : 4, 3, 1, 2
व्याख्या :
स्थलजिला
सिंघी तालावनागौर
तिलवाड़ाबालोतरा
बीजक की पहाड़ीकोटपूतली बहरोड
नगरीचित्तौड़गढ़
प्रश्न 130 राजस्थान में लौह धातु के प्राचीनतम साक्ष्य किस पात्र संस्कृति से प्राप्त हुए हैं -
Agriculture Officer 2020
  • (अ) गेरूएं रंग की मृद्भाण्ड संस्कृति (ओ सी पी)
  • (ब) काले एवं लाल रंग की मृद्भाण्ड संस्कृति (बी एण्ड आर)
  • (स) चित्रित सलेटी रंग की मृद्भाण्ड संस्कृति (पी जी डब्ल्यू)
  • (द) उत्तरी काली चमकीली मृद्भाण्ड संस्कृति (एन बी पी)
उत्तर : काले एवं लाल रंग की मृद्भाण्ड संस्कृति (बी एण्ड आर)
व्याख्या :
नोह के काले एवं लाल मृद्पात्रों के स्तर से लोहे की उपस्थिति के कुछ प्रमाण मिले हैं। यद्यपि यह साक्ष्य लोहे के छोटे-छोटे टुकड़ों के रूप में हैं, तथापि यह भारत में लौह युग के प्रारम्भ की प्राचीनतम् सीमा रेखा निर्धारण का सूचक है। इस सभ्यता के पश्चात् एक नई सभ्यता का आविर्भाव हुआ जिसे सलेटी रंग की चित्रित मृद्भाण्ड संस्कृति का नाम दिया गया है।

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