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राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ

प्रश्न 21   प्रागैतिहासिक स्थल, जहाँ से भारी मात्रा में ताम्र उपकरण प्राप्त हुए हैं :
 (अ) बैराठ
 (ब) कालीबंगा
 (स) गणेश्वर
 (द) तिलवाड़ा

उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। यहां से शुद्ध तांबे निर्मित तीर, भाले, तलवार, बर्तन, आभुषण, सुईयां मिले हैं। यहां से तांबे का निर्यात भी किया जाता था। सिंधु घाटी के लोगों को तांबे की आपूर्ति यहीं से होती थी।

प्रश्न 22   आहड़ के उत्खनन का कार्य सर्वप्रथम 1953 ई. में किसके नेतृत्व में हुआ -
 (अ) रतनचन्द्र अग्रवाल
 (ब) एच. डी. सांकलिया
 (स) वी. एन. मिश्र
 (द) अक्षय कीर्ति व्यास

उत्तर : अक्षय कीर्ति व्यास
व्याख्या :
आहड़ के उत्खनन का कार्य सर्वप्रथम 1953 में अक्षय कीर्ति व्यास के नेतृत्व में हुआ। 1956 ई. में श्री रतचंद्र अग्रवाल की देखरेख में खनन कार्य हुआ। इसके उपरांत डॉ. एच.डी. सांकलिया, डेकन कॉलेज पूना, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, राजस्थान तथा मेलबोर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त अभियान में वर्ष 1961-62 के दौरान इस स्थल का उत्खनन कार्य किया गया।

प्रश्न 23   निम्न में से राजस्थान में ताम्र-युगीन सभ्यता का प्रारंभिक केन्द्र किसे माना जाता है -
 (अ) बैराठ
 (ब) बालाथल
 (स) गणेश्वर
 (द) आहड़

उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया। डी.पी. अग्रवाल ने रेडियो कार्बन विधि एवं तुलनात्मक अध्ययन के आधार पर इस स्थल की तिथि 2800 ईसा पूर्व निर्धारित की है अर्थात् गणेश्वर सभ्यता पूर्व-हड़प्पा कालीन सभ्यता है। ताम्रयुगीन सांस्कृतिक केन्द्रों में से प्राप्त तिथियों में यह प्राचीनतम् है। इस प्रकार गणेश्वर संस्कृति को निर्विवाद रूप से ‘भारत में ताम्रयुगीन सभ्यताओं की जननी’ माना जा सकता है।

प्रश्न 24   निम्न में से कौन कालीबंगा पुरातत्त्व स्थल की खुदाई में बी. बी. लाल के सहयोगी नहीं रहे -
 (अ) ए. त्रिपाठी
 (ब) एम.डी. खरे
 (स) के. एम. श्रीवास्तव
 (द) एस. पी. जैन

उत्तर : ए. त्रिपाठी
व्याख्या :
का पता ‘पुरातत्व विभाग के निदेशक ए. एन. घोष’ ने सन् 1952 में लगाया था। इस स्थान का उत्खनन कार्य सन् 1961 से 1969 के मध्य 'श्री बी. बी. लाल', 'श्री बी. के. थापर', 'श्री डी. खरे', के. एम. श्रीवास्तव एवं 'श्री एस. पी. श्रीवास्तव' के निर्देशन में सम्पादित हुआ था। कालीबंगा स्वतंत्र भारत का वह पहला पुरातात्विक स्थल है जिसका स्वतंत्रता के बाद पहली बार उत्खनन किया गया तत्पश्चात् रोपड़ का उत्खनन किया गया।

प्रश्न 25   आहड़ को किस संस्कृति का प्रमुख केन्द्र माना जाता है -
 (अ) काले मृद्भाण्ड
 (ब) ताँबे के मृद्भाण्ड
 (स) चाँदी के मृद्भाण्ड
 (द) लाल-काले मृद्भाण्ड

उत्तर : लाल-काले मृद्भाण्ड
व्याख्या :
उत्खनन में मृदभांड सर्वाधिक मिले है। यहाँ मिले बर्तनो में भोजन के बर्तन की पाश्र्वभूमि काली है, किनारा लाल तथा कुछ बर्तनो में सफेदी से चित्रकारी भी की गई है। यह मृदभांड आहड़ को लाल-काले मृदभांड वाली संस्कृति का प्रमुख केंद्र सिद्ध करते है।

प्रश्न 26   निम्नलिखित में से किस प्राचीन सभ्यता में सम्राट अशोक के दो शिलालेख पाये जाते हैं -
 (अ) बनास
 (ब) गणेश्वर
 (स) कालीबंगा
 (द) बैराठ

उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
इस स्थल की प्रांरंभिक और सर्वप्रथम खोज का कार्य 1837 ई. में कैप्टन बर्ट द्वारा किया गया। इन्होंने विराटनगर में मौर्य सम्राट अशोक का प्रथम भाब्रू शिलालेख खोज निकाला और यह 1840 ई. से एशियाटिक सोसाइटी ऑफ बंगाल, कलकत्ता संग्रहालय में सुरक्षित है। इसे ‘भाब्रू शिलालेख’ और ‘बैराठ-कलकत्ता शिलालेख’ कहा जाता है।
1871-72 ई. में कनिंघम के सहायक डॉ. कार्लाइल ने पुनः इस क्षेत्र का निरीक्षण किया। इन्होंने भीमसेन की पहाड़ी में अशोक का दूसरा शिलालेख खोज निकाला।

प्रश्न 27   निम्नलिखित में से कौन सी सभ्यता कांतली नदी के उद्गम पर स्थित है -
 (अ) रंगमहल
 (ब) बैराठ
 (स) गणेश्वर
 (द) कालीबंगा

उत्तर : गणेश्वर
व्याख्या :
गणेश्वर का टीला, नीम का थाना में कांतली नदी के उद्गम स्थल पर अवस्थित है। गणेश्वर में रत्नचंद्र अग्रवाल ने 1977 में खुदाई कर इस सभ्यता पर प्रकाश डाला। इस क्षेत्र का विस्तृत उत्खनन कार्य 1978-89 के बीच विजय कुमार ने किया।

प्रश्न 28   निम्नलिखित में से किस संस्कृति को ‘बनास संस्कृति’ भी कहा जाता है -
 (अ) रैंड संस्कृति
 (ब) बैरीठ संस्कृति
 (स) आहड़ संस्कृति
 (द) दृषद्वती संस्कृति

उत्तर : आहड़ संस्कृति
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी।

प्रश्न 29   धूलकोट कहाँ स्थित है -
 (अ) आहड़ में
 (ब) कालीबंगा में
 (स) बालाथल में
 (द) बैराठ में

उत्तर : आहड़ में
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। दसवीं व ग्याहरवीं शताब्दी में इसे ‘आघाटपुर’ अथवा ‘आघट दुर्ग’ के नाम से जाना जाता था। इसे ‘धूलकोट’ भी कहा जाता है।

प्रश्न 30   आहड़ का उत्खनन कार्य किसके नेतृत्व में निष्पादित हुआ था -
 (अ) एच. डी. सांकलिया
 (ब) बी. बी. लाल
 (स) वी. एस. वाकणकर
 (द) वी. एन. मिश्रा

उत्तर : एच. डी. सांकलिया
व्याख्या :
आहड़ के उत्खनन का कार्य सर्वप्रथम 1953 में अक्षय कीर्ति व्यास के नेतृत्व में हुआ। 1956 ई. में श्री रतचंद्र अग्रवाल की देखरेख में खनन कार्य हुआ। इसके उपरांत डॉ. एच.डी. सांकलिया, डेकन कॉलेज पूना, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, राजस्थान तथा मेलबोर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त अभियान में वर्ष 1961-62 के दौरान इस स्थल का उत्खनन कार्य किया गया।

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