राजस्थान की प्राचीन सभ्यताएँ
- प्रश्न 41 ‘भीम डूंगरी’ गणेश डूंगरी राजस्थान की किस सभ्यता से संबंधित है -
-
- (अ) गणेश्वर सभ्यता
- (ब) बैराठ सभ्यता
- (स) आहड़ सभ्यता
- (द) कालीबंगा सभ्यता
उत्तर : बैराठ सभ्यता
व्याख्या :
प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) में ‘बीजक की पहाड़ी’, ‘भीमजी की डूँगरी’ मोती डूंगरी तथा ‘महादेवजी की डूँगरी’ आदि स्थानों पर उत्खनन कार्य दयाराम साहनी द्वारा 1936-37 में तथा पुनः 1962-63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
- प्रश्न 42 बागोर एवं तिलवाड़ा नामक स्थान मुख्यतया निम्न काल से संबंधित थे -
-
- (अ) मध्य पाषाण काल
- (ब) पुरा पाषाण काल
- (स) पूर्व - हड़प्पा काल
- (द) निम्न पुरा पाषाण काल
उत्तर : मध्य पाषाण काल
व्याख्या :
मध्यपाषाण काल के उपकरण उदयपुर के बागोर तथा मारवाड़ के तिलवाड़ा नामक स्थानों पर मिले हैं।
- प्रश्न 43 निम्न में से कौनसी शिल्प कृति कालीबंगा से प्राप्त नहीं हुई है -
Asstt. Agriculture Officer(TSP) Exam 2015 Paper 1 -
- (अ) हाथी दांत का कंघा
- (ब) वृषभ की तांबे की प्रतिकृति
- (स) मिट्टी की चूड़ियां
- (द) हल की मिट्टी की प्रतिकृति
उत्तर : हल की मिट्टी की प्रतिकृति
व्याख्या :
ड़प्पा स्थल पर मिट्टी से बना ‘हल’ बनवाली में मिला था। यह एक हरियाणा के फतेहाबाद जिले में सिंधु घाटी सभ्यता काल से संबंधित एक पुरातात्विक स्थल है।
- प्रश्न 44 अधोलिखित पुरातत्ववेत्ताओं में से कौन सा आहड़ के उत्खनन से संबंद्ध नहीं है -
Asstt. Agriculture Officer(TSP) Exam 2015 Paper 1 -
- (अ) बी. बी. लाल
- (ब) आर. सी. अग्रवाल
- (स) ए. के. व्यास
- (द) एच. डी. संकलिया
उत्तर : बी. बी. लाल
व्याख्या :
ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। दसवीं व ग्याहरवीं शताब्दी में इसे ‘आघाटपुर’ अथवा ‘आघट दुर्ग’ के नाम से जाना जाता था। इसे ‘धूलकोट’ भी कहा जाता है। इस स्थल के उत्खनन का कार्य सर्वप्रथम 1953 में अक्षय कीर्ति व्यास के नेतृत्व में हुआ। 1956 ई. में श्री रतचंद्र अग्रवाल की देखरेख में खनन कार्य हुआ। इसके उपरांत डॉ. एच.डी. सांकलिया, डेकन कॉलेज पूना, पुरातत्व एवं संग्रहालय विभाग, राजस्थान तथा मेलबोर्न विश्वविद्यालय, ऑस्ट्रेलिया के संयुक्त अभियान में वर्ष 1961-62 के दौरान इस स्थल का उत्खनन कार्य किया गया।
- प्रश्न 45 निम्न में से कौन-सा एक युग्म सही सुमेलित नहीं है -
प्राचीन स्थल - उत्खननकर्ता
Sr Teacher Gr II Special Edu. Comp. Exam 2015 (G.K.) -
- (अ) कालीबंगा - अमलानंद घोष
- (ब) आहड़ - एच. डी. सांकलिया
- (स) बैराठ - केदार नाथ पुरी
- (द) बागोर - वी. एन. मिश्रा
उत्तर : बैराठ - केदार नाथ पुरी
व्याख्या :
ढील नदी के किनारे स्थित रैढ़ में उत्खनन कार्य सर्वप्रथम जयपुर की ओर से बहादुर दयाराम साहनी MACIE, पुरातत्व और ऐतिहासिक अनुसंधान के निदेशक ने 1938 से 1940 तक किया। इसको अंतिम रूप डॉ. केदारनाथ पुरी ने दिया। उत्खनित क्षेत्र का विवरण के.एन. पुरी ने जयपुर शासन के तत्वाधान में ‘एस्केवैशनएट रैढ़’ में प्रकाशित किया।
प्राचीन मत्स्य जनपद की राजधानी विराटनगर (वर्तमान बैराठ) में ‘बीजक की पहाड़ी’, ‘भीमजी की डूँगरी’ मोती डूंगरी तथा ‘महादेवजी की डूँगरी’ आदि स्थानों पर उत्खनन कार्य दयाराम साहनी द्वारा 1936-37 में तथा पुनः 1962-63 में पुरातत्वविद् नीलरत्न बनर्जी तथा कैलाशनाथ दीक्षित द्वारा किया गया।
- प्रश्न 46 निम्नलिखित में से किस स्थल से शासक मिनेण्डर के सोलह सिक्के प्राप्त हुए हैं -
RAS/RTS Comb. Comp. (Pre) Exam 2018 -
- (अ) बैराठ
- (ब) नगरी
- (स) रैढ़
- (द) नगर
उत्तर : बैराठ
व्याख्या :
बैराठ से 36 चांदी के सिक्के प्राप्त हुए हैं 36 में से 28 सिक्के हिन्द - युनानी राजाओं के है। 28 में से 16 सिक्के मिनेण्डर राजा(प्रसिद्ध हिन्द - युनानी राजा) के मिले हैं।
- प्रश्न 47 निम्नलिखित में से सही सुमेलित नहीं है -
-
- (अ) कालीबंगा - चुरू
- (ब) आहड़ - उदयपुर
- (स) गणेश्वर - सीकर
- (द) बैराठ - जयपुर
उत्तर : कालीबंगा - चुरू
व्याख्या :
कालीबंगा प्राचीन सरस्वती नदी के बाएं तट पर जिला मुख्यालय हनुमानगढ़ से लगभग 25 किमी. दक्षिण में स्थित है। वर्तमान में यहाँ घग्घर नदी बहती है। कालीबंगा में पूर्व हड़प्पाकालीन, ‘हड़प्पाकालीन’ तथा ‘उत्तर हड़प्पाकालीन’ सभ्यता के अवशेष प्राप्त हुए हैं।
- प्रश्न 48 निम्न में से किस स्थल को ताम्रवती नगरी के नाम से भी जाना जाता था -
-
- (अ) बैराठ
- (ब) आहड़
- (स) कालीबंगा
- (द) बागौर
उत्तर : आहड़
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है।
- प्रश्न 49 ताम्रवती नगरी के नाम से विख्यात पुरास्थल जिसे धूलकोट के नाम से भी पुकारा जाता है -
-
- (अ) बैराठ
- (ब) आहड़
- (स) गणेश्वर
- (द) बालाथल
उत्तर : आहड़
व्याख्या :
उदयपुर से तीन किलोमीटर दूर 500 मीटर लम्बे धूलकोट के नीचे आहड़ का पुराना कस्बा दवा हुआ है जहाँ से ताम्रयुगीन सभ्यता प्राप्त हुई है। यह सभ्यता बनास नदी पर स्थित है। ताम्र सभ्यता के रूप में प्रसिद्ध यह सभ्यता आयड़/बेड़च नदी के किनारे मौजूद थी। प्राचीन शिलालेखों में आहड़ का पुराना नाम ‘ताम्रवती’ अंकित है। दसवीं व ग्याहरवीं शताब्दी में इसे ‘आघाटपुर’ अथवा ‘आघट दुर्ग’ के नाम से जाना जाता था। इसे ‘धूलकोट’ भी कहा जाता है।
- प्रश्न 50 अमलानन्द घोष ने (1951-52 ई.) सर्वप्रथम किस स्थल की खोज की -
-
- (अ) बैराठ
- (ब) गणेश्वर
- (स) कालीबंगा
- (द) आहड़
उत्तर : कालीबंगा
व्याख्या :
कालीबंगा का पता ‘पुरातत्व विभाग के निदेशक ए. एन. घोष’ ने सन् 1952 में लगाया था। सन् 1961-69 तक नौ सत्रों में बी. के. थापर, जे. वी. जोशी तथा बी. बी. लाल के निर्देशन में इस स्थल की खुदाई की गयी। कालीबंगा स्वतंत्र भारत का वह पहला पुरातात्विक स्थल है जिसका स्वतंत्रता के बाद पहली बार उत्खनन किया गया तत्पश्चात् रोपड़ का उत्खनन किया गया।
page no.(5/30)