राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ
- प्रश्न 181 भीनमाल सभ्यता का पता रतनचन्द्र अग्रवाल द्वारा वर्ष 1953-54 ई. में सबसे पहले राजस्थान के किस ज़िले में लगाया गया -
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- (अ) बैराठ
- (ब) जालौर
- (स) अलवर
- (द) प्रतापगढ़
उत्तर : जालौर
व्याख्या :
जालौर जिले में स्थित भीनमाल में 1953-54 ई. में रतनचन्द्र अग्रवाल के निर्देशन में खुदाई कार्य किया गया।
- प्रश्न 182 निम्नलिखित में से किस स्थल से उत्खनन में ‘अग्नि वेदिकाएँ’ मिली थी -
Lab Assistant Exam 2022 (Science) 28 June 2022 Paper-1 -
- (अ) गणेश्वर
- (ब) आहड़
- (स) बागोर
- (द) कालीबंगा
उत्तर : कालीबंगा
व्याख्या :
कालीबंगा से ईटों से निर्मित चबुतरे पर सात अग्नि कुण्ड प्राप्त हुए है जिसमें राख एवम् पशुओं की हड्डियां प्राप्त हुई है।
- प्रश्न 183 निम्नलिखित में से किस सभ्यता में मकान एवं बस्तियों के निर्माण में ईंटों का प्रयोग नहीं होता था -
Lab Assistant Exam 2022 (Science) 28 June 2022 Paper-1 -
- (अ) बैराठ
- (ब) आहड़
- (स) कालीबंगा
- (द) गणेश्वर
उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया।
- प्रश्न 184 निम्नलिखित में से कौनसा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है -
प्राचीन स्थल - उत्खननकर्ता -
- (अ) कालीबंगा - अमलानंद घोष
- (ब) आहड़ - एच. डी. सांकलिया
- (स) बैराठ - केदार नाथ पुरी
- (द) बागोर - वी. एन. मिश्रा
उत्तर : बैराठ - केदार नाथ पुरी
व्याख्या :
ढील नदी के किनारे स्थित रैढ़ में उत्खनन कार्य सर्वप्रथम जयपुर की ओर से बहादुर दयाराम साहनी MACIE, पुरातत्व और ऐतिहासिक अनुसंधान के निदेशक ने 1938 से 1940 तक किया। इसको अंतिम रूप डॉ. केदारनाथ पुरी ने दिया।
प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) में ‘बीजक की पहाड़ी’, ‘भीमजी की डूँगरी’ मोती डूंगरी तथा ‘महादेवजी की डूँगरी’ आदि स्थानों पर उत्खनन कार्य दयाराम साहनी द्वारा 1936-37 में तथा पुनः 1962-63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
- प्रश्न 185 आहड़ के विषय में निम्नलिखित में से कौन सा कथन असत्य है -
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- (अ) आहड़वासी दीवारों एवं नीवों को मजबूत एवं सौन्दर्ययुक्त बनाने हेतु मिट्टी में क्वार्ट्ज के टुकड़े एवं चिप्स के सम्मिश्रण का प्रयोग करते थे।
- (ब) मिट्टी अथवा कच्ची ईंटों से निर्मित भवन अब उपलब्ध नहीं है।
- (स) आवासीय भवनों की नींव ईंटों की होती थी।
- (द) आहड़ के उत्खनन से मानव जीवन के विभिन्न चरणो पर प्रकाश पड़ता है।
उत्तर : मिट्टी अथवा कच्ची ईंटों से निर्मित भवन अब उपलब्ध नहीं है।
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। इस सभ्यता में लोग मकान बनाने में धूप में सुखाई गई ईंटों व पत्थरों का प्रयोग करते थे। बड़े व चौकोर मकान, पत्थर की नींव डालकर बनाते थे जबकि दीवारों के लिए मिटटी की ईंटों का प्रयोग होता था।
- प्रश्न 186 निम्नांकित में से कौन-सा कथन सही है -
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- (अ) गणेश्वर एक उत्खनन स्थल नहीं है।
- (ब) बैराठ एक ग्राम्य-संस्कृति केन्द्र था।
- (स) कालीबंगा लौह-युग संस्कृति का एक उदाहरण था।
- (द) आहड़वासियों का महत्वपूर्ण व्यवसाय अयस्क तांबे को गलाना तथा ताम्र वस्तुएं बनाना था।
उत्तर : आहड़वासियों का महत्वपूर्ण व्यवसाय अयस्क तांबे को गलाना तथा ताम्र वस्तुएं बनाना था।
व्याख्या :
धातु का काम आहड़वासियों की अर्थव्यवस्था का प्रमुख साधन था। ये लोग तांबा गलना जानते थे। यहाँ तांबे के औजार व उपकरणों के अत्यधिक प्रयोग के प्रमाण मिले है। ये लोग पशुपालन तथा कृषि का कार्य भी किया करते थे।
- प्रश्न 187 300 ई.पू. से 300 ई. तक के काल में राजस्थान में गोल चैत्यगृह कहाँ मिला है -
Lab Assistant Exam 2022 (Science) 29 June 2022 Paper-1 -
- (अ) नगरी
- (ब) बैराठ
- (स) कोलवी
- (द) लालसोट
उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
वर्ष 1999 में बीजक की पहाड़ी से अशोककालीन ‘गोल बौद्ध मंदिर’, ‘स्तूप’ एवं ‘बौद्ध मठ’ के अवशेष मिले हैं जो हीनयान संप्रदाय से संबंधित हैं, ये भारत के प्राचीनतम् मंदिर माने जा सकते हैं।
- प्रश्न 188 किस नदी के तट पर गिलूण्ड सभ्यता स्थित है -
Lab Assistant Exam 2022 (Science) 29 June 2022 Paper-1 -
- (अ) आहड़
- (ब) कोठारी
- (स) बनास
- (द) कांतली
उत्तर : बनास
व्याख्या :
सन् 1957-58 में प्रो. बी.बी. लाल ने गिलूण्ड (राजसमन्द) पुरास्थल का उत्खनन किया। गिलूण्ड कस्बे में बनास नदी के तट पर दो टीलों (स्थानीय भाषा में मोडिया मंगरी) के उत्खनन के फलस्वरूप आहड़ संस्कृति से जुड़ी यह सभ्यता प्रकाश में आई, जिसे बनास संस्कृति के नाम से भी पुकारा जाता है।
- प्रश्न 189 गणेश्वर सभ्यता का उत्खनन किसके निर्देशन में हुआ -
Lab Assistant Exam 2022 (Science) 29 June 2022 Paper-1 -
- (अ) एच. डी. सांकलिया
- (ब) ए. एन. घोश
- (स) वी. एन. मिश्रा
- (द) आर. सी. अग्रवाल
उत्तर : आर. सी. अग्रवाल
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया।
- प्रश्न 190 प्राचीनकाल में निम्नलिखित में से किस स्थान को ताम्रवती नगरी के नाम से भी जाना जाता था -
Lab Assistant Exam 2022 (Home Science) -
- (अ) आहड
- (ब) कालीबंगा
- (स) खेतड़ी
- (द) गणेश्वर
उत्तर : आहड
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है।
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