राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ
- प्रश्न 281 पुरातत्वविद् नील रत्न बनर्जी और कैलाश नाथ दीक्षित निम्नलिखित किस पुरास्थल के उत्खनन से सम्बद्ध रहे हैं -
Sr. Teacher Gr II (Sec. Edu.) Exam - 2022 (G.K. Group - B) (Re-Exam) -
- (अ) कालीबंगा
- (ब) बैराठ
- (स) आहड़
- (द) गणेश्वर
उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) में ‘बीजक की पहाड़ी’, ‘भीमजी की डूँगरी’ मोती डूंगरी तथा ‘महादेवजी की डूँगरी’ आदि स्थानों पर उत्खनन कार्य दयाराम साहनी द्वारा 1936-37 में तथा पुनः 1962-63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
- प्रश्न 282 निम्नांकित में किस इतिहासवेत्ता ने कालीबंगा को सिन्धु घाटी साम्राज्य की तृतीय राजधानी कहा हैं -
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- (अ) जी.एच.ओझा
- (ब) श्यामल दास
- (स) दशरथ शर्मा
- (द) दयाराम साहनी
उत्तर : दशरथ शर्मा
व्याख्या :
यदि हड़प्पा और मोहनजोदड़ों को सैंधव सभ्यता की दो राजधानियां माना जा सकता है तो दशरथ शर्मा के अनुसार कालीबंगा को सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी कहा जा सकता है।
- प्रश्न 283 भरतपुर जिले के किस गाँव में उत्खनन से ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं -
Food Safety Officer - 2022 -
- (अ) नदबई
- (ब) नोह
- (स) रूपबास
- (द) कुम्हेर
उत्तर : नोह
व्याख्या :
भरतपुर जिले के नोह गांव में 1963-64 में श्री रतनचन्द्र अग्रवाल के निर्देशन में की गई खुदाई में ताम्रयुगीन सभ्यता के अवशेष मिले हैं। यह स्थल भरतपुर जिले में रूपारेल नदी के तट पर स्थित है।
- प्रश्न 284 पुरातात्विक स्थल गिलुण्ड संबद्ध है -
Veterinary Officer Exam 2019 -
- (अ) ताम्रपाषाणिक संस्कृति से
- (ब) मध्यपाषाणिक संस्कृति से
- (स) नवपाषाणिक संस्कृति से
- (द) पुरापाषाणिक संस्कृति से
उत्तर : ताम्रपाषाणिक संस्कृति से
व्याख्या :
गिलुंड राजसमंद जिले में स्थित एक गाँव और पुरातात्विक स्थल है। यह आहड़-बनास ताम्रपाषाण संस्कृति का हिस्सा है।
- प्रश्न 285 प्राचीन ऐतिहासिक स्थल नगर अवस्थित है -
Veterinary Officer Exam 2019 -
- (अ) चित्तौड़गढ़ में
- (ब) उदयपुर में
- (स) टोंक में
- (द) जयपुर में
उत्तर : टोंक में
व्याख्या :
नगर का प्राचीन टीला राजस्थान के टोंक जिले में स्थित है। यह मालवा गणराज्य की राजधानी थी और इस स्थान का प्राचीन नाम करकोटा नगर था।
- प्रश्न 286 निम्नलिखित किस प्राचीन स्थल के उत्खनन में मालव जनपद की लौह सामग्री के विशाल संग्रह की जानकारी प्राप्त हुई है -
RAS (Pre) Exam - 2023 -
- (अ) नगर (नैनवाँ)
- (ब) नगरी (मध्यमिका)
- (स) सांभर
- (द) रैढ़ (टोंक)
उत्तर : रैढ़ (टोंक)
व्याख्या :
राजस्थान में नोह (भरतपुर), जोधपुरा (जयपुर), सुनारी (झुंझुनूं), रैढ़ (टोंक) आदि स्थानों से लौह संस्कृति के समय के अनेक हथियार और उपकरण मिले हैं। नोह से प्राप्त लौहे के अवशेष भारत में युग के आरम्भ होने की सीमा रेखा निर्धारित करने के महत्त्वपूर्ण स्रोत हैं । रैढ़ को तो लौह सामग्री की प्रचुरता के कारण प्राचीन राजस्थान के टाटानगर की संज्ञा दी गई है। मालव जनपद का समीकरण टोंक जिले में स्थित नगर या ककोर्टनगर से किया जाता है।
- प्रश्न 287 निम्नलिखित में से कौन सा स्थान राजस्थान में पशु पालन का सबसे प्राचीन प्रमाण प्रस्तुत करता है -
Agriculture Supervisor Exam 2023 -
- (अ) बागोर
- (ब) कालीबंगा
- (स) जयपुर
- (द) अलवर
उत्तर : बागोर
व्याख्या :
भीलवाड़ा कस्बे से 25 किलोमीटर दूर कोठारी नदी के किनारे वर्ष 1967-68 में डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना और राजस्थान पुरातत्व विभाग के सहयोग से की गयी खुदाई में 3000 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के काल की बागौर सभ्यता का पता लगा। बागौर से कृषि एवं पशुपालन के प्राचीनतम् साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- प्रश्न 288 प्रागैतिहासिक स्थल बागोर का सर्वप्रथम उत्खनन किसके निर्देशन में किया गया था -
Statistical Office Exam - 2023 (GK) -
- (अ) बी.बी. लाल
- (ब) बी.के. थापर
- (स) वी.एन. मिश्रा
- (द) ए. घोष
उत्तर : वी.एन. मिश्रा
व्याख्या :
भीलवाड़ा कस्बे से 25 किलोमीटर दूर कोठारी नदी के किनारे वर्ष 1967-68 में डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना और राजस्थान पुरातत्व विभाग के सहयोग से की गयी खुदाई में 3000 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के काल की बागौर सभ्यता का पता लगा।
- प्रश्न 289 आहड़ का प्राचीन नाम था:
Computor Exam 2023 -
- (अ) बैराठ
- (ब) अघतपुर
- (स) ताम्रवती
- (द) धुलकत
उत्तर : ताम्रवती
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। दसवीं व ग्याहरवीं शताब्दी में इसे ‘आघाटपुर’ अथवा ‘आघट दुर्ग’ के नाम से जाना जाता था। इसे ‘धूलकोट’ भी कहा जाता है।
- प्रश्न 290 बागोर के बारे में निम्नलिखित कथनों को पढ़िये :
(i) बागोर से लघुपाषाणोपकरण पुरातत्त्व सामग्री प्राप्त हुई है।
(ii) डॉ. एल.एस. लेशनि एवं पूना विश्वविद्यालय के सहयोग से यहाँ उत्खनन कार्य सम्पादित किया है।
Assistant Professor (College Education) - 2023 Paper-III -
- (अ) केवल (ii) सही है।
- (ब) (i) और (ii) दोनों सही हैं।
- (स) (i) और (ii) दोनों गलत हैं।
- (द) केवल (i) सही है।
उत्तर : (i) और (ii) दोनों सही हैं।
व्याख्या :
भीलवाड़ा कस्बे से 25 किलोमीटर दूर कोठारी नदी के किनारे वर्ष 1967-68 में डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना और राजस्थान पुरातत्व विभाग के सहयोग से की गयी खुदाई में 3000 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के काल की बागौर सभ्यता का पता लगा। यहां से लघुपाषाणोपकरण, हथौड़े, गोफन की गोलियां, चपटी व गोल शिलाएं, छेद वाले पत्थर व एक कंकाल पर ईटों की दीवार जो समाधि का द्योतक है मिलती है।
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