राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ
- प्रश्न 191 राजस्थान के किस जिले में ओझियाना स्थल स्थित है -
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- (अ) गंगानगर
- (ब) भीलवाड़ा
- (स) राजसमन्द
- (द) उदयपुर
उत्तर : भीलवाड़ा
व्याख्या :
आहड़ संस्कृति से सम्बन्धित पुरास्थल ओझियाना भीलवाड़ा जिले में स्थित है। इस पुरास्थल का उत्खनन सन् 1999-2000 में किया गया था।
- प्रश्न 192 निम्नलिखित युस््मों में से कौनसा युग्म (पुरास्थल - संबंधित जिला) सुमेलित नहीं है -
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- (अ) सुनारी - झुंझुनूं
- (ब) गिलूण्ड - राजसमन्द
- (स) ओझियाना - चित्तोड़गढ़
- (द) जोधपुरा - जयपुर
उत्तर : ओझियाना - चित्तोड़गढ़
व्याख्या :
आहड़ संस्कृति से सम्बन्धित पुरास्थल ओझियाना भीलवाड़ा जिले में स्थित है। इस पुरास्थल का उत्खनन सन् 1999-2000 में किया गया था।
- प्रश्न 193 दयाराम साहनी, नीलरत्न बनर्जी एवं कैलाशनाथ दीक्षित की किस सभ्यता के उत्खनन में मुख्य भूमिका रही -
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- (अ) आहड़
- (ब) बैराठ
- (स) गिलूण्ड
- (द) बागोर
उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) में ‘बीजक की पहाड़ी’, ‘भीमजी की डूँगरी’ मोती डूंगरी तथा ‘महादेवजी की डूँगरी’ आदि स्थानों पर उत्खनन कार्य दयाराम साहनी द्वारा 1936-37 में तथा पुनः 1962-63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
- प्रश्न 194 धुलकोट के टीले से जिस सभ्यता का अभियान हुआ, वह है -
-
- (अ) ओझियाना
- (ब) आहड़
- (स) ईसवाल
- (द) बालाथल
उत्तर : आहड़
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। दसवीं व ग्याहरवीं शताब्दी में इसे ‘आघाटपुर’ अथवा ‘आघट दुर्ग’ के नाम से जाना जाता था। इसे ‘धूलकोट’ भी कहा जाता है।
- प्रश्न 195 बैराट (जयपुर के पास) के पास भीमजी की डूंगरी के तल पर दो ______ शिलालेख बैराट शिलालेख और लघु शिलालेख की खोज की गई है।
RSMSSB LSA 2022 -
- (अ) चालुक्य
- (ब) मुगल
- (स) अशोक
- (द) राठौर
उत्तर : अशोक
व्याख्या :
इस स्थल की प्रांरंभिक और सर्वप्रथम खोज का कार्य 1837 ई. में कैप्टन बर्ट द्वारा किया गया। इन्होंने विराटनगर में मौर्य सम्राट अशोक का प्रथम भाब्रू शिलालेख खोज निकाला और यह 1840 ई. से एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित है। इसे ‘भाब्रू शिलालेख’ और ‘बैराठ-कलकत्ता शिलालेख’ कहा जाता है।
- प्रश्न 196 लूनी घाटी डीडवाना, बूढा पुष्कर के आसपास स्थित एक महत्वपूर्ण स्थल है। यह निम्नलिखित में से किस युग से संबंधित है -
RSMSSB LSA 2022 -
- (अ) ऊपरी पुरापाषाण युग
- (ब) उत्तर पुराना पाषाण युग
- (स) मध्य पुरापाषाण युग
- (द) इनमें से कोई भी नहीं
उत्तर : मध्य पुरापाषाण युग
व्याख्या :
सन् 1971-76 में डॉ. आल्चिन, ए.एस. गाउडी व के.टी.एम. हेगड़े ने बूढ़ा पुष्कर, अजमेर एवं जैसलमेर में मध्य पाषाणकाल के उपकरणों की खोज की। पश्चिमी राजस्थान में लूनी नदी के किनारे तथा श्रीमती बी. ऑलचिन ने जालौर जिले में बालू के टीलों में पाषाणयुगीन उपकरण खोज निकाले हैं।
- प्रश्न 197 सैन्धव सभ्यता के किस स्थल से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं -
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- (अ) हड़प्पा
- (ब) मोहनजोदड़ो
- (स) राखीगढी
- (द) कालीबंगा
उत्तर : कालीबंगा
व्याख्या :
सिंधु घाटी सभ्यता के कालीबंगा स्थल से जुते हुए खेत के प्रमाण मिले हैं।
- प्रश्न 198 निम्नलिखित में से कौन सा (पुरातात्विक स्थल - उत्खननकर्ता) सुमेलित नहीं है -
RSMSSB House Keeper 2022 -
- (अ) आहड़ - एच. डी. सांकलिया
- (ब) ओझियाना – के. एन. पुरी
- (स) बैराठ - डी. आर. साहनी
- (द) बागौर - वी. एन. मिश्र
उत्तर : ओझियाना – के. एन. पुरी
व्याख्या :
आहड़ संस्कृति से सम्बन्धित पुरास्थल ओझियाना भीलवाड़ा जिले में स्थित है। इस पुरास्थल का उत्खनन सन् 1999-2000 में किया गया था।
ढील नदी के किनारे स्थित रैढ़ में उत्खनन कार्य सर्वप्रथम जयपुर की ओर से बहादुर दयाराम साहनी MACIE, पुरातत्व और ऐतिहासिक अनुसंधान के निदेशक ने 1938 से 1940 तक किया। इसको अंतिम रूप डॉ. केदारनाथ पुरी ने दिया। उत्खनित क्षेत्र का विवरण के.एन. पुरी ने जयपुर शासन के तत्वाधान में ‘एस्केवैशनएट रैढ़’ में प्रकाशित किया।
- प्रश्न 199 कालीबंगा के बारे में निम्नलिखित कथनों को पढ़िए -
(A) कालीबंगा में दुर्ग तथा निचले नगर, दोनों के चारों ओर दीवार है।
(B) दोनों दीवारें कच्ची मिट्टी की ईंटों की दीवारे हैं।
सही उत्तर चुनिए -
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- (अ) केवल कथन (A) सत्य है।
- (ब) केवल कथन (B) सत्य है।
- (स) ना तो (A) ना ही (B) सत्य है।
- (द) दोनों कथन सत्य हैं।
उत्तर : दोनों कथन सत्य हैं।
व्याख्या :
कालीबंगा की नगर योजना सिन्धु घाटी की नगर योजना के अनुरूप दिखाई देती है। पत्थर के अभाव के कारण दीवारें कच्ची ईंटों से बनती थी और इन्हें मिट्टी से जोड़ा जाता था।
- प्रश्न 200 सुनारी सभ्यता के अवशेष राजस्थान के किस जिले से प्राप्त हुए हैं -
Junior Instructor (WC&S)2018 -
- (अ) चूरू
- (ब) नीम का थाना
- (स) सीकर
- (द) भीलवाड़ा
उत्तर : नीम का थाना
व्याख्या :
नीम का थाना जिले की खेतड़ी तहसील के सुनारी में कांटली नदी के तट पर खुदाई में अयस्क से लौहा बनाने की भट्टियों के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
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