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राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ

प्रश्न 271 प्रागैतिहासिक स्थल, जहाँ से भारी मात्रा में ताम्र उपकरण प्राप्त हुए हैं :
Senior Physical Education Teacher Exam - 2022 (Paper-I GK And Others)
  • (अ) बैराठ
  • (ब) कालीबंगा
  • (स) गणेश्वर
  • (द) तिलवाड़ा
उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। यहां से शुद्ध तांबे निर्मित तीर, भाले, तलवार, बर्तन, आभुषण, सुईयां मिले हैं। यहां से तांबे का निर्यात भी किया जाता था। सिंधु घाटी के लोगों को तांबे की आपूर्ति यहीं से होती थी।
प्रश्न 272 निम्न में से कौन सा पुरावशेष कालीबंगा से सम्बन्धित नहीं है -
Senior Physical Education Teacher Exam - 2022 (Paper-I GK And Others)
  • (अ) दुर्गीकरण
  • (ब) शैल चित्र
  • (स) अग्निवेदी
  • (द) मृद्भांड
उत्तर : शैल चित्र
व्याख्या :
शैल चित्र कालीबंगा से सम्बन्धित नहीं है।
प्रश्न 273 निम्नलिखित पुरातत्त्वविदों में से किसने बैराठ का उत्खनन किया -
Senior Physical Education Teacher Exam - 2022 (Paper-I GK And Others)
  • (अ) वी. एन. मिश्र
  • (ब) के. एन. पुरी
  • (स) डी. आर. साहनी
  • (द) एच.डी. सांकलिया
उत्तर : डी. आर. साहनी
व्याख्या :
प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) में ‘बीजक की पहाड़ी’, ‘भीमजी की डूँगरी’ मोती डूंगरी तथा ‘महादेवजी की डूँगरी’ आदि स्थानों पर उत्खनन कार्य दयाराम साहनी द्वारा 1936-37 में तथा पुनः 1962-63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
प्रश्न 274 1870 में, _____ ने बूँदी में जयपुर और इंद्रगढ़ से एक पुरापाषाण हाथ - कुल्हाड़ी (hand-axe) की खोज की।
RPSC EO/ RO Exam 2022 Shift-1
  • (अ) वी. एन. मिश्रा
  • (ब) आर. सी. अग्रवाल
  • (स) ए. जी. जॉन्स
  • (द) सी. ए. हैकेट
उत्तर : सी. ए. हैकेट
व्याख्या :
सन् 1870 में सी.ए. हैकट ने ‘हैण्डएक्स’ ‘एश्यूलियन’ व ‘क्लीवर’ जयपुर एवं इन्दरगढ़ से खोज निकाले थे, जो भारतीय संग्रहालय कलकत्ता में उपलब्ध हैं। राजस्थान में पुरातात्विक सर्वेक्षण कार्य सर्वप्रथम 1871 ई. में प्रारम्भ करने का श्रेय ए.सी.एल. कार्लाइल को दिया जाता है।
प्रश्न 275 नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम पर खोजा गया ताम्र संस्कृति का महत्त्वपूर्ण स्थल कौन सा है -
  • (अ) गिलुंड
  • (ब) गणेश्वर
  • (स) कालीबंगा
  • (द) आहड़
उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया।
प्रश्न 276 आहड़ में खुदाई के बाद एक 4000 साल पुरानी ताम्रपाषाणयुगीन संस्कृति की खोज की गई थी, जिसे _____ नामक एक टीले के नीचे दबा दिया गया था।
RPSC EO/ RO Exam 2022 Shift-2
  • (अ) पानी का टीला
  • (ब) अहरवाल
  • (स) रामस्तूप
  • (द) धूलकोट
उत्तर : धूलकोट
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। दसवीं व ग्याहरवीं शताब्दी में इसे ‘आघाटपुर’ अथवा ‘आघट दुर्ग’ के नाम से जाना जाता था। इसे ‘धूलकोट’ भी कहा जाता है।
प्रश्न 277 आहड़ को ताम्रवती नाम से भी जाना जाता था क्योंकि -
RPSC EO/ RO Exam 2022 Shift-2
  • (अ) जली हुई ईंट का निर्माण पाया गया।
  • (ब) अर्थव्यवस्था शिकार और पशुपालन पर आधारित थी।
  • (स) बड़ी संख्या में ताँबे के औज़ार और उपकरण मिले हैं।
  • (द) घर बनाने के लिए धूप में पकी ईंटों का उपयोग किया जाता था।
उत्तर : बड़ी संख्या में ताँबे के औज़ार और उपकरण मिले हैं।
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। यहां से बड़ी संख्या में ताँबे के औज़ार और उपकरण मिले हैं। तांबा गलाने की भट्टी मिली है।
प्रश्न 278 मध्य पाषाणकालीन उपकरण चित्तौड़ में _____ नदी के किनारे और विराटनगर से मिले हैं।
RPSC EO/ RO Exam 2022 Shift-2
  • (अ) नीलपाड़ा
  • (ब) एल्ना
  • (स) अश्वी
  • (द) बेराच
उत्तर : बेराच
व्याख्या :
पश्चिम राजस्थान में लूनी और उसकी सहायक नदियों, चित्तौड़ की बेड़च नदी घाटी और विराटनगर से मध्य पाषाणकालीन उपकरण प्राप्त हुए हैं।
प्रश्न 279 निम्न में से किस सभ्यता को भारत में सभी ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी माना जाता है -
Sr. Teacher Gr II (Sec. Edu.) Exam - 2022 (G.K. Group - B) (Re-Exam)
  • (अ) आहड़
  • (ब) गिलूण्ड
  • (स) कालीबंगा
  • (द) गणेश्वर
उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया। डी.पी. अग्रवाल ने रेडियो कार्बन विधि एवं तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर इस स्थल की तिथि 2800 ईसा पूर्व निर्धारित की है अर्थात् गणेश्वर सभ्यता पूर्व-हड़प्पा कालीन सभ्यता है। ताम्रयुगीन सांस्कृतिक केन्द्रों में से प्राप्त तिथियों में यह प्राचीनतम् है। इस प्रकार गणेश्वर संस्कृति को निर्विवाद रूप से ‘भारत में ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी’ माना जा सकता है।
प्रश्न 280 गिलूण्ड और भगवानपुरा किस सभ्यता से संबंधित हैं -
Sr. Teacher Gr II (Sec. Edu.) Exam - 2022 (G.K. Group - B) (Re-Exam)
  • (अ) आहड़
  • (ब) कालीबंगा
  • (स) गणेश्वर
  • (द) बैराठ
उत्तर : आहड़
व्याख्या :
सन् 1957-58 में प्रो. बी.बी. लाल ने गिलूण्ड (राजसमन्द) पुरास्थल का उत्खनन किया। गिलूंड और भगवानपुरा, आहड़-बनास सभ्यता से संबंधित हैं।

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