राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ
- प्रश्न 91 कालीबंगा से हडप्पा पूर्व की सभ्यता के मिलते-जुलते अवशेष पाकिस्तान में किस स्थान पर मिले हैं -
Junior Instructor(copa) -
- (अ) सुत्कागेंडोर
- (ब) लाहौर
- (स) कोट डीजी
- (द) मोंटगोमरी
उत्तर : कोट डीजी
व्याख्या :
कालीबंगा से हड़प्पा पूर्व की सभ्यता के मिलते-जुलते अवशेष पाकिस्तान में आमरी, हड़प्पा और कोट दीजी में पाए गए हैं। ये तीनों स्थान पाकिस्तान में हड़प्पा से पहले की संस्कृतियों के अस्तित्व को मान्यता देने वाले पहले स्थान थे।
- प्रश्न 92 आहड़ का उत्खन्न कार्य किसके नेतृत्व में निष्पादित हुआ -
Junior Instructor(fitter) -
- (अ) एच.डी. सांकलिया
- (ब) वी.एन. मिश्रा
- (स) वी.एस. वाकणकर
- (द) बी.बी. लाल
उत्तर : एच.डी. सांकलिया
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। इस स्थल के उत्खनन का कार्य सर्वप्रथम 1953 में अक्षय कीर्ति व्यास के नेतृत्व में हुआ। 1956 ई. में श्री रतचंद्र अग्रवाल की देखरेख में खनन कार्य हुआ। इसके उपरांत डॉ. एच.डी. सांकलिया, डेकन कॉलेज पूना, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, राजस्थान तथा मेलबोर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त अभियान में वर्ष 1961-62 के दौरान इस स्थल का उत्खनन कार्य किया गया।
- प्रश्न 93 प्राचीन काल में निम्नलिखित में से किस स्थान को ‘ताम्रवती’ के नाम से जाना जाता था -
Junior Instructor(welder) -
- (अ) खेतड़ी
- (ब) आहड़
- (स) दरीबा
- (द) गणेश्वर
उत्तर : आहड़
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। दसवीं व ग्याहरवीं शताब्दी में इसे ‘आघाटपुर’ अथवा ‘आघट दुर्ग’ के नाम से जाना जाता था। इसे ‘धूलकोट’ भी कहा जाता है।
- प्रश्न 94 जीवन्त स्वामी की धातु मूर्ति, प्रतिहार कला जून 1986 को कहां प्राप्त हुई थी -
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- (अ) जसोल
- (ब) ओझियाना
- (स) सोजत
- (द) बरवाला
उत्तर : बरवाला
व्याख्या :
बरवाला से जीवन्त स्वामी/महावीर स्वामी की धातु की मूर्ति मिली हैं।
- प्रश्न 95 बागोर की सभ्यता निम्नलिखित में से किस जिले में स्थित थी -
JSA Ballistic-2019(Rajasthan Gk) -
- (अ) भीलवाड़ा
- (ब) जैसलमेर
- (स) गंगानगर
- (द) बीकानेर
उत्तर : भीलवाड़ा
व्याख्या :
भीलवाड़ा कस्बे से 25 किलोमीटर दूर कोठारी नदी के किनारे वर्ष 1967-68 में डॉ. वीरेंद्रनाथ मिश्र, डॉ. एल.एस. लेश्निक व डेक्कन कॉलेज पूना और राजस्थान पुरातत्व विभाग के सहयोग से की गयी खुदाई में 3000 ई.पू. से लेकर 500 ई.पू. तक के काल की बागौर सभ्यता का पता लगा।
- प्रश्न 96 निम्नलिखित में से किस स्थल से इंडो-ग्रीक शासकों के अट्ठाईस सिक्के प्राप्त हुए हैं -
JSA Serology-2019(Rajasthan Gk) -
- (अ) नगरी
- (ब) बैराठ
- (स) नगर
- (द) रैढ़
उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
यहां से 36 चांदी के सिक्के प्राप्त हुए हैं 36 में से 28 सिक्के हिन्द - युनानी राजाओं के है। 28 में से 16 सिक्के मिनेण्डर राजा(प्रसिद्ध हिन्द - युनानी राजा) के मिले हैं।
- प्रश्न 97 ‘अपोलोडोट्स’ का सिक्का किस पुरातत्विक स्थल से मिला है -
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- (अ) रैढ
- (ब) बैराठ
- (स) नलियासर
- (द) सुनारी
उत्तर : रैढ
व्याख्या :
टोंक जिले में स्थित रैढ़ के उत्खनन में 3075 आहत मुद्रा या पंचमार्क सिक्के भी पाये गये हैं। रैढ़ से आहत मुद्रा के अतिरिक्त 300 मालव जनपद के सिक्के, 14 मित्र सिक्के, 6 सेनापति सिक्के, 7 वपु सिक्के, एक अपोलोडोट्स का सिक्का, 189 अज्ञात ताम्र सिक्के और इण्डो-सेसेनियन सिक्के प्रमुख है।
- प्रश्न 98 किस पुरातात्विक स्थल के उत्खनन में प्राप्त मृदभांडों में विदेशी प्रभाव युक्त ‘रोमन एम्फोरा’ की प्राप्ति विशेष रूस से उल्लेखनीय है -
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- (अ) भीनमाल
- (ब) सुनारी
- (स) बालाथल
- (द) आहड़
उत्तर : भीनमाल
व्याख्या :
जालौर जिला अंतर्गत अवस्थित भीनमाल से 1953-54 ई में श्री रत्नचन्द्र अग्रवाल द्वारा उत्खनन कार्य करवाया गया। उत्खनन में म्रद्भभांड तथा शक क्षत्रपों के सिक्के मिले हैं। म्रदपात्रों पर विदेशी प्रभाव दृष्टिगोचर होता हैं। यहाँ से यूनानी दुह्त्थी सुराही भी मिली हैं, जो यूनान के साथ व्यापारिक सम्बन्धों को प्रकट करती हैं। यहाँ से रोमन एम्फोरा / सुरापात्र भी मिला हैं। भीनमाल प्राचीन काल में श्रीमाल नाम से जाना जाता था। शिशुपाल वध के रचयिता कवि माघ का कार्यक्षेत्र यही था। गुप्तकालीन विद्वान ब्रह्मागुप्त का जन्मस्थान भी भीनमाल में था। चीनी यात्री ह्वेनसांग ने भी भीनमाल की यात्रा की थी।
- प्रश्न 99 सन् 1837 में बीजक पहाड़ी(बैराठ) स्थित अशोक के शिलालेख को किसने खोजा -
2nd Grade Teacher (SANSKRIT EDUCATION) Comp. Exam-2018 (Group -B) -
- (अ) कैप्टन बार्ट
- (ब) कर्नल जैम्स टाॅड
- (स) कैप्टन हाकिन्स
- (द) आर. सी. अग्रवाल
उत्तर : कैप्टन बार्ट
व्याख्या :
इस स्थल की प्रांरंभिक और सर्वप्रथम खोज का कार्य 1837 ई. में कैप्टन बर्ट द्वारा किया गया। इन्होंने विराटनगर में मौर्य सम्राट अशोक का प्रथम भाब्रू शिलालेख खोज निकाला और यह 1840 ई. से एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित है। इसे ‘भाब्रू शिलालेख’ और ‘बैराठ-कलकत्ता शिलालेख’ कहा जाता है।
- प्रश्न 100 दक्षिण-पश्चिमी राजस्थान की प्राचीन सभ्यता का एक महत्वपूर्ण केन्द्र था -
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- (अ) कालीबंगा
- (ब) आहड़
- (स) सिन्धु
- (द) बनास
उत्तर : आहड़
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है।
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